इतिहास दर इतिहास रचने का साल

शिव शरण त्रिपाठी
नई दिल्ली। यदि यह कहा जाय कि मोदी सरकार के दूसरे कालखण्ड का प्रथम शुरूआती वर्ष इतिहास दर इतिहास रचने का रहा है तो अतिशयोक्ति न होगा।
३० मार्च २०१९ को दूसरी बार प्रचंड बहुमत से सत्ता का वरण करने वाली राजग सरकार ने अपने मुखिया यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ एवं कुशल नेतृत्व में पहले साल में ही इतने नये इतिहास रच डाले है कि शायद ही भविष्य में कोई सरकार ऐसा करने में सफल हो सके।
वैसे तो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के प्रथम साल का हर निर्णय न केवल इतिहास रचने में सफल रहा है वरन् देश की तकदीर बदलने वाला भी।।  जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद ३७० को एक झटके में समाप्त कर देना कदाचित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व व दृढ़ इरादों के बलबूते उनकी सरकार के ही बूते की बात थी।
देश की मुस्लिम महिलाओं के जीवन को नरक बना देने वाली तीन तलाक की प्रथा को मोदी सरकार ने जिस तरह भारी प्रतिरोधों के बावजूद बिना झुके सदा के लिये खत्म कर दिया उसे देश में सामाजिक सुधार की दिशा में एक और मील का पत्थर कहा व माना जाना सर्वथा उचित ही है।
मोदी सरकार ने जिस तरह नागरिक संशोधन विधेयक लागू करके ही दम लिया यकीनन वो भविष्य में देश की तकदीर बदलने वाला ही सिद्ध होगा। यदि देशवासी इसे देश में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने की दिशा में एक ठोस व निर्णायक कदम मान रहे हंै तो गलत भी कैसे कहा जा सकता है।
अलावा उपरोक्त के मोदी सरकार के सहयोग, समर्थन के चलते अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण का मार्ग प्रशस्त होना पूरी दुनिया के सनातनी हिन्दुओं के लिये किसी सपने के पूरा होने से कम नहीं रहा है। इससे नि:संदेह उन हजारों सनातनी धर्म परायण हिन्दुओं की आत्माओं को भी शान्ति मिली है जिन्होने श्रीराम मंदिर के लिये समय-समय पर हुये रक्त रंजित संघर्षो में अपने प्राणों की आहुति दे डाली थी।
मोदी सरकार ने लम्बे समय से टल रहे देश में चीफ  ऑफ  डिफ ेंस स्टाफ  पद का गठन करके दिखा दिया कि सरकार मेें दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। चीफ  ऑफ  डिफ ेंस स्टाफ पद के गठन नेे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बेहतर बनाया है।
बैंकों की खस्ताहाल माली हालत के मद्देनजर उन्हे सृदृढ़ बनाने की दृष्टि से मोदी सरकार का १० सरकारी बैंकों का विलय करके चार बड़े बैंको का सृजन अभूतपूर्व कदम ही कहा जायेगा।
मोदी सरकार ने बीते एक वर्ष के कार्यकाल में जहां उद्योगों के लिये २० लाख करोड़ का पैकेज देकर उन्हे मजबूती प्रदान की वहीं ३ करोड़ छोटे व्यापारियों को तीन हजार रुपये प्रति माह पेंंशन देने की योजना लागू कर उन्हे सबल बनाने का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया।
आशा की जानी चाहिये कि मोदी सरकार आने वाले वर्षो में और ऐसे अनेक इतिहास रचेगी जिनसे भारत पूरी दुनिया में सिरमौर्य बनकर ही रहेगा। 

****************************एक और अग्नि परीक्षा का समय

देश में कोरोना महामारी से उपजे बेहद विषम हालात मोदी सरकार की एक और अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। देश में कोई ७० दिनों तक चले लॉकडाउन से जहां देश की अर्थ व्यवस्था को भारी चोट पहुंची है वहीं विभिन्न राज्यों में रह रहे श्रमिकों के भारी पलायन से निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था को कितनी चोट पहुंचेगी इसका अनुमान व आंकलन करना सहज नहीं है।
सबसे पीड़ादायक व केन्द्र सरकार की किरकरी का कारण विभिन्न राज्यों मेें रह रहे श्रमिकों के अव्वल तो पलायन पर रोक न लगा पाना रहा और फि र पलायन शुरू होने पर उन्हे समय पर सुविधाजनक ढंग से उनके गृह प्रवेश न पहुंचा पाना।
खैर अब इस सत्य व तथ्य को पूरे देश ने जान लिया है कि श्रमिकों के पलायन के लिये वे राज्य सरकारें ही सर्वाधिक जिम्मेदार रही है जहां उन्होने वर्षो तक अपने पसीने से वहां के उद्योगों को सींचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। वहां के कारोबार को गति देने में कभी ऊफ  नहीं की थी। यदि ऐसे राज्यों के श्रमिकों को वहां की सरकारों ने किसी भी स्तर पर, किसी भी रूप में संरक्षण नहीं दिया तो इसके पाप-दोष ही नहीं इसके कुपरिणामों के भोग से भला वो कैसे बच सकती हैं।
त्रासदी के ऐसे भयावह दौर में जिस तरह सर्वाधिक गति उत्तर प्रदेश, बिहार के श्रमिकों के साथ पश्चिम बंगाल, असम आदि के श्रमिकों ने झेला है। ऐसे में खासकर अब जिस तरह उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपने ऐसे बहुमूल्य श्रमिकों के लिये प्रदेश में रहकर रोजी रोटी कमाने के अवसर उपलब्ध कराने के हर संभव प्रयास शुरू कर दिये हैं उससे एक नये अध्याय की शुरूआत व नये भविष्य की उदय से इंकार नहीं किया जा सकता है। कमोवेश ऐसे ही प्रयास बिहार सरकार व अन्य राज्य सरकारों द्वारा भी किये जाने की खबरें मिल रही है जो कि शुभ ही कही जा सकती हैं।
इसी क्रम में रविवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मुख्य रूप से ऐसे श्रमिकों की पीड़ा का ही इजहार करके साफ  कर दिया है कि वे श्रमिकों को हुये कष्ट व पीड़ा से कितने मर्माहत हैं एवं उनके भविष्य के प्रति कितने चिंतित हंै।
उन्होने जिस तरह पूर्वी भारत की उपेक्षा के कारण वहां के करोड़ों मजदूरों को रोजगार की तलाश में हजारों किलोमीटर दूर जाने की व्यवस्था का जिक्र करते हुये उसके विकास की प्राथमिकता देने की बात कहीं उससे अब पूर्वी भारत के श्रमिकों की तकदीर बदलने की पुख्ता आस तो बंधती ही है।
यदि मोदी सरकार इस अग्नि परीक्षा में सफ ल होती है जैसी की पूरी उम्मीद है तो निश्चय ही यह मोदी सरकार की शानदार उपलब्धियों में एक और स्वर्णिम कड़ी ही सिद्ध होगी। 

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