किडनी के लिये योग थेरेपी का अनूठा केन्द्र

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– ललित गर्ग –

मानव शरीर को निरोगी, नियोजित रखने एवं कई आवश्यक नियामक भूमिकाएँ निभाने के लिए किडनी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। रक्त के संतुलित प्रवाह, उसकी शुद्धि, उसे परिवर्तित और दूषित रक्त को खत्म करने में किडनी ही सक्रिय एवं सहायक होती हैं। आजकल हमारे जीवन में किडनी रोग बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं, इस बीमारी का मुख्य कारण हमारा खान-पान, हमारी असंतुलित दिनचर्या, हमारा जीवन को जीने का अस्त-व्यस्त तरीका है। अगर उसे बदलने की कोशिश की जाए तो बिना डायलिसिस किडनी रोग को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जैसे योग, ध्यान, मंत्र-साधना, संतुलित खानपान को अगर हमने अपनी जीवन में शामिल कर लिया हैं तो किडनी रोग बहुत हद तक कम हो सकते हंै। सबसे बड़ी बात है पॉजिटिव थिंकिंग का होना, अगर आप अच्छा सोचते हैं, खुश रहते हैं तो उसके किडनी पर काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
हाल के वर्षो में गुर्दे की गड़बड़ी में काफी वृद्धि हुई है। सबसे अधिक निराशा एवं चिन्ता की स्थिति गुर्दे की विफलता के मामलों में देखने को मिल रही है और इसके लिए किडनी डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। इस डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की स्थिति के बावजूद रोगी को उसकी जरूरत ही न पड़े, इस उद्देश्य को लेकर भगवान महावीर रिलीफ फाउंडेशन ट्रस्ट ने एक अनूठे एवं विलक्षण डायलिसिस सेंटर को प्रारंभ करने का बीड़ा उठाया है। इस नेक एवं सेवामूलक प्रवृत्ति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दक्षिण दिल्ली जसोला स्थित अपनी चार मंजिला इमारत में तीन तले उपलब्ध करवाकर इस बड़े सपने को साकार करने में उदारतापूर्वक अद्भूत योगदान प्रदान किया है, डायलिसिस सेंटर सभी आधुनिक संशाधनों एवं सुविधा से सुसज्जित होकर तैयार हो गया है।
यह एक अनूठा एवं विलक्षण केंद्र इसलिये होगा कि यहां आधुनिक चिकित्सा के साथ भारत के प्राचीन योग, ध्यान, मंत्र आदि द्वारा रोगी को मानसिक शांति एवं रोग मुक्ति हेतु भाव चिकित्सा प्रदान की जाएगी। जहां इस केंद्र में आधुनिक चिकित्सा जांच के डायलिसिस यंत्र स्थापित किये गये हैं वहीं प्राचीन योग, मंत्र एवं ध्यान के लिए आधुनिकतम तकनीक एवं साधनों, चित्रों- मंत्रों से सज्जित परिवेश भी निर्मित किया गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य है कि किडनी का रोगी योग, मंत्र एवं साधना के माध्यम से इस अवस्था में पहुंच जाए कि उसे डायलिसिस की जरूरत ही न पडे़। इसके लिए अनुभवी एवं विशेषज्ञ साधकों की सेवाएं ली जा रही है। सेवा के इस पवित्र यूनिक सेंटर का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत 14 जनवरी 2020 को मकर संक्रांति के पवित्र एवं पावन अवसर पर करेंगे।
ट्रस्ट से जुड़े प्रेक्षाध्यान के साधक एवं योग-विशेषज्ञ श्री के.सी. जैन ने बताया कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा प्रणित प्रेक्षाध्यान की योग चिकित्सा गुर्दे के कार्यों को बेहतर बनाने में प्रभावी है।  प्रेक्षा के प्रयोग एवं इसके लिये निर्धारित मंत्र गुर्दे के नुकसान को कम करने या रोकने में बहुत मदद कर सकते हैं। आसन, प्राणायाम और क्रिया (सफाई की तकनीक) का अभ्यास आंतरिक अंगों को स्वस्थ रख सकता है, विशेष रूप से गुर्दे के समग्र कार्य में सुधार कर सकता है। कोमल मोड़ जैसे आसन अनुबंधों को पीछे छोड़ते हैं और गुर्दे की मालिश करते हैं। अभ्यास गुर्दे के कुशल कार्य को सक्षम और सक्रिय करता है। नाड़ी शोधन, अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम, अनुप्रेक्षा एवं कायोत्सर्ग का अभ्यास तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित और संतुलित कर सकता है और मन को तनाव से मुक्त कर सकता है। शरीर से विषाक्त रक्त को बाहर निकालने के लिए क्रिएस महान सफाई तकनीक है। संपूर्ण प्रणाली का प्रयोग करने से, एक प्रकाश महसूस होता है और प्राण के प्रवाह द्वारा शरीर के प्रत्येक एकल कोशिका में रक्त को साफ किया जाता है। अन्य लाभों के बीच, योग तनाव के स्तर को नियंत्रित करता है, जो समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है। आसन और प्राणायाम का नियमित और सक्रिय अभ्यास रक्तचाप को नियंत्रित करने और गुर्दे की पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
डायलिसिस रक्त शेाधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानी गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुडे़ रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियो में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फास्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। डायलिसिस स्थायी और अस्थायी होती है। यदि अपोहन के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो अपोहन की प्रक्रिया स्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो अपोहन अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है।
सपंूर्ण जैन समाज का एक प्राणवान, समाजोत्थान एवं मानव कल्याण का रचनात्मक एवं सृजनात्मक राष्ट्रीय संगठन है जीतो (जैन इन्टरनेशनल ट्रेड आॅरगेनाइजेशन), जिसके माध्यम से समाज निर्माण, आर्थिक विकास, शिक्षा, सेवा एवं जनकल्याण के अनेक विशिष्ट उपक्रम राष्ट्र-स्तर पर संचालित किये जा रहे हैं। राष्ट्र एवं समाज निर्माण में वह अपनी रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। इसी के अन्तर्गत भगवान महावीर रिलीफ फाउंडेशन ट्रस्ट गठित किया गया है, जिसमें श्री बजरंग जैन, प्रसन्न जैन, अतुल मरडिया, हेमंत जैन, सुखराज सेठिया, आनन्द  सुराणा, राकेश जैन, सीए अमित जैन, नरेश जैन, गौतम जैन, जेठमल मेहता, राजेश जैन, मयुर जैन , विक्रम जैन, पारस जैन , संजीव जैन, विपुल कुमट, शरत जैन, महेश जैन, किशोर जैन, दर्पण जैन, सुशील जैन, विनय जैन, प्रदीप जैन आदि ने 25-25 लाख रूपये इस जनसेवा उपक्रम के लिये प्रदत्त किये हैं। संपूर्ण स्वस्थ किडनी की ओर ले जाने के इस मेडिकल साइंस एवं भारतीय अध्यात्म के समन्वित उपक्रम से दिल्ली की जनता को एक नये स्वास्थ्य उजाले का अहसास होगा, ऐसी संभावनाएं की जा रही हैं।
काफी पहले चाल्र्स डार्विन ने विकासवाद का सिद्धांत दिया था, जिसमें कहा गया था कि वातावरण के अनुरूप ढल जाने वाली प्रजातियों के जीवित रहने की संभावना उन प्रजातियों से अधिक होती है, जो वातावरण के अनुरूप ढल नहीं पातीं। अस्तित्व की इस प्रतिस्पद्र्धा एवं आकांक्षा के कारण ही मनुष्य ने सदैव नए आविष्कार किए हैं और जीवन को चिरंतन बनाए रखने के तरीके तलाशे हैं। आज कोई भी हमारे दैनिक जीवन में आधुनिकीकरण के प्रभाव और उपयोगिता को नजरअंदाज नहीं कर सकता और इस बात से आंखें नहीं मूंद सकता कि इन आविष्कारों ने हमारे जीवन में कितनी कठिनाइयां दूर कर दी हैं। लेकिन इन आविष्कारों के साथ योग एवं मंत्र-साधना को जोड़ दिया जाये तो यह सोने में सुहागा ही होगा। क्योंकि रोग निदान की अत्याधुनिक तकनीकों तथा आधुनिक उपचार सुविधाओं ने जीवन रक्षा के व्यवसाय को बिल्कुल अलग आयाम दिया है जो कभी-कभी रोग की जटिलता से सामने हारते हुए भी देखा गया हैं। अत्यधिक खर्चीले होने के कारण ये आम आदमी की पहुंच के बाहर भी है। सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि प्रकृति में मानव के अत्यधिक हस्तक्षेप और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण अधिक गंभीर एवं लाइलाज रोगों के रूप में कष्ट बढ़े हैं। इन विकट होती स्थितियों के बीच दिल्ली में संचालित होने जा रहे डायलिसिस सेंटर पर सबकी नजरे टिकी है एवं इसे चिकित्सा जगत में एक अभिनव एवं युगांतरकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि यह सेंटर प्राकृतिक संतुलन बहाल करने, योग एवं मंत्र की साधना से रोगों को नियंत्रित करने, संतुलित जीवन एवं शुद्ध खानपान को प्रश्रय देने तथा प्रकृति के साथ मानव जीवन का सामंजस्य बिठाने के सिद्धांत पर कार्य करेगा। यह वैकल्पिक पद्धति ऐसी जीवनशैली का समर्थन करती हैं, जिससे शरीर और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है तथा मनुष्य का पूर्ण रूप से कल्याण होता है।

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