योगी सरकार का पहला कैबिनेट विस्तारः लगे जय श्री राम के नारे जातीय-उचयक्षेत्रीय समीकरण का रखा गया पूरा ध्यान

10 दलित/पिछड़े, 6-ंउचयब्राह्म्ण, 4 क्षत्रीय, तीन वैश्य
नेता बने मंत्री

अजय कुमार,लखनऊ

उत्तर प्रदे-रु39या की योगी सरकार का करीब -सजयाई वर्षो से
प्रतीक्षारत्् पहला मंत्रिमंडल विस्तार हो ही गया। भवि-ुनवजयय की
राजनीति को साधने के लिए जहाँ 23 में से 10 मंत्री दलित व
पिछड़े वर्ग से बनाए गए हैं, वहीं सवर्ण जातियों में सबसे
ज्यादा छहः ब्राह्म्णों को विस्तार में जगह मिली है। क्षत्रिय
समुदाय से चार जबकि, वै-रु39यय बिरादरी से तीन लोगों को -रु39याामिल किया
गया है। वहीं क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा गया।
भाजपा की -हजयोली में अच्छी संख्या में सीटें डालने के
बावजूद मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी पाने से वंचित रहे आगरा और
मुजफ्फरनगर जैसे जिलों से भी मंत्री बनाकर लोगों को यह
संदे-रु39या देने का प्रयास किया गया कि पार्टी को मजबूत बनाने
वालों की अनदेखी नहीं की जाएगी। विस्तार में अपना दल के
कार्यकारी अध्यक्ष आ-रु39याी-ुनवजया सिंह पटेल को भी कैबिनेट मंत्री
बनाने के संकेत थे,लेकिन यह हो नहीं सका।
योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे समय में हुआ है जबकि
कुछ समय बाद 13 विधान सभा सीटों पर उप-ंउचयचुनाव होने वाला
है। ऐसे में उप-ंउचयचुनाव के बाद एक छोटे से ही सही और
मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता

है। किस नेता को मंत्रिमडल में लेना और किसे हटाना है ? यह
मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है,लेकिन ऐसा लगता है कि
योगी जी पूरी तरह से स्वतत्र होकर निर्णय नहीं ले एके। संभवता
उनके ऊपर आलाकमान का दबाव रहा होगा। इसी लिए कुछ ऐसे नये
चेहरे मंत्रिमंडल विस्तार में जगह पा गए जो योगी की गुड लिस्ट
में नहीं थे तो कुछ ऐसे चेहरों को योगी बाहर का रास्ता
या उनके पर नहीं कतर पाए जिनके बारे में चर्चा थी कि योगी जी
ऐसे मंत्रियों के खिलाफ सख्त फैसला ले सकते हैं। सबसे खास रहा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह का कैबिनेट में
शामिल नहीं किया जाना,जबकि लगभग यह तय माना जा रहा था कि
पंकज को मंत्री पद से नवाजा जाएगा। इसी प्रकार डिप्टी सीएम और
कभी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल रहे केशव प्रसाद
मौर्या के संबंध में भी यह चर्चा चल रही थी कि योगी जी
मौर्या से कुछ विभाग वापस लेकर उनकी अहमियत कर करेंगे,लेकिन
पिछड़े वर्ग के इस नेता की अहमियत बरकरार रही।
बात हटाए गए मंत्रियों की कि जाए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने
75 प्लस होने के कारण मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। अग्रवाल
वैश्य समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं,इस लिए संभावना यही बन
रही है कि उन्हें राज्यपाल या किसी आयोग में भेजा जा सकता
है। वहीं अनुपमा जायसवाल को संगठन में महत्वपूर्ण
जिम्मेदारी मिल सकती है। अनुपमा पहले भी संगठन की जिम्मेदारी
निभा चुकी हैं। अर्चना पांडेय को जरूर उनके पीए के
भ्रष्टाचार के चलते मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया। धर्मपाल
सिंह भी विभागीय अनियमित्ताओं के चलते विवादों में चल
रहे थे।
जानकार कहते हैं कि योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की पूरी चली। उन्हीं से मंत्रणा के
बाद ही योगी ने मंत्रिमंडल विस्तार को अमली जामा पहनाया।

मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का तो पूरा
ख्याल रखा ही गया इसके साथ-ंउचयसाथ निष्ठावान पार्टी नेताओं
को भी अहमियत दी गई। मगर जो हो नहीं सका, उस की चर्चा
की जाए तो उम्मीद यह लगाई जा रही थी कि योगी मंत्रिमंडल से
चार नहीं कम से कम आठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा
सकता है। जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की चर्चा
हो रही थी,उसमें मंत्री स्वाति सिंह, नंद गोपाल नंदी,
सिद्धार्थनाथ सिंह और मुकुट बिहारी लाल शामिल थे।
स्वाति सिंह और सिद्धार्थनाथ को कामकाज के आधार पर तो नंद
गोपाल नंदी को उनके आचरण के कारण बाहर का रास्ता दिखाए
जाने की बात कही जा रही थी। वहीं मुकुट बिहारी लाल को
लोकसभा चुनाव हार जाने के कारण बाहर का रास्ता दिखाए जाने
की बात कही जा रही थी। कहा यह जा रहा था कि मुकुट ने
लोकसभा चुनाव पूरी ईमानदारी के साथ नहीं लड़ा था।
बहरहाल, लखनऊ के राजभवन में सम्पन्न हुए मंत्रिमडंल
विस्तार कार्यक्रम में योगी मंत्रिमंडल में छह कैबिनेट मंत्री,
छह राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 11 राज्य मंत्रियों ने
-रु39यापथ ले ली है। छहः में से चार स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य
मंत्रियों को प्रमो-रु39यान देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
योगी कैबिनेट में कुल मिलाकर 18 न‌ए चेहरे -रु39यामिल किये गए
हैं। एक राज्यमंत्री को पदोन्नति देकर राज्य मंत्री (स्वतंत्र
प्रभार) बनाया गया है। योगी सरकार के नए मंत्रियों के -रु39यापथ
ग्रहण के दौरान जय श्री राम के नारे भी लगे।
जिन नेताओं मंत्री पद की शपथ दिलाई गई उसमें डॉ.
महेंद्र सिंह, सुर-रु39या राणा, भूपेंद्र सिंह चैधरी, अनिल राजभर,
रान नरे-रु39या अग्निहोत्री, कमल रानी वरुण को कैबिनेट मंत्री के रूप
में और नील कंठ तिवारी, कपिल देव अग्रवाल, सती-रु39या द्विवेदी,

अ-रु39याोक कटारिया, श्रीराम चैहान और रवींद्र जायसवाल ने राज्य
मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में -रु39यापथ ली है।
वहीं राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नेताओं में
अनिल -रु39यार्मा, महे-रु39या गुप्ता, आनंद स्वरूप -रु39याुक्ल, विजय क-रु39ययप, डॉ. गिरिराज
सिंह धर्मे-रु39या, लाखन सिंह राजपूत, नीलिमा कटियार, चैधरी
उदयभान सिंह, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, रमा-रु39यांकर सिंह पटेल और
अजीत सिंह पाल शामिल थे।
मंत्रिमडल विस्तार में वाराणसी का दबदबा दिखा। वाराणसी से
लंबे समय से सक्रिय रहे भाजपा विधायकों को मंतिमंडल विस्‍तार
में नई जिम्‍मेदारियां दी गई हैं। अब वाराणसी से योगी
मंत्रीमंडल में मंत्रियों की संख्या तीन हो गई है। इसमें
-रु39याहर उत्तरी से दो बार विधायक रहे भाजपा के वरि-ुनवजयठ नेता रवींद्र
जायसवाल को राज्यमंत्री के रूप में -रु39यापथ दिलाई गई है तो यहीं
से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे अनिल राजभर का प्रमो-रु39यान कर
कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। अनिल राजभर -िरु39यावपुर क्षेत्र
से विधायक हैं और अभी तक सैनिक कल्याण, खाद्य, होमगार्ड,
नागरिक सुरक्षा, प्रांतीय रक्षक दल के मंत्री थे। भारतीय समाज
पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रका-रु39या राजभर द्वारा मंत्रीमंडल से इस्तीफा
देने के बाद से उनका विभाग विकलांग और पिछड़ा वर्ग को
भी देख रहे थे। वहीं दूसरी ओर डा. नीलकंठ तिवारी को
राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में -रु39यापथ दिलाई गई है। -रु39याहर
दक्षिणी से विधायक डॉ. तिवारी अभी तक विधि न्याय, युवा कल्याण,
खेल एवं सूचना राज्य मंत्री थे।
दलित नेत्री और वर्तमान में घाटमपुर से विधायक कमलरानी
वरुण को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को बीजेपी का बड़ा
दलित कार्ड माना जा रहा है। कमलारानी भाजपा की उन्हीं
कार्यकर्ताओं में से हैं, जिन्होंने राजनीति में जमीन से
सफलता के आसमान तक का सफर तय किया है। वह 1989 में सीसामऊ

विधानसभा क्षेत्र के वार्ड से पा-ुनवजर्याद चुनी गई थीं। इसके
बाद 1996 और फिर 1998 में घाटमपुर लोकसभा क्षेत्र से
सांसद बनीं।
उधर, जिन मंत्रियों ने गत दिवस योगी कैबिनेट से इस्तीफा
दिया था,उनका इस्तीफा भी मंजूर कर लिया गया है। वित्त
मंत्री राजे-रु39या अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, बेसिक -िरु39याक्षा
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल और भूतत्व एवं
खनिकर्म राज्य मंत्री अर्चना पांडेय ने कल ही अपना इस्तीफा
योगी का सौंपा था। धर्मपाल, अनुपमा और अर्चना को
भाजपा मुख्यालय में प्रदे-रु39या महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने तलब
किया था। भाजपा प्रदे-रु39या अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने तो दो दिन
पहले ही एक व्यक्ति-ंउचयएक पद के सिद्धांत के चलते परिवहन मंत्री पद से अपना
त्यागपत्र भेज दिया था। इससे पूर्व सांसद चुने जाने के बाद
सत्यदेव पचैरी, प्रो. एसपी बघेल और प्रो. रीता बहुगुणा जो-रु39याी
के इस्तीफे और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रका-रु39या राजभर के
मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने से चार कैबिनेट मंत्री के पद
पहले से ही खाली चल रहे थे।
इस बार राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कई
नई परम्पराएं निभाई गईं। अमूमन जिन मंत्रियों को शपथ
दिलाई जाती है,उन्हें मंच के नीचे ही बैठाया जाता
है,लेकिन इस बार पहले से ही शपथ ग्रहण करने वाले मंत्रियों
को मंच पर जगह प्रदान कर दी गई थी। शपथ ग्रहण करने वाले
मंत्रियों का राज्यपाल आंनदी बेन पटेल और सीएम योगी ने
गुलदस्ते देकर स्वागत किया।

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