आप दोषी नहीं, मोदी हैं!

अरुण कान्त शुक्ला

मोदी जी गुजरात के मुसलमान आपसे कह रहे हैं कि आप माफी मांगेगें तो वो आपको वोट देंगे। आप उनकी बातों में बिलकुल नहीं आना। वो आपको टोपी पहनाना चाहते हैं। ये सब आपसे बदला लेने के लिए हो रहा है।आपने सदभावना यात्रा निकाली, मौक़ा देखकर वो आपको टोपी पहनाना चाहते थे, पर आप चतुर सुजान, आपने उनकी दाल नहीं गलने दी और टोपी नहीं पहनी। अब वो आपको चुनावी यात्रा में टोपी पहनाना चाहते हैं। आप बिलकुल माफी नहीं मांगना| आखिर आप खुद तो तलवार लेकर किसी को मारने गए नहीं थे। बल्कि आपको खुद को इतना डर था कि आप घर से बाहर नहीं निकले। अब घर से बाहर ही नहीं निकले तो किसी की क्या मदद करते? पर आपने कुछ समय पहले एक गलती कर दी। आपने ऐसा क्यों कहा कि यदि आप दोषी हैं तो आपको फांसी पर चढ़ा दिया जाए।

मैं आपको इस देश के 120 करोड़ लोगों की तरफ से विश्वास दिला सकता हूँ कि आप दोषी नहीं हैं, आप तो मोदी हैं और वो भी सिर्फ नाम के नहीं, मन, कर्म, वचन से मोदी हैं। 120 करोड़ लोगों की तरफ से इसलिए कि आजकल ये फेशन में है कि जो भी कहो पूरे 120 करोड़ लोगों की तरफ से कहो। इससे बात में वजन आ जाता है और कहने वाले को भी लगता है कि उसका कोई वजन है । पर, आप के मामले में, मैं पूरी सिंसयरिटी के साथ कह रहा हूँ कि आप दोषी नहीं, मोदी हैं, पूरे मोदी, मन वचन, कर्म से पूरे मोदी। मोदी याने आनंद में डूबा हुआ। स्वयं पर मुग्ध व्यक्ति। एक ऐसा व्यक्ति, जो यह समझता है कि वही सबसे ज्यादा योग्य है, अन्य सभी बुद्धि, कौशल में उससे दोयम हैं। साधारण लोग इसे अहंकार कहते हैं। पर, ये आत्ममुग्धता है। मोदी होने की सबसे बड़ी पहचान।

मोदी, एक ऐसा व्यक्ति, जिसकी चेतना में हर समय ऐसी अनुभूति विद्यमान रहती है कि जो वो कर रहा है, वही सर्वश्रेष्ठ है। वो अपने इस सर्वश्रेष्ठ पर मुग्ध रहता है, उसके आनंद में डूबा रहता है। यह आत्ममुग्धता बड़ी कठिनाई से और कठिन साधना के बाद प्राप्त होती है। इसके लिए अपने माया और मोह के बंधनों को सिकोड़कर इतना सीमित करना पड़ता है कि ह्रदय यदि कभी किसी के लिए व्यथित भी हो तो वो सिर्फ अपने और अपने परिवार के अच्छे, बुरे और सुख, दुःख के लिए, अन्यथा किसी के लिए नहीं। आपका विरोध करने वालों को यह बात कहाँ समझ आयेगी, जो गुजरात में हुये जिस कत्ले आम को न रोक पाने के लिए आपको दोषी ठहरा रहे हैं, कि आप मन कर्म वचन से निर्मोही हो चुके हैं और किसी की मृत्यु या जीवन , दोनों आपके ऊपर कोई प्रभाव नहीं डालते।

आजकल आप एकसाथ कई जगह दिखाई पड़ रहे हैं। एकदम मनमुग्ध, लगे रहिये। तीसरी बार भी आपको ही आना है। आप लगे रहिये। गुजरात आपका जंगल है और आप गुजरात के मोर। मोर इसलिए कि मोर से बढ़कर मोदी कोई हो ही नहीं सकता। मोर जब जंगल में नाचता है तो खुद अपने नृत्य पर इतना मन्त्र मुग्ध हो जाता है कि नाचते नाचते अपनी दम ऊपर उठा लेता है और वो सब दिखने लगता है जो लोग …. चलिए छोडिये आप तो मन लगाकर नाचिये। तीसरी बार आने के लिए ये कीमत बहुत कम है।

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अरुण कान्त शुक्ला
भारतीय जीवन बीमा निगम से सेवानिवृत्त। ट्रेड यूनियन में तीन दशक से अधिक कार्य करता रहा। अध्ययन व लेखन में रुचि। रायपुर से प्रकाशित स्थानीय दैनिक अख़बारों में नियमित लेखन। सामाजिक कार्यों में रुचि। सामाजिक एवं नागरिक संस्थाओं में कार्यरत। जागरण जंक्शन में दबंग आवाज़ के नाम से अपना स्वयं का ब्लॉग। कार्ल मार्क्स से प्रभावित। प्रिय कोट " नदी के बहाव के साथ तो शव भी दूर तक तेज़ी के साथ बह जाता है , इसका अर्थ यह तो नहीं होता कि शव एक अच्छा तैराक है।"

7 COMMENTS

  1. lekhk badhaaee ke patra hain. modi aur unke chelon ko abhi sahee bat smjh me nhi aayegi. jb bhajpa centre me teesri bar munh ki khayegi tb ARUN KANT SHUKLA jaise eemandar, desh ke schche vfadar aur manvtapremi yad aayenge.

  2. लेख केवल व्यंगात्मक शैली में है. इसमें मूर्खता या विद्वता की बात नहीं है. माफ़ी तो उन्हें मांगनी चाहिए जिन्होंने गोधरा स्टेशन पर ट्रेन की बोगी में कारसेवकों को जिन्दा जलने का जघन्य अपराध किया.माफ़ी उन्हें मांगनी चाहिए जिन्होंने पिछली शताब्दी के शुरू से मुस्लिम परस्ती और हिन्दू विरोध को सेकुलरिज्म का झूठा नाम दिया. माफ़ी उन्हें मांगनी चाहिए जिन्होंने कहा था की भारत का विभाजन ‘मेरी लाश पर होगा’ लेकिन उनके चेले द्वारा एक विदेशी महिला के मोहपाश के कारण देश विभाजन स्वीकार कर लिया तो ‘मुझमे अब विरोध करने की ताकत नहीं बची’ कहकर किनारा कर लिया लेकिन पाकिस्तान को ५५ करोड़ देने के लिए अनशन करने की ताकत उनमे आ गयी.माफ़ी उन्हें मांगनी चाहिए जिन्होंने कहा की विभाजन का मतलब आबादी का स्थानातरण नहीं है जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति का निर्माण हुआ और समय से न आने के कारण लाखों बेगुनाहों को जान से हाथ धोना पड़ा और लाखों माताओं बहनों को अपमान का शिकार होना पड़ा.माफ़ी उन्हें मांगनी चाहिए जिन्होंने हजारों बेगुनाह सिखों का कत्लेआम कराया. मोदी जी को माफ़ी मांगने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया. उनसे ज्यादा जाने तो कांग्रेस के मुख्या मंत्री हितेंद्र देसाई के शाशन में १९६९ में गयी थी जब २००२ से लगभग पंद्रह गुनी अर्थात लगभग पंद्रह हज़ार लोग दंगों में मारे गए थे.१९८७ में मेरठ में कांग्रेसी मुख्या मंत्री वीर बहादुर सिंह के राज में हाशिम पूरा से मुस्लिम नौजवानों को उठाकर गंगनहर के किनारे गोली मार कर लाशें गंगा में बहा दी गयी थीं राजीव गंध प्रधान मंत्री थे किसी ने माफ़ी मांगी क्या? अब डॉ.सुब्रमन्यम स्वामी के आवेदन पर उसे पी चिदंबरम को भी सह आरोपी बनाने पर दिल्ली की अदालत कार्यवाही कर रही है. चिदंबरम १९८७ में राजीव गाँधी की सर्कार में गृह राज्य मंत्री ( आंतरिक सुरक्षा) थे.और बकौल डॉ. स्वामी हाशिमपुरा कांड उन्ही के निर्देश पर हुआ था.

  3. अति सुंदर लेख |
    कृपया जो मुर्ख हैं वो दूसरे को मुर्ख न ही बोलें तो उत्तम होगा|
    मुर्ख तो वो हैं जो लेखक को मुर्ख कह रहे हैं |

  4. मुरख पर शब्द इकठे करने आ जाये ………………तो क्या वो लेखक
    हो जाते हे ?,,,,,,,,,,,विचार कीजिये ……. सदबुधि मिलेगी …….

  5. प्रवक्ता में बहुत मूर्खों के लेख आते रहते है,
    एक और लेख उसी कड़ी में श्री अरुण कान्त शुक्ल का भी

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