विवेक पाठक

“हैलो एवरीबडी ग्रीटिग्स फ्रॉम द हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया। मैं डॉ. के. के. अग्रवाल। पिक्चर अभी बाकी है। द शो मस्ट गो ऑन। आई रिप्रजेंट द कलेक्टिव कॉनशियसनेस ऑफ मेडीकल प्रोफेशन। ईवन आइम सफरिंग फ्राम कोविड। आइएम हैविंग कोविड नियोमिना विच इस प्र्रोगेसिव मगर हमें राजकपूर के शब्दों को याद करना होगा, शो मस्ट गो ऑन। हमें इस क्रायशिस से लोगों को निकालना ही होगा। एक एक करके मरीज देखने का अब वक्त नहीं है। हमें 100 100 मरीजों को एक साथ देखना होगा।”
कोरोना के भय पर प्रहार करते हुए ऑक्सीजन सपोर्ट पर होकर भी जिजीविषा का उद्घोष करते ये ऊर्जा भरे शब्द थे देश के ख्यातिनाम हृदयरोग चिकित्सक डॉ. के. के. अग्रवाल के। पदमश्री डॉ. अग्रवाल का हृदय मानवीय संवेदनाओं से किस कदर भरा हुआ था ये कोरोना आपदा के समय उनके दिनरात परामर्श देते वीडियो में पूरे देश ने देखा था। हर दिन कोरोना से लाखों मरीजों की जान बचाते हुए डॉ. के. के. अग्रवाल खुद अपना पूरा ख्याल नहीं रख सके। देश भर के चिकित्सकों का निरंतर ऑनलाइन मार्गदर्शन करने वाले डॉ. अग्रवाल को कोरोना हमसे छीन ले गया है। ये देश के चिकित्सा जगत पर किसी वज्रपात से कम नहीं है मगर जैसा की उन्होंने कहा था कि पिक्चर अभी बाकी है तो डॉ. के. के. अग्रवाल का परिवार और उनकी मेडीकल टीम अभी भी उनके पदचिन्हों पर चलते हुए कोरोना के खिलाफ निरंतर चिकित्सकीय परामर्श दे रही है। आज के इस लेख में हमारे असल जिंदगी के ऐसे ही नायक की जिंदगानी पर खुलकर बात।
डॉ. के. के. अग्रवाल अग्रवाल का जन्म पांच सितंबर, 1958 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय के तहत एमजीआईएमएस, सेवाग्राम से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी, जहां उन्हें 1979 में सर्वश्रेष्ठ स्नातक छात्र घोषित किया गया था। जब वे आइएमए के अध्यक्ष रहे तब आईएमए के मुख्यालय में उन्होंने आमजन के हित में इलाज को आसान बनाने का प्रयास किया। उन्होंने जरुरतमंदों के लिए जन औषधि केंद्र और एक ओपीडी शुरू की थी जिससे निशुल्क चिकित्सकीय सलाह और सस्ती दवाएं दी जातीं थीं। वे देश की राजधानी में दर्जेेदार चिकित्सक होने के बाबजूद सबसे नीचे पायदान वाले मरीज के उपचार के लिए हमेशा सोचते रहते थे। वे चाहते थे कि देश में हर आदमी को सबसे सस्ता और सबसे जल्दी सबसे बेहतरी चिकित्सा मिल सके। इसके लिए उन्होंने अपनी क्षमताओं और सीमाओं से पार जाते हुए निरंतर काम किया। देश के महान सपूत डॉ. के. केे. अग्रवाल का मानना था कि देश के हर व्यक्ति को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि देश में सबसे अधिक मौतें हार्ट अटैक से होती है। वे कहते थे कि हार्ट अटैक में सीपीआर जीवनरक्षक है। अगर अटैक होने पर तुरंत सीपीआर दी जाए तो बहुत मरीजों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने पुलिस, एंबुलेंस कर्मियों और जगह-जगह स्कूलों में जाकर सीपीआर का प्रशिक्षण दिया।
चीन में जब कोरोना आया तो उसके बाद से ही डॉ. के. के. अग्रवाल ने कोरोना के बारे में मेडीकल वीडियो बनाकर चिकित्सकों को मार्गदर्शन देना शुरु कर दिया था। अंग्रेजी में दर्ज चिकित्सा के महत्वपूर्ण सूत्रों का सरलीकरण करने के लिए डॉ. के. के. अग्रवाल को हमेशा ही श्रद्धापूर्वक याद किया जाएगा। चिकित्सा के अध्येता डॉ. अग्रवाल जानकारियों और सावधानियों को जन जन तक पहुंचाने की संवादकला के बड़े जानकार थे। वास्तव में सवा अरब आबादी वाले भारत देश में जहां प्रति 25 से 30 हजार जनसंख्या पर एक चिकित्सक भी नियुक्त नहीं है वहां डॉ. अग्रवाल ने बताया कि ऐसे में इलाज के लिए चिकित्सक को कैसे जनसंचार करना चाहिए। उन्होंने आपदा में जब देश भर के चिकित्सकों पर मरीजों के इलाज का भारी दवाब था सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग करते हुए जनता को कोरोना के प्रति जागरुक किया। माइल्ड और मोडरेट कोरोना केस को कौनसी सावधानियां रखते हुए सीवियर कोरोना में तब्दील होने से बचाना है ये उन्होंने देश के जन जन को अपने मेडीकल वीडियो के जरिए बताया। जब देश में ऑक्सीजन और रेमेडिसिविर इंजेक्शन के लिए चारों तरफ से दवाब आया तब डॉ. अग्रवाल ने भयाक्रांत आम जनता को समझाया कि उनमें से हर किसी को ऑक्सीजन बेड और रेमेडेसिविर की जरुरत नहीं है। इस तरह से डॉ. अग्रवाल ने देश के चिकित्सा तंत्र को कोरोना से फैली अराजकता से बचाने दिन रात मेहनत की। उन्होंने बहुत ही सामान्य भाषा में लोगों को इसके बारे में जानकारी देने का काम किया जिससे लोग कोरोना के प्रति सचेत और जागरूक भी हुए। कितने ऑक्सीजन लेवल पर, कितनी सीआरपी और कितनी एचआरसीटी वैल्यू पर क्या इलाज देना बेहतर होगा इस मामले में उन्होंने अनुभव से लाखों चिकित्सकों का निरंतर मार्गदर्शन किया।
समग्र रुप से कहें तो उन्होंने कोरोना फोबिया को काफी हद तक वनमैन आर्मी बनकर खत्म करने का निरंतर प्रयास किया और वे बहुत हद तक इसमें सफल भी रहे। देश में निश्चित ही जो लाखों लोग घर पर आइसोलेट होकर इलाज कराते हुए स्वस्थ हुए हैं उनमें से हर दूसरे ने डॉ. के. के. अग्रवाल के वीडियो देखे हैं, उनकी बताई सावधानियों से खुद और अपने परिवार में कोरोना फैलने से रोका है। निश्चित ही डॉ. अग्रवाल ने कोरोना की इस दूसरी महामारी के चरम पर देश भर के लोगों को कोरोना के खिलाफ शिक्षित और सचेत किया और इससे लाखों लोगों को गंभीर निमोनिया से बचाने में वे सफल भी रहे हैं। आज सोशल मीडिया पर लाखों करोड़ों बार उनके पुराने मेडीकल वीडियो देखे जा रहे हैं। कोरोना कफ्र्यू के बीच उनको श्रद्धांजलि देने के लिए पूरे देश से लोग डॉ. के. केे. अग्रवाल से जुड़ी हुई खबरों और न्यूज बुलेटिन के कमेंटबॉक्स मेें उमड़ रहे हैं और जैसा कि डॉ. अग्रवाल अपने अंतिम वीडियो में कहकर गए थे कि पिक्चर अभी बाकी है, शो मस्ट गो ऑन तो उनकी इसी जिजिविषा को सलाम करते हुए डॉ. के. के अग्रवाल के पेज से ही हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया निरंतर कोरोना के खिलाफ मेडीकल बुलेटिन पहले की तरफ जारी कर रहा है।
हे ईश्वर चिकित्सा जगत की ऐसी पिक्चर हमेशा बाकी रहना चाहिए देश को ऐसे महान सपूतों की हमेशा जरुरत रहेगी इसलिए आप भी ऐसे करुणाशील चिकित्सकों को धरा पर निरंतर उतारकर कहते रहिए शो मस्ट गो ऑन।