डलमऊ (रायबरेली)। जिले के प्रख्यात समाजसेवी और शिक्षाविद् डा0 हरिबख्श सिंह यादव की आठवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में हजारों लोगों ने उपस्थित होकर उन्हें भावभीन श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के संचालक राजेंद्र सिंह यादव ने डा0 हरिबख्श सिंह यादव को मानवीय मूल्यों का पक्षधर बताते हुए समाज के वंचित व दबे कुचले लोगों के लिए किए गए उनके कार्यों को मिल का पत्थर बताया। पुण्यतिथि पर आयोजित संगोश्ठी ‘वर्तमान समय में पिछडों की दशा और दिशा’ पर बोलते हुए जिले के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष श्री रामबहादुर यादव ने कहा कि पिछड़े वर्ग के उत्थान में पिछड़े वर्ग के नेताओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। चैधरी चरण सिंह और मुलायम सिंह यादव ने पिछड़ों को एकजुटकर उन्हें उनका हक दिलाया। इलाहाबाद से पधारे विशिष्ट अतिथि एएन पटेल ने पिछड़े वर्ग के लोगों की राजनीतिक व प्रशासनिक क्षेत्र में कम भागीदारी के लिए पिछड़े वर्ग के स्वयंभू नेताओं और प्रभु वर्ग के लोगों को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि आरक्षण को खत्म करने की भी साजिश चल रही है और पिछड़े वर्ग के नेता चुप्पी साध रखे हैं।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता व स्तंभकार अरविंद जयतिलक ने कहा कि पिछड़े इसलिए पिछड़े नहीं हैं कि पावर अभिजात्य वर्ग के हाथों में हैं बल्कि इसलिए पिछड़े हैं कि वे अपनी सामूहिक चेतना और सांगठनिक शक्ति का भरपूर इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। पिछडों को आरक्षण की राजकीय गुलामी की खोल से बाहर निकलना होगा और साबित करना होगा कि उनकी मेधा शक्ति किसी से कम नहीं है। सिर्फ सरकारों और अभिजात्य वर्ग की आलोचना करके अपने लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता। षिक्षा ही एकमात्र माध्यम है जिसके जरिए बराबरी का हक हासिल किया जा सकता है। पिछड़ों को बराबरी पर आने के लिए राजनीति के अलावा प्रषासनिक व कॉरपोरेट क्षेत्र में भी अपनी भागीदारी बढ़ानी होगी। पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजाराम भारतीय, मन्नूलाल यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामसिंह यादव, शिवमंगल सिंह यादव, रामसेवक वर्मा, अजय यादव, महेश यादव और नवनीत यादव श्रद्धांजलि अर्पित कर अपने विचार व्यक्त किए। लेखक एवं साहित्यकार रामनिवास पंथी ने डलमऊ के इतिहास पर व्यापक प्रकाष डाला। हरिबख्श सिंह यादव स्मृति मंच के सचिव अभिनव सिंह यादव ने कार्यक्रम में आए लोगों का हार्दिक अभिनंदन किया।
अरविन्द जयतिलक का कहना सही है कि केवल शिक्षा से ही पिछड़ों का विकास सम्भव है ,पर क्या आजतक हम गुणवता युक्त शिक्षा को सार्वभौमिक बना सके?उचित शिक्षा का अभाव अगड़ों को भी पीछे धकेल रहा है. शिक्षा दिनों दिन लाल फीता शाही और भ्रष्टाचार के दलदल में फंसती जा रही है और जबतक इनसे निजात नहीं पाया जाता, अधिकतर जन समुदाय के लिए अच्छी शिक्षा मृग मरीचिका ही रहेगा और तब विकास भी सम्भव नहीं है.
एक अन्य बात की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. मुझे इस बात का खेद है कि इस कार्यक्रम में सब उद्धृत नाम केवल यादवों के हैं.आखिर ऐसा क्यों?