क्यूँ रे अज्जू!!!!!!
क्या हो रिया है आजकल काॅलेज में,
क्या माहौल बना है!!
अज्जू:- पीके भाई, काॅलेज का तो तुम पूछो ही मत अभी, अजब माहौल बना बैठा
है आजकल तो!!
पीके:- क्यूँ भाई ऐसा क्या गज्जब हुआ जा रहा है, क्या छात्र वात्र
स्ट्राइक विस्ट्राइक कर बैठे है क्या??
अज्जू:- अरे नही नही स्ट्राइक विस्ट्राइक नही कर रहे है,बस काॅलेज का
माहौल आशिकाना बना दिया गया है।
पीके:- आशिकाना माहौल??
तनिक विस्तार से समझाओं गुरू,आप कहीं इश्क विश्क की बाते तो नही कर रहे हों??
अज्जू:- सही पकडे है पीके भाई, बिल्कुल बिल्कुल मैं आशिकी इश्क मोहब्बत
प्यार की ही बात कर रहा हूँ,
आजकल न तो तुम पूछो ही ना , मतलब बंदा आता है पढाई करने के लिये और किसी
और को ही पढना चालु कर देता है।
माँ बाप बडी आस बडी उम्मीदें पाल कर उसे घर से बाहर भेजते है कि बेटा
हमारा घर से बाहर निकलकर कुछ काम करेंगा कुछ नाम कमायेगा।
लेकिन वह तो कुछ और ही नाम कमाने लग जाता है , मतलब आशिकाना बन जाता है।
पीके:- आशिकाना बन जाता है मतलब??
क्या वो पढता वढता नही है क्या??
अज्जू:- नही नही भाई पढता तो है पर बस वही ईंट के मुहँ मे जीरा बराबर
पढाई करता है, अब आपको एक वाकया बताये हमारे काॅलेज का तो आप कहोगे सही
कह रहे हो,एक लड़का है हमारे काॅलेज में शिखर नाम का, अब वो जब शुरू शुरू
मे आया तो खूब पढता लिखता था, धीरे धीरे उसकी एक महिला मित्र बनी और बंदा
पढना लिखना छोड कर शादी और बच्चे के सपने सजोने लगा।
पीके:- हाहाहाहाहा शादी और बच्चों के सपनें!!!
क्या कह रहे हो आप अज्जू भाई??
अज्जू:- 16 आने सत्य बात कह रहे है पीके भाई,मतलब बंदा पहले अपना समय
लाइब्रेरी में बिताया करता था और अब पिज्जा हट, महिला मित्र को शापिंग,
कभी उसे कुछ गिफ्ट विफ्ट देना और अगर यह कुछ न भी हुआ तो मोबाइल फोन
जिन्दाबाद!!!
बंदा घर से पैसे बुलाता है कि पापा मुझे काॅलेज मे ये लग रहा है, वो लग
रहा है, ये असाइन्मेंट बनाना है तो यह खरीदना है इस तरह से घर वालो से
पैसे मगाता है और उसे अपनी महिला मित्र पर खर्च करता है।
अब माँ बाप को क्या पता कि हमारा लड़का पढ़ने गया है कि पैसे से अपने शौक
और इश्क पूरा करने ।
पीके:- समझ गया समझ गया अज्जू भाई मतलब वो राहत इंदौरी साहब का शेर है न
की ” हमारे पीर तकीमीर ने कहा था कभी- मियाँ ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती
है”।
लडका जब पढाई करना होता है तब पढाई नही करता और फिर बाद में रोते रहता है
कि सरकार हमें नौकरी नही दे रही हम इतना पढे है हमने ये कोर्स किया है,
अब बंदे को कौन समझाये कि मियाँ आपके अंदर कोई काबिलियत हो तो हम आपको
नौकरी दे, डिग्री लेकर तो पूरा देश बैठा है।
आपने इश्क की क्लास की है पढाई के समय पर तो फिर नौकरी में पैसा कँहा से
मिलेगा, आप जाइये इश्क की ही नौकरी करिये।
अज्जू:- चलो देर आये दुरस्त आये, आखिर आप असलियत से तो रूबरू हो गये।
खैर इश्क का भूत है उतर जायेगा जब सिर पर कुछ बोझ बैठेगा, अभी तो वो बस
कुमार विश्वास साहब को गा रहा है कि
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखो में आँसू है।
जो तु समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है।
पीके:- हाहाहाहाहा भाई मोहब्बत जिन्दाबाद,
अब इन आशिकों को कौन समझाये की प्यार महिला मित्रो पर खर्च करने से नही
होता बल्कि प्यार अपने कार्य को सही समय पर पूर्ण करने से होता है।
खैर लगे रहे मोहब्बत जिंदाबाद।
हाहाहाहाहाहा………
पंकज कसरादे