दोहे सुधियां- डा.राज सक्सेना July 10, 2013 by डा.राज सक्सेना | Leave a Comment पोर – पोर थर-थर करे, प्रिय की सुधि से आज | क्या भूलूं उन क्षणों से, हर क्षण प्रिय है ‘राज’ || प्रथम पहर मधुयामिनी , प्रियतम थामा हाथ | पोर – पोर बिहंसा सखी, हर किलोल के साथ || वस्त्रों संग छूटे सभी, तन-मन के तटबंध | अंतरमन तक हो गए, जन्मों […] Read more » सुधियां- डा.राज सक्सेना
दोहे साहित्य सौन्दर्य वर्णन July 5, 2013 by डा.राज सक्सेना | Leave a Comment कृष्ण मेघ से कृष्णता, ले केशों में डाल | उठा दूज का चाँद ज्यों, रचा विधाता भाल | खिची कमान भोंहें रची, पलक सितारे डाल | नयन कटीले रख दिए, मृग से नयन निकाल | तीखी, सीधी और खड़ी, रची विधाता नाक | रक्तवर्ण, रस से भरे, रचे होंठ रस-पाक | चिबुक अनारों से रचे […] Read more » सौन्दर्य वर्णन
दोहे साहित्य दोहों पर दोहे July 5, 2013 by डा.राज सक्सेना | 4 Comments on दोहों पर दोहे उर्दू में है शेर ज्यों, दोधारी शमशीर | हिंदी में दोहा अटल, सही लक्ष्य का तीर | शेरो में शायर भरे, पूरे मन के भाव | इसी भाँति दोहा करे, सीधे मन पर घाव | गजल शेर का एक जुज, हो इनसे परिपूर्ण | पर दोहा है चतुष्पद, भाव भरे सम्पूर्ण | […] Read more » दोहों पर दोहे
दोहे साहित्य मच्छड़ का फिर क्या करें July 2, 2013 by श्यामल सुमन | 4 Comments on मच्छड़ का फिर क्या करें मैंने पूछा साँप से दोस्त बनेंगे आप। नहीं महाशय ज़हर में आप हमारे बाप।। कुत्ता रोया फूटकर यह कैसा जंजाल। सेवा नमकहराम की करता नमकहलाल।। जीव मारना पाप है कहते हैं सब लोग। मच्छड़ का फिर क्या करें फैलाता जो रोग।। दुखित गधे ने एक दिन छोड़ दिया सब काम। गलती करता […] Read more » मच्छड़ का फिर क्या करें
दोहे साहित्य एक अनोखी बात July 1, 2013 / July 1, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment पाँच बरस के बाद ही, क्यों होती है भेंट? मेरे घर की चाँदनी, जिसने लिया समेट।। ऐसे वैसे लोग को, मत करना मतदान। जो मतवाला बन करे, लोगों का अपमान।। प्रत्याशी गर ना मिले, मत होना तुम वार्म। माँग तुरत भर दे वहीं, सतरह नम्बर फार्म।। सत्ता के सिद्धान्त की, एक अनोखी […] Read more » एक अनोखी बात
दोहे साहित्य प्रश्न अनूठा सामने June 29, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment प्रश्न अनूठा सामने, क्या अपनी पहचान? छुपे हुए संघर्ष में, सारे प्रश्न-निदान।। कई समस्या सामने, कारण जाने कौन? मिला न कारण आजतक, समाधान है मौन।। बीज बनाये पेड़ को, पेड़ बनाये बीज। परिवर्तन होता सतत, बदलेगी हर चीज।। बारिश चाहे लाख हों, याद नहीं धुल पाय। याद करें जब याद को, दर्द […] Read more »
दोहे साहित्य नारी बिन सूना जगत June 28, 2013 by श्यामल सुमन | 2 Comments on नारी बिन सूना जगत मँहगाई की क्या कहें, है प्रत्यक्ष प्रमाण। दीन सभी मर जायेंगे, जारी है अभियान।। नारी बिन सूना जगत, वह जीवन आधार। भाव-सृजन, ममता लिए, नारी से संसार।। भाव-हृदय जैसा रहे, वैसा लिखना फर्ज। और आचरण हो वही, इसमें है क्या हर्ज।। कट जायेंगे पेड़ जब, क्या तब होगा हाल। अभी प्रदूषण इस […] Read more » नारी बिन सूना जगत
दोहे साहित्य बस माँगे अधिकार June 25, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment कैसे कैसे लोग से भरा हुआ संसार। बोध नहीं कर्त्तव्य का बस माँगे अधिकार।। कहने को आतुर सभी पर सुनता है कौन। जो कहने के योग्य हैं हो जाते क्यों मौन।। आँखों से बातें हुईं बहुत सुखद संयोग। मिलते कम संयोग यह जीवन का दुर्योग।। मैं अचरज से देखता बातें कई नवीन। […] Read more » बस माँगे अधिकार
दोहे साहित्य सुमन आग भीतर लिए June 19, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment हार जीत के बीच में, जीवन एक संगीत। मिलन जहाँ मनमीत से, हार बने तब जीत।। डोर बढ़े जब प्रीत की, बनते हैं तब मीत। वही मीत जब संग हो, जीवन बने अजीत।। रोज परिन्दों की तरह, सपने भरे उड़ान। सपने गर जिन्दा रहे, लौटेगी मुस्कान।। रौशन सूरज चाँद से. सबका घर […] Read more » सुमन आग भीतर लिए
दोहे साहित्य अस्पताल बीमार June 17, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment पैरों की तकलीफ से वो चलती बेहाल। किसी ने पीछे से कहा क्या मतवाली चाल।। बी०पी०एल० की बात कम आई०पी०एल० का शोर। रोटी को पैसा नहीं रन से पैसा जोड़।। दवा नहीं कोई मिले डाक्टर हुए फरार। अब मरीज जाए कहाँ अस्पताल बीमार।। भूल गया मैं भूल से बहुत बड़ी है भूल। […] Read more »
दोहे साहित्य हिंगलिश दोहे-श्यामल सुमन June 13, 2013 / June 13, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment LIFE MISERABLE हुई, INCREASING है RATE। GODOWN में GRAIN है, PEOPLE EMPTY पेट।। JOURNEY हो जब TRAIN से, FEAR होता साथ। होगा ACCIDENT कब, मिले DEATH से हाथ।। इक LEADER SPEECH का, दूजा करे OPPOSE। दिखती UNITY जहाँ, PAY से अधिक PRAPOSE।। आज CORRUPTION के प्रति, कही न दिखती HATE। जो भी […] Read more » हिंगलिश दोहे
दोहे साहित्य रोटी पहले या खुदा-श्यमाल सुमन June 12, 2013 / June 12, 2013 by श्यामल सुमन | Leave a Comment निर्णय जो भी कोर्ट का मिल सब करें प्रणाम। खुदा तभी मिल पायेंगे और मिलेंगे राम।। मंदिर-मस्जिद नाम पर कितने हुए अधर्म। लोग समझ क्यों न सके असल धर्म का मर्म।। हुआ अयोध्या नाम पर धन-जन का नुकसान। रोटी पहले या खुदा सोचें बन इन्सान।। कम लोगों को राज है अधिक यहाँ […] Read more » रोटी पहले या खुदा