पाकिस्तान के इस्लामाबाद में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क ) की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर खरी – खरी सुनाई है। गृहमंत्री ने आतंकवाद की धरती पर कदम रखते हुए जो वक्तव्य दिया उससे साफ़ तौर पर यह जाहिर होता है कि भारत किसी भी कीमत पर आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीँ करेगा। गृहमंत्री ने पाकिस्तान को दो टूक में कह दिया है कि आतंकवाद कभी अच्छा या बुरा नहीं होता है। बल्कि इससे हमेशा मानवता का नुकसान ही होता है। गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को संरक्षण और पनाह देने वाले संगठनों और देशों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीँ पिछले महीने कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा मारा गया हिज्बुल मुजाहिद्दीन का कमांडर बुरहान वानी को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ द्वारा शहीद घोषित किया जाना भी उस देश की बेशर्मी को दर्शाता है। गृहमंत्री ने कश्मीर की घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि किसी देश का आतंकवादी किसी अन्य देश के लिए शहीद कैसे हो सकता है ? उधर, अमेरिका ने भी भारत का समर्थन करते हुए पाकिस्तान को आतंकवादियों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। वहीँ दूसरी तरफ पाकिस्तान अब भी अपने पुराने रवैये पर कायम है। पाकिस्तान के गृहमंत्री चौधरी निसार अली ख़ान ने कश्मीर के मुद्दे पर ढोंग रचते हुए कहा कि आम जनता के खिलाफ़ हिंसा भी आतंकवाद की श्रेणी में ही आती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने भी सफाई देते हुए कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित है और उससे लड़ रहा है। इससे हास्यास्पद और क्या होगा कि जो देश विश्व की नज़र में आतंक का गढ़ हो और जिसने आतंकवाद को पनाह देना अपनी नीति बना ली हो वह आतंकवाद पर दुनिया को कोई उपदेश दे। पाकिस्तान के इस रवैये से यह तो बिल्कुल साफ़ है कि हमारा पड़ोसी देश आतंकवाद के अलावा विश्व को और कुछ नहीं दे सकता है। गौरतलब है कि हमारा पड़ोसी मुल्क आतंकियों के लिए सबसे सुरक्षित आशियाना बन चुका है। जिस कारण हमें लगातार आतंकी हमलों के साथ-साथ घुसपैठ की घटनाओं से दो-चार होना पड़ता है। चाहे वो 26/11 के मुंबई बम धमाके हो या पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले हों, इसके तार पाकिस्तान से ही जुड़े होते हैं।जिसके पुख्ता सुबूत भारत के पास मौजूद है इसके बावजूद भी हमारा पड़ोसी मुल्क लगातार आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा रवैया अख्तियार करता रहा है और विश्वपटल पर अपनी छवि ऐसी प्रकट करता है मानो उससे ज्यादा आतंकवाद को लेकर कोई गंभीर हो ही नहीं सकता है। बहरहाल,पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के तार ना सिर्फ भारत और अफ़ग़ानिस्तान से जुड़े हैं बल्कि हाल ही में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले के बाद जो साक्ष्य सामने हैं वो भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि इसमें भी पाक के ही आतंकी थे । लेकिन जब किसी मंच पर आतंकवाद की बात उठती है तो पाकिस्तान इससे दूरी बना लेता और कश्मीर का राग अलापने लगता है साथ ही अगर किसी मामले में उसकी करतूत का पर्दाफाश हो जाता है तो उसपर पाक बड़ी बेशर्मी के साथ भारत से शांति वार्ता की दलील देने लगता है। इन सबसे जाहिर है कि पाक अपनी नापाक हरकतों से बाज आता नहीं दिख रहा है और हाल ही में कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा मारे गए आतंकी बुरहान वानी को शहीद का दर्जा देना उसकी आतंकवाद के प्रति आस्था को दर्शाता है। इन सब मसलों के उपरांत पाकिस्तान यह समझ चुका था कि भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इन सब मसलों को अपने दक्षेश संबोधन में उठाएंगे व पाक को लताड़ेंगे। इसको देखते हुये पाक ने उनके भाषण के प्रसारण पर ही रोक लगा दी। जो अंतराष्ट्रीय शिष्टाचार का उल्लंधन है। खैर,भारत की मजबूत सरकार हर मंच से पाक के नापाक हरकतों को उजागर कर रही है,जो काबिलेतारीफ है। दक्षेश सम्मेलन में भारत के गृह मंत्री ने पाकिस्तान को तो तमाचा मारा है उसकी गूंज दूर तक सुनाई देगी।