16 मई का परिणाम चाहे जो भी हो, परिणाम चाहे जिसके भी पक्ष में क्यों न हो! आम चुनाव के परिणाम के पश्चात् चाहे कोई पार्टी सरकार के गठन में क्यों न सक्षम हो और उसके पक्ष का प्रधनमंत्राी कोई भी हो! मगर आज देश का बच्चा, युवक और बूढ़ा सभी के जुबा पर एक ही नाम है, मोदी! घोर विरोधी और कट्टर आलोचकों के घरों में और उनके बच्चों के जुबान पर आज सिर्फ और सिर्फ मोदी का नाम है। विषय आरोप लगाने का, राजनीतिक रूप से घेरने का अथवा मोदी में आशा और विश्वास जताने का हो! भाषण से जोश भरने, देश प्रेम और राष्ट्र प्रेम के लिए जज्बा पैदा करने का हो अथवा, एक अनूठे और जुदागाना शैली में जनमानस को संबोधित करने का हो। बेहतरीन कपड़े पहने और फैशन को बढ़ावा देने का! अच्छे दिन के वादों का आश्वासन हो! सेवक के रूप में वर्तमान से अलग हटकर कुछ नया करने का जज्बा और आशा पैदा करना! मोदी का अंदाज अगर सभी को नहीं तो, फिर भी देश की बड़ी संख्या को लुभाता है। जोश पैदा करता है। निराशा से दूर आशा और उम्मीद जगाने वाला होता है।
2014 का आम चुनाव मेरे होश का सातवाँ आम चुनाव है। जिसे मैं बड़े ही करीब से देख रहा हूं और दिन प्रतिदिन क्या पल पल कुछ नया और अलग दिखाई दे रहा है। और यह घटनाक्रम मैं ही नहीं बहुतों के लिऐ भी नया और अनोखा होगा। मगर इस आम चुनाव का नायक नरेन्द्र भाई मोदी ही दिखाई दे रहे हैं। जितना उन्हें घेरने और उन पर आरोप लगाने का प्रयास हो रहा है। वह उतना ही शक्तिशाली दिखाई पड़ने लगे हैं। जितना उन पर प्रहार किया जाता है। वह उतना ही आक्रामक दिखाई देने लगे हैं। कोई ऐसी पार्टी और कोई ऐसा राजनेता नहीं है जो मोदी पर प्रहार नहीं कर रहा हो। क्षेत्राीये दल हो अथवा राष्ट्रीय दल सब के सब जितना बल चुनाव प्रचार पर खर्च कर रहे हैं, उससे अधिक मोदी को घेरने और बदनाम करने में खर्च कर रहे हैं। मोदी के कारण राजनीति रूप से घोर विरोधियों ने भी आपस में हाथ मिला लिया है। कई जगहों पर, अल्पसंख्यकों को डराने का काम और मोदी के विरोध में चुनाव से हटने का सिलसिला जारी है। अल्पसंख्यकों को मोदी के नाम पर डराने और उनके सत्ता में आने के उपरांत उत्पन्न स्थिति से अन्य पार्टियां माहौल को खौफनाक बनाने में लगी है। मगर हकीकत यही है कि मोदी ने परिणाम से पूर्व और प्रगधनमंत्राी की कुर्सी पर बैठने से पहले एक खास मुकाम पा लिया है। उनकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ रही है। भारतवासी उनमें समाज ओर भारत के उज्ज्वल भविष्य का स्वप्न सजाने लगे हैं। खास कर उनकी लोकप्रियता किसी एक वर्ग, एक समुदाय तक सीमित न रहकर चारों ओर दिखने लगी है। बेहतरीन टीम के साथ मोदी 2014 को पफतह करने में जी जान से लगे हैं। जिन्हें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों से न केवल चुनौती मिल रही है, बल्कि व्यक्तिगत हमलों का भी सामना पल-पल करना पड़ रहा है। अगर मोदी 2014 को फतह नहीं भी कर पाते हैं तो भी उन्हें विजयी ही माना जाएगा।
फितरात अफराद से एग़माज़ कर लेती है!
नहीं करती कभी मिल्लत के गुनाहों को माफ!
कहता हूं वही बात, समझता हूं जिसे हक!
ने अहल मस्जिद हूं, न तहजीब को फरजनद!
अपने भी खफा मुझसे हैं, बेगाने भी नाखुश!
मैं जहर-ए-बेलावल को कभी कह न सका कनद!
मेरी लो देती जवानी की कहानी मत पूछ!
मुझको एहसास की शिद्दत ने जला रखा है!
शहीद-ए-शब-फकत अहमद फराज ही तो नहीं!
के जो चराग बेकफा था, वही निशाना हुआ!
बिलकुल दुरुस्त फरमा रहे हैं फखरे आलम साहब, मोदी जी ने पूरे चुनाव का रुख ही एक तरफ़ा कर दिया है। राजनीति के उस्तादों से लेकर जन मानस तक सिर्फ मोदी मोदी की रट लगाए हुए है। बहुत सुन्दर और सटीक विश्लेषण।
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सादर,