भारतीय जनता पार्टी के गोवा सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी ने जब चुनाव समिति के अध्यक्ष बननें का अश्वमेघ अनुष्ठान सफलता पूर्ण संपन्न किया तब उन्होंने कहा कि वे “ विश्वास को फलीभूत करेंगे और कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करेंगे.” राजनीति में या सार्वजनिक जीवन में कई अवसर ऐसे आते हैं और समाज या राष्ट्र के सामनें बड़ी लाइन खींच रहे व्यक्तियों के सामनें तो अक्सर ही ऐसे अवसर आते है जब उनकें सम्पूर्ण भाषण को नहीं बल्कि उसके एक हिस्से या पंच लाइन मात्र से ही उस उद्बोधन का अर्थ प्रकट हो जाता है। उस पंच लाइन या सूत्र वाक्य की सम्पूर्ण परिवेश में चर्चा भी होती है और सन्दर्भों-प्रसंगों को भी उस पंच लाइन में ढाल दिया जाता है। यदि गोवा सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी के भाषण में उनके द्वारा कही गई पंच लाइन को खोजे तो हमें यह शब्द ही मिलते हैं-“विश्वास को फलीभूत करेंगे और कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करेंगे”। आज जब भाजपा एक नए अंदाज और उत्साह से लबरेज होकर आगामी पांच राज्यों के विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए अपनी कमरपेटी कसनें जा रही है तब इस बात पर विचार करना होगा कि नरेन्द्र मोदी के भाषण में कही गई इस अवधारणा “कांग्रेस मुक्त भारत” का अर्थ आखिर है क्या? वे कौन से तत्व, परिस्थितियाँ, अवधारणायें, दृष्टिकोण और व्यवहार हैं जो कांग्रेस लगातार अपनाएँ रही और इनमें पुरे देश की ऊर्जा का अनुत्पादक मंथन करती रही? परम्परागत भाजपाई और इसके समवैचारिक संगठनों और इसके कार्यकर्ताओं को यह लाइन और इसमें निहित अंतर्तत्व मूड ठीक करनें वाला लग रहा है कि “विश्वास को फलीभूत करेंगे”.
कांग्रेस मुक्त भारत का अर्थ कांग्रेस की भांति आचरण से अलग और भिन्न आचरण प्रस्तुत करनें से है ऐसा माना जाना व्यवस्थित और जायज प्रतीत होता है। नमो भी समझ ले, और उनकें सहारें दिल्ली के तख़्त पर चढ़नें जा रही भाजपा भी समझ ले और अपनें नीति नियंताओं को भी समझा दे कि अब सभी को नमो के इस सूत्रवाक्य की आत्मा को न केवल पहचानना और उसे आत्मसात करना होगा बल्कि इन शब्दों को ब्रह्म भी मानना होगा।
नरेन्द्र मोदी का जो आचरण व्यवहार, राजनीति की शैली और शासन-प्रशासन का तरीका रहा है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस मुक्त भारत का अर्थ है भ्रष्टाचार मुक्त, संवेदन शील और तेज प्रशासन। गुजरात में जिस प्रकार नमो ने पिछले दस वर्षों में तेज विकास, आर्थिक प्रगति की है और व्यवधान मुक्त यानि हर्डल फ्री ओद्योगिक वातावरण बनाया है वैसा कांग्रेस के राज में संभव ही नहीं है। विभिन्न प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देश भर में निर्णय करनें और क्रियान्वयन की की एक सामान्य मंदगति जो हमारी पीढ़ी की आदत में आ गई है उससे मुक्ति ही गुजरात के तेज-अनूठे विकास का कारण है और संभवतः यही कांग्रेस मुक्त भारत की एक विशेषता भी है। कांग्रेस मुक्त भारत की परिभाषा में यदि केवल इतना ही आता तो भाजपा के लिए कोई जद्दोजहद, उलझन, पेशोपश और कश्मकश की बात थी ही नहीं कांग्रेस मुक्त भारत का अर्थ बहुत व्यापक और विस्तृत है। भाजपा को अपनें इस प्रिय और लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी के इस उद्दरण प्रतीकात्मक शब्द के लिए अपनें आपको तैयार भी करना होगा और इस विकराल और विशाल अर्थों वालें सूत्रवाक्य के लिए अपनें आपको बदलना, समेटना भी होगा। नरेन्द्र मोदी की भाजपा और उसके सभी खांटी समवैचारिक संगठन यदि कांग्रेसी शासन में किसी बात का स्वप्न भी नहीं देख पाते हैं तो वह है अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा को राम मंदिर के प्रांगण के रूप में देखना इस सपनें को साकार करना ही कांग्रेस मुक्त भारत है! यदि कांग्रेस मुक्त भारत का स्वप्न साकार होना है तो वह होगा कश्मीर में धारा ३७० की समाप्ति के आधार पर!! कांग्रेस मुक्त भारत का अर्थ है इस देश में गौवंश ह्त्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध!!! कांग्रेस मुक्त भारत का अर्थ है समान नागरिक संहिता, निर्मल गंगा का एक बड़ा सार्थक अभियान, तुष्टिकरण की समाप्ति! कांग्रेस मुक्त भारत जैसा शब्द तभी सार्थक होगा जब इस देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों का आना रूक पाए और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को मुख्य धारा में समावेशित करनें के लिए एक ठोस राष्ट्रीय नीति का निर्माण हो कश्मीर, अरुणाचल सहित देश की सभी की सीमाएं पूर्ववत हों.
यदि हमें कांग्रेस मुक्त भारत बनाना है तो हमें देखना होगा कि विभिन्न बहुसंख्यक विषयों पर देश के अन्दर पिछले दशकों में जो एक प्रकार का अटपटेपन और असहजता का वातावरण बन गया है वह ख़त्म हो। इस देश का आम आदमी हो या प्रधानमन्त्री कोई यह कहनें का दुस्साहस करे कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक़ अल्पसंख्यकों का है तो वह “कांग्रेस युक्त भारत” है और यदि इस प्रकार की वोट आधारित तुष्टिकरण की राजनीति के घृणित जुमलें बंद हो तो वह कांग्रेस मुक्त भारत है। ऐसे अनेकानेक प्रावधान, प्रतिबद्धताएं और प्रक्रियाएं है जिनसे मुक्ति ही कांग्रेस मुक्त भारत की अवधारणा को क्रियान्वित और चरितार्थ कर पाएगी!! किन्तु यहाँ पर लाख टके का सवाल यह है कि भाजपा इस सब के लिए मानसिक रूप से तैयार है भी या नहीं। नरेन्द्र मोदी के करिश्में के सहारे से और नमो को मिल रहें देशवासियों के विश्वास और प्यार के कारण से भाजपाई नेता उन्हें दिल्ली के सत्ता सदन तक पहुँचानें की क्षमता के कारण अपना नेता मान रहें हैं। सत्ता आधारित राजनीति में ऐसा होना कोई नया विषय नहीं और अचम्भा भी नहीं किन्तु देश की सामान्य जनता जो नमो में अपनें नेता को खोज रही है और भारतीय जनता पार्टी का परम्परागत मतदाता; नरेन्द्र मोदी में केवल दिल्ली की सत्ता का चेहरा नहीं देखता है और न ही उसे राजनीतिज्ञों की भांति सत्ता का सुख और स्वाद पता है। आम परम्परागत भाजपाई मतदाता और नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा को मतदान करनें की मानसिकता में आ रहा मतदाता यदि किसी तत्व से प्रेरणा ले रहा है तो वह सचमुच कांग्रेस मुक्त भारत ही है। भाजपा के सभी छोटे बड़े नेताओं और नमो को भी यह समझना और स्मरण रखना ही होगा कि भाजपा का पुराना संस्करण जिन आदर्शों, विषयों, मुद्दों और विचारों के आधार पर अपनी राजनैतिक जमीन बनाता आया है; नए संस्करण को भी वहीँ लौटना और पुरानें खांटी पन पर आना होगा। यद्दपि नमो का आचरण, प्रतिबद्धता, प्रकटीकरण और वैचारिक प्रखरता जिस प्रकार से इस देश के देखनें में आई है उसमें यह स्पष्ट ही परिलक्षित होता है कि वे स्वयं इस कांग्रेस मुक्त भारत के सपनें को देखते बुनते ही सांस लेते और जीवन जीते हैं तथापि समूची नई संस्करण वाली भाजपा को भी नमो के इस स्वप्न को साकार करनें और उसे सगौरव देखनें की मानसिकता में आनें की प्रचंड प्रतिबद्दता दिखानी ही होगी और दुस्साहसी होनें की दुदुम्भी बजानी होगी तभी वे अपनें आपको नमो की दिल्ली में बैठा देख पायेंगे।
लोगों को गलतफहमी है की मोदी भाजपा का पर्याय है और जो लोग व्यक्ति का गुणगान कर रहे है वे सांघिक मूल्यों का अवमूल्यन कर रहे है –
वैसे अब भाजपा भी वह नहीं रही जिसके लिए लोगों के मन में कभी एक स्थान था
इसलिए कोई व्यक्ति दल को जीता नहीं पायेगा
एक उपाय है की काफी अच्छे लोगो को टिकट दिए जायें तो संभव है की बीजेपी की छवि कुछ सुधरे पर जरूरी है की बीजेपी और सभी दल अपना चरित्र सुधारें
देश किसी दल से बड़ा होता है
और कोई व्यक्ति अपने दल से बड़ा नहीं हो सकता है जो सिद्ध करने की हताश कोशिश की जा रही है
लोगों को गलतफहमी है की मोदी भाजपा का पर्याय है और जो लोग व्यक्ति का गुणगान कर रहे है वे सांघिक मूल्यों का अवमूल्यन कर रहे है –
वैसे आब भाजपा भी वह नहीं रही जिसके लिए लोगों के मन में कभी एक स्थान था
इसलिए कोई व्यक्ति दल को जीता नहीं पायेगा
एक उपाय है की काफी अच्छे लोगो को टिकट दिए जायें तो संभव है की बीजेपी की छवि कुछ सुधरे पर जरूरी है की बीजेपी और सभी दल अपना चरित्र सुधारें
देश किसी दल से बड़ा होता है
और कोई व्यक्ति अपने दल से बड़ा नहीं हो सकता है जो सिद्ध करने की हताश कोशिश की जा रही है
Aar singh jee inki आँखों पर भाजपा और मोदी का चश्मा लगा हुअहै इनको हुनाव में मात्खाने तक कुछ भी नजर नही ayega.
(१) स्वच्छ भ्रष्टाचार रहित प्रदेश मंत्री? गांधी नगर से पोषित भ्रष्टाचार का घटकर न्यूनतम होना?
(२) २४ घंटे प्रतिदिन पानी की उपलब्धि?
(३) सडकों का निर्माण एवं सुधार?
(४) बिजली की २४ घंटे उपलब्धि?
सडक–बिजली—और– पानी यह घोषणा को ही समाप्त कर दिया?
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बताइए क्यों गांधी नगर में, आप मुख्य मंत्री को बिना पूर्व निर्धारित समय, भेंट कर सकते हैं।
जब सूरत में बाढ आयी थी, तो नरेंद्र मोदी का कार्यालय सूरत पहूंच गया था।
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सुमित्रा कुलकर्णी,( गांधी जी की पोती) भी, क्यों मोदी जी की प्रशंसक है? तनिक सोचिए।
भारत की यही शताब्दी है, ऐसी भविष्यवाणी है।
लगता है —-नरेंद्र, भविष्यवाणी को पूरी करने आया हुआ दूत है।
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एक नरेंद्र १८९३ में भारत का शंख फूंक आया था, चिकागो में, उसकी ऊष्मा आज तक विश्व में, हमारा सम्मान कर रही है।
आज दूसरा भारत माँ का सेवक नरेंद्र ही, शासकीय क्रांति करने की ठान बैठा है।
स्वयमेव मृगेंद्रता – है स्वयमेव नरेंद्रता — अंत होगी दरिद्रता।
यह मिकी माउस दिल्ली का –बिना पूंछ के चूहों का शासन समाप्त करनेका अवसर है।
अषाढ चूकनेका समय नहीं है।
यदि चूके तो मरे!
प्रवीण भाई को शतशः धन्यवाद।
ऐसे तो यह बीजेपी का विशेषाधिकार है क़ि वह अपने लिए कोई भी नारा चुने ,पर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा अगर सर्वोपरि हो जाता है,तो इससे यह कतई पता नहीं चलता क़ि नमो भ्रष्टाचार मुक्त भारत भी चाहते है.. भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात शायद नमो कर भी नहीं सकते हैं,क्योंकि उन्होंने अपने राज्य में एक निष्पक्ष लोकायुक्त नहीं दिया. जन लोकपाल और सिटिजन चार्टर के बारे में भी वे चुप हैं.