मांसाहारी भारत?

दुनिया में सबसे ज्यादा शाकाहारी किस देश में रहते हैं? जाहिर है कि भारत में रहते हैं। दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं हैं, जिसके लाखों-करोड़ों नागरिकों ने अपने जीवन में मांस, मछली, अंडा जैसी कोई चीज़ कभी खाई ही नहीं। दुनिया का ऐसा कौन सा देश है, जिसमें इन पदार्थों को ‘अखाद्य’ (न खाने योग्य) माना गया है? भारत के अलावा कोई भी नहीं।

मैं दुनिया के लगभग 80 देशों की यात्रा पिछले 50 साल में कर चुका हूं। कई देशों में तो लोगों को यह समझाने में बड़ी मुश्किल हो जाती थी कि मैंने कभी मांस, मछली, अंडा खाया ही नहीं। वे पूछते रह जाते कि यदि यह सच है तो आप इतने तगड़े और स्वस्थ कैसे हैं? चीन, जापान और कोरिया जैसे देशों में भाषा की अनभिज्ञता के कारण मुझे भूखे ही रह जाना पड़ता था। मेरा वजन घट जाता था।

लेकिन देखिए, अब कैसा मजाक हो रहा है। एक महान राष्ट्रवादी अंग्रेजी अखबार ने आज शीर्षक दिया है कि ‘भारतीय लोग बेहतर खाने लगे हैं, मांस और अंडों की खपत बढ़ गई।’ वाह क्या खूब? क्या मांस और अंडे बेहतर भोजन है? क्या यह गर्व की बात है?

आज ही अखबारों में एक विदेशी विश्वविद्यालय की खोजी रपट छपी है, जिसमें पाया गया है कि शाकाहारियों का जीवन लंबा होता है और मांसाहारियों के मुकाबले उन्हें बीमारियां कम होती हैं। यह तो शाकाहार का व्यावहारिक भौतिक पक्ष है लेकिन इसका नैतिक और अध्यात्मिक पक्ष इससे भी अधिक प्रबल है। बिना किसी जीव की हिंसा किए बिना मांस प्राप्त नहीं किया जा सकता। अपना पेट भरने के लिए किसी अन्य प्राणी के प्राण क्यों लिए जाएं?

कौन से धर्मग्रंथ में लिखा है कि यदि आप मांस नहीं खाएंगे तो आप घटिया हिंदू, घटिया मुसलमान, घटिया ईसाई या घटिया सिख माने जाएंगे? जहां तक बलि देने का प्रश्न है यदि अपने बेटे की जगह हजरत इब्राहीम एक भेड़ को रख सकते हैं तो भेड़ या बकरे या भैंसे की जगह आप एक कद्दू या एक नारियल को क्यों नहीं रख सकते? महर्षि दयानंद सरस्वती ने अब से लगभग डेढ़ सौ साल पहले अपनी पुस्तक ‘गोकरुणानिधि’ में आंकड़ों और तर्कों के आधार पर सिद्ध किया था कि अपने पशुओं को जिंदा रखकर आप ज्यादा खाद्यान्न जुटा सकते हैं और उन्हें मार डालने की बजाय जिंदा रखना आर्थिक दृष्टि से भी बहुत लाभदायक होता है।

मैं तो वह दिन देखना चाहता हूं कि भारत में किसी मांसाहारी को ढूंढना ही मुश्किल हो जाए। सभी जातियों और सभी मजहबों के लोग शाकाहारी बन जाएं। यह काम कानून से नहीं हो सकता है। यह समझाने से, संस्कार डालने से, प्रेम से हो सकता है। क्या मेरे-जैसे लोग कानून के डर से मांस नहीं खाते?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here