

जब पूरी दुनिया में आईएसआईएस रूपी खूखांर आतंकी संगठन और उसके नेता बगदादी का संकट पूरी दुनिया में सिर चढकर बोल रहा हे तथा अब दूसरी ओर मध्य एशिया में ईरान- सऊदी अरब के बीच तनाव सिरे चढ़ रहा है उस समय पूरे विश्व को उत्तर कोरिया के एक पागल तानाशाह शासक किम जोंग उन के हाइड्रोजन बम का परीक्षण करके पूरी दुनिया को चोंका दिया है। तानाशाह सरकार ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण सम्बंधी समाचार राष्ट्रीय चैनल के माध्यम से पूरी दुनिया को दिया। कोरिया के कदम से पूरी दुनिया सकते में आ गयी है। उक छोटे से गरीब देश के तानाशाह ने दुनिया के आगे झुकने को स्वीकार नहीं किया। किम जोंग को साफ पता था कि पूरी दुनिया उनके कदमों का कभी स्वागत नहीं करेगी इसीलिए उसने ऐसा पागलपन कर दिखाया है जिसका असर भी दुनिया पर साफतौर पर नजर आ रहा है। कोरिया के बम परीक्षण के असर से दक्षिण कोरिया और जापान तक 5.1 तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किये गये।
संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित पूरी दुनिया में निंदा की गयी। जबकि उत्तर कोरिया के सरकारी प्रवक्ता ने अमेरिका को खुली चेतावनी दे डाली है। निश्चय ही उत्तर कोरिया का यह कदम मानवता के खिलाफ उठाया गया बेहद खतरनाक कदम है। उत्तर कोरिया का जन्मजात दुश्मन उसका पड़ोसी दक्षिण कोरिया है। कोरियाई्र नेता अक्सर दक्षिण कोरिया को तबाह और बर्बाद करने की धमकी देता रहता है। कारण साफ है कि आज दक्षिण कोरिया बड़े – बड़े झंझावतों को झेलते हुए आर्थिक रूप से संपन्न और शक्तिशाली बन चुका है। वहां पर गरीबी और बेरोजगारी का नामोनिशान तक नहीं है। जबकि उत्तर कोरिया एक बेहद गरीब और बेरोजगारी तथा बीमारियों का दंश झेलता देश है।उत्तर कोरिया में एक पागल तानाशाह की सरकार है जिस पर किसी का भी वश नहीं चल सकता । वहां पर केवल और केवल किम जांेग उन का फाईल पर हस्ताक्षर ही एकमात्र सत्य होता है। किम के लिए मानवता कोई चीज नहीं है। यही कारण है कि आज पूरी दुनिया किम के पागलपन से भयभीत हुई जा रही है। जिसमें सबसे अधिक दक्षिण कोरिया और फिर जापान भी भयभीत हो रहे है।उत्त्तर कोरिया इससे पहले 2006,2009 और 2013 में भी परमाणु बम का परीक्षण कर चुका है और प्रतिबंधों का दंश झेल चुका है। लेकिन वह अपने पूर्व इतिहास से डरा नहीं और अपना काम कर दिखाया। आज वर्ष 2016 की शुरूआत में जितनी भी भविष्यवाणियां आयी हैं उनमें से अधिकतर ने इस वश व आने वाले समय को आतंकवाद, युद्ध, गृहयुद्ध और सत्ता परिवर्तनों का समय घोशित कर रखा है।
लगता है कि जो वैश्विक परिस्थितियां बन रहीं हैं उसमें अब कुछ भी, कहीं भी, कभी भी बड़ी घटनायें घटित हो सकती है। विश्व नये तनाव की ओर बढ़ रहा है। आज पूरा विश्व उत्तर कोरिया की हरकत का विरोध कर रहा है। कारण है कि वह इतनी गरीबी को झेलते हुए परमाणु शक्ति सम्पन्न देश ही नहीं बना अपितु हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर के वह एक बड़ी ताकत बन गया है ओर एक ऐसी ताकत जिसका नेतृत्व तानाशाह के हाथ में हैं । किम की इस हरकत की निंदा चीन ने भी की है। उत्तर कोरिया ने उक्त हाइड्रोजन बम का परीक्षण प्युंग्यये- री परमाणु परीक्षण केंद्र के पास उक्त बम का परीक्षण किया । विश्व में करीब 270 केंद्रो और प्रयोगशालाओं में भूकंपीय तरंगों को मापा गया। पूर्व में 2006 के परीक्षण के दौरान 4.1,2009 में 4.5 और 2013 में 5.1 और अब 2016 में एक बार फिर 5.1 तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किये गये। अभी तक हाइड्रोजन बम की ताकत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस के ही पास थी अब इस सूची में उत्तर कोरिया भी शामिल हो गया है। भारत ने 11 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण करे पूरी दुनिया को चोंकाया था। तब भारत को भी पूरी दुनिया के प्रतिबंधों का दंश झेलना पड़ा था। इस बम को थर्मोन्यूक्लियर भी कहा जाता है।इसमें श्रृंखलाबद्ध अभिक्रिया होती है। इसमें हाइड्रोजन के दो समस्थानिक ट्राइटियम और डयूटेरियम होते में फ्यूजन (संलयन) होता है। इसी फ्यूजन से ही अधिक शक्तिशाली विस्फोट होता है। इसके लिये अधिक ताप की आवश्कता भी होती है। उत्तर कोरिया के बम परीक्षण से यह साफ पता चलता है कि अब परमाणु व और अधिक शक्तिशाली बमों को बनाने की तकनीक हासिल करना कोई बहंुत अधिक कठिन नहीं रह गया है। अगर इस प्रकार के हथियार और बम तस्करी व चोरी के सहारे बगदादी व अलकायदा जैसे लोगों के हाथ लग जायें तो पूरी मानवता तहस- नहस हो जायेगी।
मृत्युंजय दीक्षित