बीसवीं सदी में भारतीय इतिहास के छः काले पन्ने : भाग 6

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रामदास सोनी

काला पन्ना जो लिखा जा रहा है

यह काला पन्ना अभी पूरा लिखा नहीं गया है। वह हर रोज आगे और आगे लिखा जा रहा है। गत 50-60 सालों से उसे लिखे जाने का कार्य जारी है। भारतवासी गत 1000 सालों से आतंकवाद से लड़ रहे है शायद आपको स्मरण हो तो मोहम्मद बिन कासिम से लेकर मोहम्मद अली जिन्ना तक। और मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर आज तक कितने नाम कितने ही रूपों में हमारे सामने आये है। भारत में दो प्रकार का आतंकवाद है प्रथम : कट्टरपंथी इस्लामिक चिंतन से उपजा आतंकवाद और दूसरा है वामपंथी विचारधारा के विभिन्न संगठनों से उपजा माओवाद और नक्सलवाद। ये देश के विभिन्न हिस्सों में समयसमय पर पनपते रहते है, हमारे रक्षा संगठनों को इनसे 24 घंटे और 365 दिन लड़ना पड़़ता है। दुर्बल और तुष्टिकरण चाहने वाले राजनेता इसके विरूद्ध प्राणांतक प्रहार से न केवल बचाते है बल्कि उन्हे अनुकूलता पैदा हो इसके लिए अप्रत्यक्ष सहयोग भी करते है। रक्षा संस्थाएं अपनी प्रामाणिकता के लिए सीता की भांति आये दिन अग्नि परीक्षा देती रहती है। मानवाधिकार व न्याय व्यवस्था के झण्डाबरदार पुलिस व सेना द्वारा मारे गए लोगो को तारतार कर समझती और जांचती रहती है। किन्तु आतंकवादियों के हाथों मरने वालों पर शायद ही कभी विचार करती है! जे लोग निर्दोष लोगों को मारते है, कमजोरों, बीमारों, बच्चों और महिलाओं को बम से उड़ाते है, वे भला कही मानव हो सकते है। वे हर लिहाज से अमानव है, लेकिन मानवाधिकारवादी और उनके समर्थक तथाकथित बुद्धिजीवी उनका पक्ष लेकर सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ने का काम आये दिन करते रहते है।

आज पूरा विश्व आतंकवाद से जूझ रहा है। कुल आंतक की घटनाओं में से 95 प्रतिशत जेहाद के नाम पर की जाती है। आतंकवादी सब कुछ इस्लाम, अल्लाह और कुरान के नाम का दुरूपयोग करते हुए करते है। वे पूरे विश्व को इस्लाम में बदलना चाहते है। उनका स्वप्न है : दारूल इस्लाम अर्थात विश्व में इस्लाम के अलावा कोई मत, पंथ, धर्म व संस्कृति ना रहे। अन्य मुस्लिम राष्ट्रों को छोड़कर अकेले पाकिस्तान और बांग्लादेश का विचार करेगें तो पायेगें कि ये पीद्दी से देश आतंकवाद की सबसे बड़ी चारागाह है। नवम्बर 2001 में न्यूजलाईन कराची चौंकाने वाले आंकड़े देता है। वह लिखता है कि गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में करीब 20,000 मदरसे चल रहे है जिनमें करीब 3 करोड़ छात्र अध्ययनरत है। 7000 मदरसे देवबंदी धारा से सम्बधित है, अधिकां श; कट्टरपंथी लड़के इसी धारा से तैयार होकर निकले है। चार वर्ष और इससे अधिक उम्र के लगभग 7 लाख विद्यार्थी देवबंदी सम्प्रदाय के धार्मिक विद्यालयों मेंपढ़ रहे है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर मदरसों की संख्या में इसी प्रकार वृद्धि होती रही तो सन 2010-2011 तक मदरसों की कुल संख्या पाकिस्तान सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बराबर हो जायेगी।

देवबंदी से जुड़े कुछ लोगों को कहना है कि उनके मदरसों में बालिग; तरूणाई की उम्र, जो चेहरे पर मूंछों और दाड़ी के बाल देखकर निश्चित की जाती है; होने तक विद्यार्थियों को मूल रूप से कुरान और उसकी व्याख्याऐं पढ़ई जाती है। जब वे बालिग हो जाते है तो उन्हे जेहाद के लिए प्रेरित किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि इन मदरसों में आज भी लगभग 3 लाख विद्यार्थी ऐसे है जिन्हे जेहाद के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मदरसों में सुबह 3 घण्टे और दोपहर में 3 घण्टे निरंतर जो शिक्षा दी जाती है, उसके सम्बंध में श्री अरूण शौरी अपनी पुस्तक पाकिस्तानबांग्लादेश आतंकवाद के पोषक में एक स्थान पर लिखते है कि : कुरान के फायदों पर चली लम्बी बहस के बाद मैने विद्यार्थियों से पूछा कि स्कूल शिक्षा पाने के बाद उनमें से कौनकौन डॉक्टर या इंजीयिर बनना चाहता है? जबाब में सिर्फ दो हाथ खड़े हुए। जब मैनें यह पूछा कि बड़े हाकर जेहाद के लिए कितने लोग लड़ना चाहते है? तब जबाब में हर विद्यार्थी ने अपना हाथ तपाक से उठा दिया। आश्चर्य की बात तो यह है कि इनमें से अधिकतर बच्चों की उम्र 10 साल से कम थी। जब तक धार्मिक शिक्षा के नाम से ऐसी जेहादी शिक्षा बच्चों को दी जाती रहेगी तब तक पाकिस्तान शांति का दावा कैसे कर सकता है? पेशावर के बाहरी हिस्सों में चल रहे मदरसों का मुआयना करके दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम प्रसारित किया गया। इसमें शंकर शरण की पुस्तक द मदरसा क्वेश्चन एण्ड टेररिज्म में कुछ यू उद्धृत किया गया है; गांधी मार्ग, अप्रेलजून 2002: लश्करए-तैयबा को गैर कानूनी संगठन घोषित किए जाने के बाद जो कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे, उन्हे फिर से बसाया गया, जेहाद करने को कहा गया। लश्करए-तैयबा को गैर कानूनी संगठन घोषित करने के एक सप्ताह पहले उसका नेतृत्व छोड़कर सईद व उसके अनुयायियों ने कहा कि उन्होने नये बैनर तले जमातउद-दावा के नाम से नया संगठन खड़ा कर लिया है। जमातउद-दावा के सदस्य अबू मूजाहिद नदीम ने कहा, लश्कर के आंतकवादी कश्मीर में तो सक्रिय है, लेकिन अभी पाकिस्तान में उनका अस्तित्व नहीं है। इसकी कोई जरूरत नहीं है। हम सिर्फ धर्म की शिक्षा दे रहें है। लोगों को हम कुरान के अनुसार शिक्षित कर रहे है, जिसमें जेहाद का आह्वान किया गया है।

पाकिस्तान के उन मदरसों में कुरान के नाम पर जो पढ़या जाता है, वह कुछकुछ इस प्रकार है :

अल्लाह की नजर में सबसे बुरा आदमी वह है जो अल्लाह को नहीं मानता, जो उसमें विश्वास नहीं रखता (8/55)

बच्चों को अल्लाह और कुरान का हवाला देते हुए बताया जाता है कि अपनी गलत धारणाओं की वजह से वे अल्लाह के आदेशों का बेजा इस्तेमाल कर रहे है और वचन भंग कर रहे है। (5/14)

उन्होने ईसा की बात को भी ठुकरा दिया है, जिन्होने उनसे कहा था कि वे अल्लाह की पूजा करें ना कि उनकी। (5/116118)

वे हमेशा छलकपट की फिराक में लगे रहते है

वे गलत तर्को का सहारा लेते हुए कहते है कि वे तो पहले यहूदी या ईसाई थे जबकि सच्चाई यह है कि वे सभी मुस्लिम थे। (जैसा कि कुरान में कई स्थानों पर उल्लेख है उाहरणार्थ 2/149)

वे तुम्हे पथभ्रष्ट करने की कोशिश करते है।

वे सच्चाई को झूठ का जामा पहना कर उसे कना चाहते है।

बच्चों को पाया जाता है कि वे (नास्तिक लोग) अल्लाह और पैगम्बर की निंदा करते है। वे अल्लाह की यह कहकर निंदा करते है कि ईसा मसीह भगवान है और उसकी पूजा करनी चाहिए।

वे अल्लाह की यह कहकर निंदा करते है कि ईसा मसीह ईश्वर के पुत्र है।

और ऐसा कहकर वे अल्लाह के कोप का भाजन बनते है।

वे अल्लाह की निंदा यह कहकर करते है कि वह एक नहीं तीन है।

वे झगड़ालू लोग है।

ईसा तो महज एक धर्म प्रचारक थे, वे अल्लाह के सेवक से अधिक कुछ नहीं थे।

इस प्रकार की पाकिस्तान में दी जा रही शिक्षा का परिणाम यह है कि अकेले भारत में पिछले 20 सालों में 60 हजार से अधिक जाने आंतकवादियों ने ली है। इसमें बच्चे, बू़े, महिलाऐं, जवान सभी शामिल है और यह सब जेहाद के नाम पर हो रहा है। विकसित और विकासशील देशों में ऐसा कौनसा देश बचा है जो आंतकवाद से मुक्त हो? ब्रिटेन, फ्रांस, हालैण्ड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा में तो यह गले तक आ गया है। कभी भारत में होने वाली आंतकवादी वारदातों पर ॥ यह भारत और पाकिस्तान का आंतरिक मामला है॥ कहकर चुप्पी साध लेने वाला अमेरिका अलकायदा द्वारा उसकी दो इमारतों को गिरा देने से इतना घबराया कि पूरी दुनियाभर में ओसामा को तलाशता रहा और वो ओसामा मिला भी तो कहा अमेरिका की नाक के नीचे उसके पिट्ठू पाकिस्तान में! विकासशील देशों के कुछ तथाकथित मानवाधिकारवादी कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या पर स्थानीय जनता द्वारा स्वाधीनता के लिए किए जा रहे संघर्ष स ेउपजी हिंसा बताते है। आज वे ही स्वयं आंतकवाद से पीड़ित होने पर इसे वैश्विक लड़ाई बता रहे है। आओ, मिलकर साथ लड़े का नारा देने लगे है। आज भारत में ऐसी कौनसी तहसील या खण्ड है जहां आईएसआई कोई वाक्या करने में सक्षम नहीं है ! भारत सरकार का ऐसा कौनसा विभाग है जहां उसकी पंहुच नहीं है! आंतकवादी भारतवासियों पर हमला करने का समय, स्थान और माध्यम आपनी इच्छा से चयन करते है। हम रातदिन सुरक्षात्मक रवैया अपनाए अपनी जान और इज्जत बचाने में लगे रहते है।

(क्रमशः)

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