कविता गजल-श्यामल सुमन – भावना April 12, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन अलग थलग दुनियाँ से फिर भी इस दुनियाँ में रहता हूँ अनुभव से उपजे चिन्तन की नव-धारा संग बहता हूँ पद पैसा प्रभुता की हस्ती प्रायः सब स्वीकार किया अवसर पे ऐसी हस्ती को बेखटके सच कहता हूँ अपना कहकर जिसे संभाला मेरी हालत पे हँसते ऊपर से हँस भी […] Read more » poem Poems कविता
कविता साहित्य कविता – चली जाऊँगी वापस March 28, 2012 / March 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 3 Comments on कविता – चली जाऊँगी वापस मोतीलाल/राउरकेला चली जाऊँगी वापस तुम्हारी देहरी से दूर तुम्हारी खुश्बू से दूर इन फसलोँ से दूर गाँव गली से दूर उन अनाम सी जगह मेँ और बसा लूँगी अपने लिए ठिकाना तिनके के रूप मेँ बहा लूँगी पसीना फीँच लूँगी अपनी देह को खून की कीमत मेँ अगोरना सोख लूँगी आँसूओँ को आँखोँ […] Read more » poem Poems कविता चली जाऊँगी वापस
कविता साहित्य कविता ; और काबा में राम देखिये March 24, 2012 / March 24, 2012 by श्यामल सुमन | 3 Comments on कविता ; और काबा में राम देखिये श्यामल सुमन विश्व बना है ग्राम देखिये है साजिश, परिणाम देखिये होती खुद की जहाँ जरूरत छू कर पैर प्रणाम देखिये सेवक ही शासक बन बैठा पिसता रोज अवाम देखिये दिखते हैं गद्दी पर कोई किसके हाथ लगाम देखिये और कमण्डल चोर हाथ में लिए तपस्वी जाम देखिये बीते […] Read more » poem Poems और काबा में राम देखिये कविता
कविता कविता – आता हूँ प्रतिवर्ष March 20, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment विमलेश बंसल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मैं आता हूँ प्रतिवर्ष। जी हाँ मुझको कहते हैं नववर्ष॥ भरता हूँ नव जीवन सबमें, विमल उमंग उत्कर्ष। जी हाँ मुझको कहते हैं नववर्ष॥ 1)मैं वसंत का प्राण निराला। कर देता सबको मतवाला। मुझसे सबको हर्ष॥ जी हाँ मुझको कहते हैं नववर्ष॥ 2)नहीं ग्रीष्म में नहीं शीत में। […] Read more » poem Poems आता हूँ प्रतिवर्ष कविता
कविता साहित्य कविता – वह आया है March 18, 2012 / March 18, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment मोतीलाल मैँने उसे देखा है अभी-अभी इन्हीँ आँखोँ से वह आया है हमारे इस शहर मेँ और खड़ा है बाहर धुँध से भरे कोहरे मेँ वह आना चाहता है हमारे घरोँ मेँ और दो क्षण सुस्ताना चाहता है थकान से चूर उसकी देह अब नहीँ उठ पाती है और नहीँ ठहरती है आँखेँ किसी […] Read more » poem Poems कविता कविता - वह आया है
कविता कविता ; सिलवटों की सिहरन – विजय कुमार सप्पाती March 13, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on कविता ; सिलवटों की सिहरन – विजय कुमार सप्पाती अक्सर तेरा साया एक अनजानी धुंध से चुपचाप चला आता है और मेरी मन की चादर में सिलवटे बना जाता है ….. मेरे हाथ , मेरे दिल की तरह कांपते है , जब मैं उन सिलवटों को अपने भीतर समेटती हूँ ….. तेरा साया मुस्कराता है और मुझे उस जगह छु जाता है […] Read more » poem Poems कविता कविता - सिलवटों की सिहरन
कविता कविता ; छटपटाता आईना – श्यामल सुमन March 9, 2012 / March 12, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on कविता ; छटपटाता आईना – श्यामल सुमन सच यही कि हर किसी को सच दिखाता आईना ये भी सच कि सच किसी को कह न पाता आईना रू-ब-रू हो आईने से बात पूछे गर कोई कौन सुन पाता इसे बस बुदबुदाता आईना जाने अनजाने बुराई आ ही जाती सोच में आँख तब मिलते तो सचमुच मुँह चिढ़ाता आईना कौन […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता छटपटाता आईना
कविता कविता ; गीत नया तू गाना सीख – श्यामल सुमन March 9, 2012 / March 9, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on कविता ; गीत नया तू गाना सीख – श्यामल सुमन खुद से देखो उड़ के यार एहसासों से जुड़ के यार जैसे गूंगे स्वाद समझते, कह ना पाते गुड के यार कैसा है संयोग यहाँ सुन्दर दिखते लोग यहाँ जिसको पूछो वे कहते कि मेरे तन में रोग यहाँ मजबूरी का रोना क्या अपना आपा खोना क्या होना जो था हुआ आजतक, और […] Read more » poem Poems कविता गीत नया तू गाना सीख
कविता कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन March 7, 2012 / March 8, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन मेहनत जो करते दिन-रात वो दुख में रहते दिन-रात सुख देते सबको निज-श्रम से तिल-तिल कर मरते दिन-रात मिले पथिक को छाया हरदम पेड़, धूप सहते दिन-रात बाहर से भी अधिक शोर क्यों भीतर में सुनते दिन-रात दूजे की चर्चा में अक्सर अपनी ही कहते दिन-रात हृदय वही परिभाषित होता […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता प्रेम जहाँ बसते दिन-रात
कविता कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment नहीं जज्बात दिल में कम होंगे तेरे पीछे मेरे कदम होंगे तुम सलामत रहो कयामत तक ये है मुमकिन कि हम नहीं होंगे प्यार जिसको भी किया छूट गया बन के अपना ही कोई लूट गया दिलों को जोड़ने की कोशिश में दिल भी शीशे की तरह टूट गया यार मिलने को जब […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है
कविता कविता ; उड़ा दिया है रंग – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment कोई खेल रहा है रंग, कोई मचा रहा हुड़दंग मँहगाई ने हर चेहरे का उड़ा दिया है रंग रंग-बिरंगी होली ऐसी प्रायः सब रंगीन बने अबीर-गुलाल छोड़ कुछ हाथों में देखो संगीन तने खुशियाली संग कहीं कहीं पर शुरू भूख से जंग कोई खेल रहा है रंग, कोई मचा रहा हुड़दंग मँहगाई ने हर […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems उड़ा दिया है रंग कविता
कविता कांग्रेस- मनमोहन-सोनिया और अब राहुल-कुशल सचेती February 17, 2012 / February 18, 2012 by कुशल सचेती | Leave a Comment कुशल सचेती कांग्रेस- मनमोहन-सोनिया और अब राहुल देख तेरे भारत की हालत क्या कर दी हे राम….! कांग्रेसासुरों की करतूतों का है ये परिणाम देख तेरे भारत……. गांधी बाबा के ये बंदे, रचते रहे नित नए फंदे, कितने ये मक्कार औ अंधे, इन धूर्तो के जाली धंधे, गांधी-नेहरू-गांधियों की मुग़ल सल्तनत देखी है ? वंशवाद […] Read more » famous poems poem Poems कांग्रेस मनमोहन-सोनिया राहुल