कुछ साल पहले ही कलर्स नामक चैनल ने “बालिका वधू” सीरियल लाकर बाकी चैनलों की हवा निकाल दी थी। बालिका वधू घर-घर में महिलाओं और युवाओं में खासा लोकप्रिय हुआ, सीरियल भले ही कैसा भी हो, लेकिन उसमें बाल-विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ़ एक स्पष्ट संदेश तो था ही। उस सीरियल ने TRP के कई नए रिकॉर्ड कायम किये और स्टार टीवी पर “एकता कपूर छाप” सीरियलों को दर्शकों का सूखा झेलने की नौबत आ गई। एक और चैनल है “सब टीवी” जो फ़िलहाल “तारक मेहता का उलटा चश्मा” सहित कई अन्य हास्य-व्यंग्य(?) कार्यक्रमों के जरिये कम से कम फ़िलहाल “बाजारूपन” से बचा हुआ है।
जिस समय बिग-बॉस भाग-4 की घोषणा हुई थी और कहा गया कि सलमान खान इसमें बिग बॉस बनेंगे, उसी समय आशंका होने लगी थी कि इस भाग में “गिरावट की एक नई पहल” देखने को मिलेगी… यह आशंका उस समय सच हो गई जब बिग बॉस भाग-4 के सभी 14 प्रतिभागियों के नामों की लिस्ट सामने आई। हालांकि बिग बॉस के पहले तीन भाग भी कोई नैतिकता की प्रतिमूर्ति नहीं थे, और तथाकथित रियलिटी शो के नाम पर जितनी गंदगी बिग बॉस ने फ़ैलाई है शायद किसी और कार्यक्रम ने नहीं फ़ैलाई होगी।
अंग्रेजों के कार्यक्रम की भौण्डी नकल के नाम पर “सेलेब्रिटी” कहकर जिन्हें इस कार्यक्रम में शामिल किया जाता है वे चेहरे जानबूझकर ऐसे चुने जाते हैं जो खासे विवादास्पद हों, सामाजिक जीवन में उन्होंने कोई अनैतिक काम या चोरी-चकारी की हो, राहुल महाजन जैसे नशेलची हों, या राजा चौधरी जैसे बीबी को पीटने वाले दारुबाज हों… ऐसे लोगों को जमकर महिमामण्डित किया जाता है, इनके किस्से चटखारे ले-लेकर अखबारों को छापने के लिये दिये जाते हैं (अखबार यह सब छापते भी हैं), और तीन महीने तक इन तथाकथित सेलेब्रिटीज़ को, इनके कारनामों को, इनकी गिरी हुई हरकतों को देश के कोने-कोने में घर-घर तक पहुँचाया जाता है।
बालिका वधू के रुप में कलर्स चैनल ने नई ऊँचाईयों को छुआ और अपनी विशिष्ट पहचान बनाई, लेकिन बिग बॉस भाग-4 की सूची देखकर लगता है कि यह चैनल बहुत जल्दी अपनी “असली चैनलिया औकात” पर उतर आया है, पहले आप इन 14 लोगों के नामों और उनके “पवित्र कामों” पर नज़र डालें –
1) पहला नाम है अज़मल कसाब के वकील SAG काज़मी का, शायद कसाब का केस लड़ने के उचित पैसे इन्हें नहीं मिले इसलिये अब ये बिग बॉस में दर्शन देंगे। बिग बॉस के घर में रहने से इन्हें नये-नये क्लाइंट मिलेंगे…
2) दूसरा नाम है समीर सोनी का – एक “बी” ग्रेड के मॉडल-अभिनेता, लेकिन कम से कम इनकी छवि तो थोड़ी साफ़-सुथरी है।
3) तीसरा नाम धमाकेदार है – भूतपूर्व डाकू रानी “सीमा परिहार”, जिन पर 70 से अधिक हत्याओं के मुकदमे विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं और इन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से बिग बॉस में शामिल होने के लिये विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
4) चौथी हैं श्वेता तिवारी – पिछले बिग बॉस में इसी का पति राजा चौधरी विजेता रहा था, अब दोनों अलग होने के बाद शायद श्वेता बिग बॉस में सबको बतायेगी कि राजा उसे कैसे और कब पीटता था…
5) पाँचवां नाम है अश्मित पटेल का – “अमीषा पटेल के भाई” होने से बढ़कर इसकी खुद की कोई पहचान नहीं है, दो-चार घटिया फ़िल्मों में काम करने के बाद अब ये साहब रिया सेन के साथ अपने अंतरंग MMS बनाते और उसे नेट पर डालते हैं।
6) छठा नाम सम्मानित है, ये हैं भोजपुरी फ़िल्मों के स्टार मनोज तिवारी। भोजपुरी फ़िल्मों में इनके प्रतिद्वंद्वी रवि किशन की हिन्दी में सफ़लता को देखकर शायद इनमें भी उत्साह जागा है और बिग बॉस भाग-4 में ये अपना “जलवा”(?) दिखायेंगे।
7) सातवें नम्बर पर एक और टीवी अभिनेत्री है, नाम है सारा खान जिसे दर्शकों ने “सपना बाबुल का” और “बिदाई” धारावाहिकों में देखा है… कोई खास उपलब्धि नहीं, कोई खास विवाद भी नहीं… (इसलिये जल्दी ही बिग बॉस से बाहर भी हो जायेगी)।
8) आठवें नम्बर पर एक पाकिस्तानी है, नाम है “वीना मलिक”, जी हाँ सही समझे आप… मोहम्मद आसिफ़ जैसे “चरित्रवान” क्रिकेट खिलाड़ी की पूर्व प्रेमिका, जो जल्दी से अपनी “टेम्परेरी लोकप्रियता” को भुनाने के लिये बिग बॉस में चली आई है… पाकिस्तान में सी ग्रेड की मॉडल और विभिन्न अफ़ेयर्स की मारी हुई एक प्रतिभागी… बिग बॉस जैसे कार्यक्रम के लिये “एकदम फ़िट”।
9) नौंवे प्रतिभागी हैं महेश भट्ट के “सुपुत्र”(?) राहुल भट्ट (यानी बिग बॉस में एक और राहुल), इसके बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं, लश्कर के डेविड कोलमेन हेडली के साथ इसके रिश्ते खुल्लमखुल्ला सामने आने के बावजूद संदेहास्पद तरीके से पुलिसिया पूछताछ से बरी किया हुआ “सेकुलर” है ये। जब तक अपने बाप की उमर तक पहुँचेगा, तब तक स्कैण्डल और छिछोरेपन में उससे दो कदम आगे निकल चुका होगा यह तय मानिये…। राहुल भट्ट ने कहा भी है कि वह डेविड हेडली को धन्यवाद देना चाहता है, जिसकी वजह से उसे बिग बॉस में जगह मिली…
10) दसवीं है साक्षी प्रधान नाम की एक और “सी” ग्रेड मॉडल जो छिछोरेपन में बिग बॉस के बाप, यानी MTV के स्प्लिट्ज़विला में नमूदार होती है और इन्हें भी अपने अश्लील MMS नेट पर डालने का शौक है।
11) ग्यारहवे हैं रिशांत गोस्वामी, जो 2004 के “ग्लैडरैग्स” मॉडल के विजेता हैं। फ़िलहाल विवादों से परे…
12) बारहवी हैं आँचल कुमार – “सेलेब्रिटी” के तौर पर इनकी पहचान(?) सिर्फ़ इतनी है कि ये युवराज सिंह की पूर्व प्रेमिका कही जाती हैं…
13) तेरहवाँ नाम “आश्चर्यजनक किन्तु सत्य” है – देवेन्दर सिंह उर्फ़ बंटी चोर का, दिल्ली में 500 से अधिक चोरियों में शामिल और 13 साल की जेल यात्रा करके लौटे हैं और अब बिग बॉस में पूरे देश के हीरो बनेंगे, क्योंकि चोर-उचक्कों का ही जमाना है अभी तो…(बिग बॉस-4 ने बंटी चोर को हीरो बनाने की शुरुआत भी कर दी है, क्योंकि उसे बिग बॉस की शुरुआत में ही बाहर कर दिया गया फ़िर चैनलों-अखबारों में “एक राष्ट्रीय बहस”(?) चलाई गई कि बंटी चोर को बाहर क्यों किया गया?)
14) चौदहवाँ नाम और भी उबकाई लाने वाला है, पाकिस्तान की टीवी टॉक शो होस्ट, बेगम नवाज़िश अली का… उबकाई लाने वाला इसलिये, क्योंकि इसे यही नहीं पता कि यह मर्द है या औरत या “बीच” का। यह अजीबोगरीब जीव, कभी “अली सलीम” के नाम से जनता के सामने “आता” है तो कभी बेगम नवाज़िश के नाम से “आती” है।
तो देखा आपने, कलर्स चैनल ने किस तरह से चोर-उचक्कों-डकैतों-देशद्रोहियों-उनके वकीलों और छिछोरों की फ़ौज खड़ी की है देश के “मनोरंजन”(?) के लिये। ऐसा नहीं है कि इन चैनलों से दर्शक किसी भारी-भरकम नैतिकता की उम्मीद करते हैं, सभी को यह बात पता है कि चैनल अपने कार्यक्रम “पैसा कमाने” के लिये बनाते-दिखाते हैं, परन्तु कलर्स चैनल की ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि उसे बालिका वधू जैसा कमाई और उच्च TRP जैसा साफ़-सुथरा कार्यक्रम छोड़कर इस कीचड़ में उतरने की जरुरत आन पड़ी? क्या बालिका वधू या उस जैसे अन्य कार्यक्रमों से कमाई नहीं होती? या लोकप्रियता नहीं मिलती? बल्कि कलर्स की पहचान ही बालिका वधू से बनी, तो फ़िर राहुल भट्ट, काज़मी, सीमा परिहार, बंटी चोर और बेगम जैसे विवादास्पद लोगों को देश के सामने पेश करके किस प्रकार की “कमाई” की जायेगी?
आजकल भारत के टीवी सीरियलों में पाकिस्तान के कलाकारों (कलाकारों??) को लेने की प्रवृति बढ़ चली है, बच्चों के एक गाने के कार्यक्रम में भी बाकायदा भारत-पाकिस्तान की टीमें बनाई गई हैं, जहाँ शुरुआत में भारत-पाकिस्तान की कथित एकता(?) के तराने जमकर गाये गये थे। यह बात और है कि “बड़ा भाई” बनने का शौक सिर्फ़ भारत को ही चर्राता है, पाकिस्तान तो भारत के कलाकारों को दरवाजे पर भी खड़े नहीं होने देता। परन्तु बिग बॉस-4 की बात अधिक गम्भीर है, यहाँ कसाब की पैरवी करने वाले काज़मी वकील मौजूद हैं, डेविड हेडली का दोस्त और सुपर-सेकुलर महेश भट्ट का बिगड़ैल नवाबज़ादा मौजूद है, बंटी चोर है, सीमा डकैत है, अश्लील MMS बनाने-दिखाने वाले एक दो “सी” ग्रेड के लोग मौजूद हैं… अब ये लोग अगले तीन माह तक विभिन्न अखबारों में अपने पक्ष में “माहौल” बनायेंगे, कुछ रोना-धोना मचाकर और कभी एक-दूसरे के कपड़े फ़ाड़कर शिल्पा शेट्टीनुमा सहानुभूति(?) भी अर्जित करेंगे… और यह सब होगा कभी “मनोरंजन” के नाम पर तो कभी “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता” के नाम पर। अर्थात जिन लोगों को जेल में होना चाहिये, वे कैमरों के सामने, आपके घरों में मौजूद होंगे…। एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या भारत के सारे चोर-उचक्के-हिजड़े मर गये थे, जो अब पाकिस्तान से बुलाकर हमें दिखाये जा रहे हैं?
बहरहाल, राखी सावन्त, राहुल महाजन, राजा चौधरी, पायल रोहतगी से होते-होते बिग बॉस ने गिरावट का लम्बा सफ़र(?) तय किया है और अब वह राहुल भट्ट, काज़मी, सीमा परिहार और बंटी चोर तक आ पहुँचा है, ऐसा ही जारी रहा तो शायद बिग बॉस के भाग-5 में हमें कसाब, अफ़ज़ल गुरु (अदालत की विशेष अनुमति से?), लादेन, जवाहिरी, हाफ़िज़ सईद, दाऊद इब्राहीम जैसे लोग भी देखने को मिल सकते हैं… कौन रोकेगा इन्हें? जो भी इनका विरोध करेगा, वह “साम्प्रदायिक”(?) कहलायेगा…। इस देश में “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता”(?) के नाम पर प्राइम टाइम में किसी चैनल पर “ब्लू फ़िल्म” भी दिखाई जा सकती है… पैसा कमाने के लिये किसी भी हद तक गिरने को तैयार हैं चैनल-अखबार वाले… यह बात वीना मलिक और राहुल भट्ट को “सेलेब्रिटी” कहकर पुकारे जाने से तथा देश में कई गम्भीर समस्याओं के होते हुए भी, बंटी चोर को बिग बॉस से बाहर करने को “राष्ट्रीय मुद्दा”(?) बनाने से साबित होती है…।
देश के अधिकतर लोग अभी भी मानते हों और किताबों में भले ही पढ़ाया जाता हो, कि “भलमनसाहत”, “नैतिकता” और “ईमानदारी” से आपकी पहचान बनती है और आप जीवन में आगे बढ़ते हैं, लेकिन मीडिया चैनल और अखबार, गिरे से गिरे हुए लोगों को हेडलाइन्स और TRP का हिस्सा बनाकर साबित करना चाहता है कि आप भी ऐसे ही बनिए, वरना न तो आप “सेलेब्रिटी” बन सकेंगे और न ही आपके कामों को कोई “नोटिस” करेगा…। यदि कलर्स चैनल में थोड़ी भी शर्म बची हो तो उसे जल्दी से जल्दी, वकील काज़मी, वीना मलिक, बेगम नवाज़िश और राहुल भट्ट को बिग बॉस से बाहर कर देना चाहिये… पाकिस्तानियों और देशद्रोहियों के लिये भारत में कोई जगह नहीं होनी चाहिये… सीमा परिहार, बंटी चोर और अश्मित पटेल इन चारों से फ़िर भी थोड़े बेहतर हैं…
बेगम नवाजिश पर आपने जिस तरह की टिप्पणी की है वह निंदनीय है। आप बिग बॉस कार्यक्रम की बखिया उधेड़ सकते हैं किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी वह भी इतनी घटिया। आप जैसे राष्ट्रवादी लेखक को शोभा नहीं देती। क्योंकि अपने देश में मेहमानों पर इस तरह की घटिया टिप्पणी करने की परंपरा नहीं है। आप इन्हें देशद्रोही किस आधार पर कह सकते हैं। वह अपना काम ही तो कर रहे है और हर कोई ए ग्रेड का हो यह तो जरूरी नहीं। हर मॉडल आपके मानकों पर खरी नहीं उतरती तो यह आपकी परेशानी है। इसमें देश को काहे बीच में घुसेड़ते हैं। काजमी का मजाक उड़ाकर आप देश के संविधान का मजाक उड़ा रहे हैं। क्योंकि संविधान ने ही उन्हें केश लड़ने की अनुमति दी है। वरन तो कसाब ने जो खूनी खेल खेला उसे पूरी दुनिया ने देखा है आपको इस घटना की याद दिलाने की जरूरत नहीं। इस तरह की टिप्पणी करने से पूर्व आपको सबसे बड़ी जो बात ध्यान मंे रखनी होगी वह यह है कि आपके नाम के साथ राष्ट्रवादी लेखक भी लिखा है। इसलिए जरूरी है कि भारत के किसी भी राष्ट्रवादी की सोच स्पष्ट हो इससे हमें भी अच्छा लगता है। क्योंकि हम भी इसी देश के नागरिक हैं।
नमस्कार मेरे सभी भाई लोगो को,
आज के हमारे समाज का सबसे शानदार पहलु ये है ये हमारी भारतीय जनता अपने आम जीवन से इस कदर त्रस्त हो चुकी है वह सही और गलत का आकलन करने की अपनी समर्थ शक्ति ही खो चुकी है बेचारी जनता किसको कहाँ किधर रोके , दूसरी इस जनता की सबसे भयावय मजबूरी हमारी सरकार ने पूरी न्याय प्रणाली को पंगु बना रखा है किसी गलती के लिए न्यायालय में भी वात दायर करे तो कितने वर्ष गुजर जाए ये तो उसकी संतान ही बता सकती है . मानलेते है वात दायर कर दिया हमारे पैरोकार काले कोट वाले वकील भाई उसकी पूरी जान लेने से नहीं चुकते उन्हें देश हित समाज हित के वाद से कोई मतलब नहीं तारीख आने पर उन्हें बाबु सहित खर्चा पानी चाहिये
इस प्रकार नकारात्मक परिस्थितियों में आम जनता के पास इन फूहड बाजारू मनोरंजन के अतिरिक्त कोई दुसरा माध्यम ही नहीं बचा वह अपना मन कैसे हल्का करे उसे क्या मिलेगा इस प्रकार के उलझनों में फसकर
मिडिया के खिलाफ जाने पर नेता, और हमारी सरकारी मशीनरी भी मदद को नहीं आयेगी क्यूंकि उन्हें भी इनसे काम पड़ता रहता है
रही बच्चो की बात हमारी अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने कोई कमी नहीं रखी उन्हें अंग्रेज बनाने में हमारी नयी व्यक्ति गढ़ने की पूर्ण शमता अंग्रेजो द्वारा बनायीं व्यवस्था के अंतर्गत आ चुकी है तो हम अपनी युवा पीडी को किसी भी रूप में उनका आचरण करने से नहीं रोक सकते
सांस्कृतिक शिक्षा ही युवा को सभ्य विवेकी सुशिक्षित बना सकती है परन्तु जब बच्चा जन्म से लेकर युवा होने तक सब कुछ अंग्रेजी व्यवस्था में रह रहा हो तो ये बात बेमानी हो जाती है उसकी संस्कृति उससे अछूती रह जायेगी
kya daktar ne salaah di hai ki colours channel dekhiye hi.Baalikaa badhu jaise serials ke chalte lokpriyataa badhi kyonki loogon ne usko dekha.lokpriyataa apne aap ghat jaayegi agar log Big Biss nahi dekhen.
नाम छप गया बहुत है, भला-बुरा क्या बात? नाम हुआ तो पैसे की, मिलनी है सौगात। मिलनी है सौगात, इन्हें बिग बास के घरमें। होस्ट बना सलमान, डर नहीं उसके घर में । कह साधक कवि, यूं भारत बदनाम हो गया। खुश है बुरे बने तो अपना नाम छप गया।
सर एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि:-
“जो जितना बदनाम हुआ है,उसका उतना नाम हुआ है” कलर्स चैनल भी बेचारा क्या करे अगर इस तरह के विवादस्पद काम नहीं करेगा तो आप जैसे लोग लिखेंगे कैसे?
आश्चर्यजनक ……….हमारे देश मैं क्या क्या हो सकता है
शर्मशार करने वाला कटु सत्य
जानकारी सोचनीय है .
धन्यवाद
किसी भी देश मैं संस्कृतिक प्रदुषण पर नियंत्रण वंहा की सुचना प्रसारण मंत्रालय का ही होता है. धिक्कार इस देश के नाकाम और निकम्मे सुचना प्रसारण मंत्रालय को जो आँखे बंद करके ऐसे घटिया कार्यक्रमों को प्रसारित होने दे रहा है…नयी पीड़ी निकम्मी, नाकारा और नशेडी हो रही है और आगे क्या होगा आप समझ सकते हैं…
इस देश मैं मूल्यों के पतन के लिए सरकार ही पूरी तरह जिम्मेदार है
सुरेश भाई आज कल इन्ही राष्ट्र विरोधियों का ज़माना है, मूल्यों की बातें करने वालों को कवर करने से टीआरपी कैसे मिलेगी!!! अभी to बहुत कुछ होना बाकी है,suna है आप की कचहरी के अगले सीजन में जज की कुर्सी पर अबकी बार किरण बेदी की जगह राखी सावंत को बिठाया जा रहा है| अब सोच लो कैसे कैसे न्याय होने वाले हैं टीवी पर|
वैसे सुरेश भाई इसमें गलती काफी हद तक दर्शकों की भी है| इतना घटियापन dekhne के baad भी kyon log apne टीवी से चिपके बैठे हैं? agar ye dekhna छोड़ देंगे तो चैनल टीवी पर दिखाना छोड़ देंगे? अब चैनल वालों से तो मूल्यों की बात करना bekaar है, उन्हें मूल्यों की क्या padi है? दर्शकों को चाहिए की we इस प्रकार के घटियापन kaa बहिष्कार करें| किन्तु अब तो वहां भी समझाना व्यर्थ सा लगने लगता है, वरना क्या वजह थी की पूरे भारत में राष्ट्र मंडल खेलों के नाम पर हाय तौबा मचाने वाले कई व्यक्तियों को मै जानता हूँ जो की आज अग्रिम पंक्ति में बैठकर पूरे जोर शोर से खेलों का आनंद उठा रहे हैं|
आशा है कि आपका यह लेख इस प्रकार के दर्शकों को जगाने में कारगर सिद्ध होगा|
धन्यवाद…