साल के पहले हफ़्ते मे
ऐसा पहली बार हुआ है,
मुंह से भाप नहीं निकली है,
ना ही दाँत किटकिटाये हैं।
शिशिर नहीं आया इस बार,
हेमंत ऋतु के जाते जाते,
ऋतुराज बंसत पधार गये हैं,
ऋतु-चक्र परिवर्तन अबके,
यह संदेशा लेकर आये हैं-
प्रकृति को इतना मत रौंदो,
रौंदेगी वो इक दिन तुमको!
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