मिलन सिन्हा
हास्य व्यंग्य कविताएं : नेता- अभिनेता, असरकारी
नेता और अभिनेता
चुनाव मैदान में खड़े थे ।
मतदातागण
सोच में पड़े थे ।
उधर, छिड़ा था विवाद,
मतदाता देगा
किसका साथ ।
एक के पास था
आश्वासनों और वादों का झोला,
तो दूसरे के पास था
भुलावे में रखने का नायाब मसाला ।
ऐसी स्थिति में,
विकट संकट में था मतदाता
और पुकार रहा था
विधाता-विधाता !
असरकारी
नेताजी अब
रोज यह कहते हैं।
कहते हुए अब
नहीं डरते हैं।
यही कि
जो काम,
अ-सरकारी होंगे
वही,
असरकारी होंगे !