विनोद कुमार सर्वोदय
पांच राज्यों के विधान सभाओं के चुनावी परिणामों में हुई भाजपा की पराजय को राष्ट्रवाद की हार कहा जाये तो अनुचित नही होगा। मोदी,शाह व योगी कौन है राष्ट्रवादी समाज की भावनाओं को न समझने का जिम्मेदार..? यह राष्ट्रवादी समाज की पराजय है। सत्तालोलुपता ने देश की संस्कृति और स्वाभिमान को सदा ठेस पहुंचायी है।
2004 में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भाजपा की भारत भक्तो के प्रति उदासीनता ने ही सोनिया की कांग्रेस को विजयी बनाया था। 2014 में भाजपा की अद्भुत विजय भारतीय संस्कृति को आहत करने वाले सोनिया के षडयन्त्रो व मोदी जी का आक्रामक राष्ट्रवाद कारण बना था। सारे राष्ट्र में राष्ट्रवादियों को मोदी सरकार से बहुत आशा बंधी थी।जिससे आगे भी राज्यों के चुनावों में भाजपा को अच्छी विजय मिली। लेकिन अब जो परिणाम आये हैं उससे यह स्पष्ट संकेत है कि जब जब भाजपा राजमद में शपथ भूल जाती तब तब राष्ट्रवादियों की अवहेलना होने से उनके निष्क्रिय हो जाने पर चुनावों में भाजपा को पराजित होना पड़ता है।
निःसंदेह यह स्पष्ट ही है कि भाजपा को राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करके भारत भूमि की संस्कृति की रक्षार्थ संघर्ष करने वाला दल माना जाता है। इसीलिए भारत का बहुसंख्यक समाज इनको विजयी बनाने का प्रयास करता है। उसी के परिणामस्वरूप 2014 में भाजपा को अद्भुत जीत और बाद में अनेक राज्यों में भी बड़ी विजय मिली।
परंतु इन सबसे उत्साहित भाजपा नेतृत्व में आवश्यकता से अधिक आत्मविश्वास आ गया। जिससे भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपने परंपरागत मतदातों के प्रति उदासीन हो गया। इनके द्वारा आस्थाओं और अस्तित्व की रक्षार्थ निस्वार्थ संघर्ष करने वाला भारत भक्त निरंतर अंसतुष्ट होते जा रहे है। भाजपा शासन ने अनेक राष्ट्रीय समस्याओं से जूझने वाले हिंदुओं के प्रति कोई भी सकारात्मक कार्य नही किया। यह सर्वविदित है कि समान नागरिक सहिंता लागू कराना, जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाना, राम-मंदिर बनवाना, विवादित अनुच्छेद 35 (ए) व 370 को समाप्त करवाना , बंग्ला देशी व म्यांमार के घुसपैठियों को निकालना एवम कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी करवाना आदि ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिये भाजपा को सत्ता में भारतीय बहुमत ने बैठाया था। भारत-पाक विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर में बसे हज़ारो परिवार आज भी अपने मौलिक व संवैधानिक अधिकारों के लिए भाजपा की ओर निहारते आ रहे है। राजमद में वर्तमान सत्ताधारी ऐसे समस्त कार्यों के प्रति उदासीन है परंतु अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिये मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देकर उनके सशक्तिकरण को प्राथमिकता दे रहे है।
यह कैसा आत्मघाती विचार है कि मोदी सरकार ने वर्तमान कार्यकाल में अपने ही समर्पित कार्यकर्ताओं को अपमानित व दंडित करने के मार्ग ढूंढे। धर्मांतरित हुए हिंदुओं की घर वापसी व लव जिहादियों से हिन्दू अबलाओं को सुरक्षित करने वाले एवं गौरक्षकों आदि देशभक्तों को ही दोषी बना कर अपने को भी ढोंगी धर्मनिरपेक्षता के आवरण में ढकने लगे। राष्ट्रवादियों की इस विवशता को कि ‘भाजपा ही एकमात्र संगठन है जो उनके अनुकूल कार्य करने में समर्थ है’ का भाजपा द्वारा ही तिरस्कार क्यों किया जाता है?
भाजपा देश के विकास व स्वच्छता अभियान एवं डिजिटल इंडिया के साथ साथ गांधीवाद को आधार मान कर अपने मुख्य उद्देश्यों से भटक गयी। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ने और पढ़ाने वाले ही भ्रमित होते रहेंगे तो देश_तोड़क शक्तियों के उभरते हुए षडयंत्रो पर अंकुश कौन लगा पायेगा ? यह चुनावी हार पाकिस्तान सहित सभी भारत विरोधियों और देशद्रोहियों का मनोबल बढ़ाएगी और भारतभक्तो को निरुत्साहित करेगी। क्या यह कहना अनुचित होगा कि “मुसलमानों का सशक्तिकरण” और “अनुसूचित जाति – व जनजातियों के अत्याचार निवारण क़ानून का विधायीकरण” करके भाजपा ने अपने परंपरागत समर्थक व कार्यकर्ताओं को हतोउत्साहित किया। जबकि परिवर्तित वातावरण व जनआवाज को, मंद बुद्धि कहे जाने वाले सत्ताहीनता की पीड़ा से जूझ रहे राहुल गांधी ने अवश्य पहचाना। उन्होंने अपने मूल स्वभाव से हटकर चुनाव जीतने के लिये हिंदुओं के प्रति अपने 15 वर्षों के राजनैतिक सफर में प्रथम बार सह्रदयता का प्रदर्शन किया।राहुल गांधी ने वह सारे हथकंडे अपनाये जिनसे भोला-भाला हिन्दू समाज सरलता से भ्रमित हो सकें। इसी योजना के अनुसार राहुल गांधी जनेऊ ,जाति और गोत्र के भ्रमित प्रचार के साथ साथ मंदिर मंदिर जा कर सामान्य मतदाताओं को लुभाते रहे। यह विजय राहुल गांधी की कही जा रही है परंतु यह राष्ट्रवाद की पराजय है जिसका उत्तरदायी भाजपा के उच्च नेताओं के आचरणों का परिणाम है।
भाजपा के नेता कब तक राष्ट्रवाद के नाम पर चुनाव जीतेंगे और उसके बाद राष्ट्रवादियों का तिरस्कार करके पाकिस्तान जैसे जन्मजात शत्रुओं की कुटिलता का शिकार बनते रहेंगे ? इससे बड़ा धोखा और क्या होगा कि कांग्रेस की जीत को पाकिस्तान अपनी जीत मानने लगा है। इन चुनावों में भाजपा की हार से देशविरोधी शक्तियां, नक्सली और इस्लामिक आतंकवादियों सहित पाकिस्तान आदि अति उत्साहित हो रहे है। इन चुनावी परिणामों का स्पष्ट संकेत यह भी है कि हमें अपने शत्रुओं से अधिक सतर्क रहना होगा। पाकिस्तान व पाक परस्त देशद्रोहियों द्वारा चलाये जा रहें षडयंत्रो को कठोरता से कुचलना होगा अन्यथा मुस्लिम तुष्टिकरण के भुलावे में राष्ट्रवादी ठगे जाते रहेंगे। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वाभिमान को आहत करने वाले जिम्मेदार शत्रुओं का अंतिम संस्कार आवश्यक है।
भारत माता की जय के उत्साहवर्धक नारे गूंजते रहे और बहुसंख्यक भारतभक्तों के मतो से भाजपा विजयी होती रहें फिर भी हिंदुओं की उपेक्षा और मुसलमानों का सशक्तिकरण होता रहे , तब कैसे भारत माँ की जय चरितार्थ होगी ?
भारत भक्तोँ के उपेक्षित और अपमानित होने से भविष्य में होने वाली राष्ट्रवादियों की क्षति के लिए कौन उत्तरदायी होगा ? भाजपा को विचार करना होगा कि सत्ता में रह कर विकास करना है तो भी बहुसंख्यककों का साथ आवश्यक है। अतः राष्ट्रवादियों की अवहेलना राष्ट्रीय राजनीति में अब स्वीकार्य नही।
लेखक भजपा का पक्षपाती है