रितिका आर्य
सुकून से भरा है जहां
गांव है मेरा वहां
पहाड़ियों से ढ़का हुआ
हरियाली से है खिला हुआ
पहाड़ से डटे लोग रहते यहां
जड़ी बूटियों की खोज होती यहां
पहले से चलते आए जो रीति रिवाज
आज भी हैं उनमें प्रकाश
नदी झरनों की आती आवाज यहां
समस्त जीव जंतुओं का है निवास यहां
सुकून से भरा है जहां
गांव है मेरा वहां।।
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