सवाल पूछने से पहले पीएम को जवाब देने लायक तो समझिए जनाब

विवेक कुमार पाठक
वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नकारना चाहते हैं मगर सबसे ज्यादा मोदी उनके दिलों दिमाग पर चढ़े हुए हैं। उनके न्यूज शो आए दिन मोदी से शुरु होकर मोदी पर खत्म होते हैं। सिर्फ न्यूज शो ही नहीं वे सामाजिक व मीडिया मंचों पर अपनी पूरी बात मोदीमय करते हैं। मोदी को नकारते नकारते वे सबसे ज्यादा मोदी को टीआरपी देते हैं। 

जीहां हम बात कर रहे हैं वर्तमान दौर के कथित रुप से जाबांज मीडिया पत्रकार रवीश कुमार की। वे पत्रकार के फ्रेम को तोड़कर इन दिनों कई रुपों में हैं। अगर केवल सवाल पूछना ही पत्रकारिता है तो बेशक वे जाबांज पत्रकार हैं मगर सरकार और व्यक्ति विशेष को पूरी तरह से नकारा घाषित करते हुए फिर उन्हीं से सवाल पूछने का क्या मतलब रह जाता है। दिन रात आपका चैनल और आपका प्राइम टाइम जिस प्रधानमंत्री को देश के लिए घोषित और अघोषित रुप से दुर्भाग्य बता चुका हो उनसे सवाल पूछकर आप अपनी ही घोषणा और निष्कर्षों को क्यों व्यर्थ करते हैं। क्या पूरी पत्रकारिता मोदी केन्द्रित ही होना चाहिए। आप केन्द्रीयकरण का आरोप लगाते हैं मगर सवालों का केन्द्रीकरण तो आप ही कर रहे हैं। क्यां भारत की मंत्रीपरिषद के विभिन्न मंत्रियों के कामकाज की सफलता असफलता पर सवाल नहीं उठाते। क्यों विपक्ष की भूमिका व उसकककामकाज पर दमदार तेजतर्रार प्राइम टाइम नहीं हो सकता। क्यों आप देश के तमाम भावी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व और कृतित्व का व्यापक विमर्श नहीं करते। क्यों देश की जनता को आप नहीं बताते कि मोदी को छोड़कर इनको प्रधानमंत्री के विकल्प के रुप में क्यों देखा जा सकता है। आप समस्या तो रोज बता रहे हैं कभी देश की परेशान जनता को भारतीय राजनीति से समाधान भी बताइए जनाब। आखिर भारतीय राजनीति के तमाम पक्षों से तर्क और सवाल होने चाहिए। क्या सवाल मोदी से शुरु होकर मोदी पर खत्म करना ही वर्तमान दौर की सबसे ईमानदार पत्रकारिता का पर्याय मान लिया जाए। क्या मंत्रियों विपक्ष से लेकर तमाम सरकारी संस्थाओं और पदाधिकारियों से सवाल करने वाले, मोदी के साथ ही राहुल मायावती मुलायम, ममता, अखिलेश, केजरीवल, ओवैसी  से सवाल करने वाले सैकड़ों खबरनवास कम ईमानदार और कम जाबांज पत्रकार हैं। क्या जो पत्रकार दिन रात पीएम पर सवाल न उठाए वो आपकी तरह तो नहीं मगर थोड़ा भी ईमानदार पत्रकार नहीं कहला सकता। और हां आपकी सलाह माने बिना देश की जनता जागरुक नहीं कहला सकती क्या। आपके लहजे में कहें तो वो क्या है न कि वो आपने कहा है कि दो महीने टीवी देखना बंद कर दीजिए। हो सकता है लाखों लोगों ने बंद कर दिया हो तो जिन्होंने बंद नहीं किया टीवी देखना वो बेबकूफ हुए न । टीवी में जो दर्शक अन्य  भक्त चैनलों की तरह आप जाबांज एंकर को  देख रहे हैं, उस पर मोदी मोदी निंदा रस सुन रहे हैं वो भी बेबकूफ हैं कि नहीं ये सवाल तो आप पर भी बनता है।जनाब आप पीएम मोदी से सवाल पूछना चाहते हैं बिल्कुल पूछना ही चाहिए। आपका हक है। बड़े पत्रकार की पहचान छोड़िए, आम नागरिक के नाते आपका पूरा हक है मगर सवाल तो सत्य और असत्य जानने के लिए किया जाता है। आपके अनगिनत प्राइम टाइम तो देश की जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री को लगभग लगभग अयोग्य घोषित कर चुके हैं। आपके न्यूज शो में तो नेहरु से शुरु होकर अब तक देश को मिले सभी प्रधानमंत्रियों में मोदी सबसे अयोग्य हैं। वे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मिटाने वाले चरमपंथियों के नायक हैं। उनके समर्थक मतदाता देश में गौपालक के नाम पर हिंसा फैला रहे सरकारी गुण्डे हैं। वे डिजाइनर प्रधानमंत्री हैं। भक्त चैनलों के भगवान हैं। विभाजनकारियों के अगुआ हैं। करोड़ों मुसलमानों को विधायिका में पहुंचने से रोकने वाले भगवाधारी हैं। और तो और 2014 में अपने चुने जाने के बाद से देश की मीडिया को सोहर गाने को कह रहे हैं। वही सोहर न जो आपने बताया था नई दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशन क्लब वाले एक जाबांज कार्यक्रम में। वाकई आपका अंदाज निराला है। जिसे योग्यता में मंच दर मंच नकार रहे हैं सवाल भी उसी से कर रहे हैं। जिसकी योग्यता आप खारिज कर चुके  हैं और पूर जज्बे और ईमानदारी से कर रहे हैं उसी व्यक्तित्व का इंटरव्यू लेना चाहते हैं। क्या पीएम को पूरी तरह खारिज करके मगर बिना पीएम पर बोले ईमानदार व जाबांज पत्रकारिता कायम नहीं रहती क्या।अरे भूल गए कि प्रधानमंत्री तो देश के प्रति जवाबदेह हैं। उनसे सवाल पूछना क्यों बंद किया जाए। सही तर्क है सवाल प्रधानमंदी को देने ही होंगे उनकी देश की प्रति जिम्मेदारी है और आपकी जिम्मेदारी भी है देश के प्रति। आपकी ईमानदारी और जज्बे का स्वागत है। आपके चैनल को सरकारी चैनल और आपको बिल्कुल भक्त पत्रकार नहीं मानेंगें देशवासी मगर क्या सवा सौ करोड़ लोगों के जनप्रतिनिधि से सवाल पूछने की भाषा, आरोपों व निंदा का एक स्तर नहीं होना चाहिए महोदय। बेशक संसद में बहुमत देने वाली जनता आपकी तरह जाबांज व ईमानदार न हो मगर उसके जनमत की गरिमा तो समझिए जनाब। सवाल पूछने से पहले देश के जनप्रतिनिधि को जवाब देने लायक तो समझिए।

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