वही ज़िस्तेंसोराब है वही तिश्ना कारवाँ

वही ज़िस्तेंसोराब है वही तिश्ना कारवाँ
प्यास बुझी कभी न बदल कभी समां
सफर था सब्रतलब हमराही थे नातवाँ
ठेस लगी ज़रा और सभी घबरा गए यहाँ
गुमनाम रास्ते थे , मंज़िल थी बेनिशाँ
जोशी जुनूँ में भटकते रहे जाने कहाँ कहाँ
ख्वाहिशें बेहिसाब थी , कविशें थी कम
शायद इसलिए ही नामुकम्मल रहा जहाँ
जावेद उस्मानी

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