महिलाओं की बजाय पुरुष आगे आये तो बने बात।

पिछले कुछ दिनों से देश में महिलाओ को धर्म के आधार पर समान अधिकार मिलना चाहये या नही इस मुद्दे पर बहस गर्म है और ये बहस उस देश में है जिस देश की बेटियां चाँद पर कदम रख चुकी है। दिन रात सीमा पर देश की सुरक्षा कर रही है और किसी भी क्षेत्र में पुरुषो से पीछे नही है। राजपथ पर नारी सशक्तिकरण पर परेड के साथ ही बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना देश में चल रही है फिर जन्म देने वाली माँ और कलाई पर राखी बाँधने वाली बहनों के साथ धर्म के आधार पर असमानता क्यों? पिछले दिनों महाराष्ट्र के अहमद नगर के शिंगणापुर में शनि मंदिर पर किसी महिला ने शनि को तेल चढ़ा दिया था जिसका मन्दिर के पंडितो ने विरोध किया पर उस घटना के बाद महिलाएं उस मंदिर पर जाने और शनि को तेल चढ़ाकर अपनी बराबरी के अधिकार के मांग कर रही है।
शिंगणापुर के अलावा असम के पतबौसी मंदिर, केरल के सबरीमाला अय्यपा और पद्यनाभ स्वामी मंदिर के साथ ही देश के कई अन्य छोटे छोटे मन्दिरों में महिला प्रवेश वर्जित है। लेकिन ये सब जानकर सुनकर मुझे कतई आश्चर्य नही हुआ क्योंकि मैं उस समाज से वाकिफ हूँ जिसमें किसी न किसी बहाने महिलाओं का शोषण किया जाता है कुछ चुनिंदा लोगो द्वारा पुरुषवादी मानसिकता समाज के बीच भरी जाती रही है और भरी जा रही है।
लेकिन मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ कि वे कौन लोग है जो ग्यारह हजार की रसीद कटाकर उस शनि को तेल चढ़ाने जा रहे है जहाँ उनकी माँ, पत्नी और बेटी को जाना मना है। उन पुरुषो की ऐसी क्या मज़बूरी है कि वे अपने परिवार की महिलाओं के अधिकारों को किनारे कर उन मन्दिरों में जा रहे है?
आपको याद होगा कि अन्धविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले और समाज में जागृति फैलाने वाले एम एम कुलबर्गी, गोविन्द पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी पता है क्यों? क्योंकि कुछ लोगो को डर था कि अगर ये लोग समाज में चेतना जगाने में कामयाब हो गए तो उनकी अन्धविश्वास की दुकानों पर ताले लग जायेंगे।
इस महिलाओं के अधिकार की लड़ाई में महिलाओं की बजाय अगर पुरुष आगे आये और उन सभी मंदिरो में जाना बन्द कर दें जहाँ उनकी माता, बहन और पत्नी को जाने नही दिया जा रहा है जैसे ही ग्यारह हजार वाली पर्चियां कटना बन्द हो जायेगी, मन्दिरों में चढ़ावा आना बन्द हो जायेगा। धर्म के व्यापार में आस्था के मुकाबले जैसे ही डॉलर (चढ़ावा) का स्तर गिरने लगेगा यकीन मानिये वो लोग आपको मंदिर में पधारने के लिए सपरिवार आमन्त्रित करेंगे।
सूरज कुमार बैरवा

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