आकाशवाणी की 80वीं वर्षगाँठ – एक प्रश्न

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o-ALL-INDIA-RADIOबी एन गोयल

गत 8 जून को आकाशवाणी की 80वीं वर्षगाँठ (1930 – 2016) बड़ी धूम धाम से मनाई गई. बधाईयां दी गई. सन्देश प्रसारित किये गये. आकाशवाणी और दूरदर्शन पर विशेष कार्यक्रम दिए गए. टवीटर पर मंत्रियों ने शुभ कामनाएं दी. विभिन्न केन्द्रों से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों जैसे डॉ. स्वामीनाथन आदि के इंटरव्यू उन के केन्द्रों से प्रसारित किये गए. हमने भी अपनी मित्र मंडली में एक दुसरे को शुभेच्छा भेजी. वास्तव में आकाशवाणी जैसी सांस्कृतिक संस्था का विभिन्न आयामों के साथ 80 वर्ष पूरे करना गौरव की बात है.

इस समारोह और उत्सवों से यह स्पष्ट है कि सरकारी तंत्र में 8 जून ही आकाशवाणी की जन्म तिथि मान लिया गया है. लेकिन इस बारें में इतिहास कुछ और ही कहता है. स्व० श्री जी सी अवस्थी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि इंग्लेंड में 23 फरवरी 1920 के दिन मार्कोनी कम्पनी ने पहला सफल प्रसारण किया था और नवम्बर 1922 यह प्रसारण नियमित हो गया. इसी वर्ष बी बी सी को एक वाणिज्यिक संस्था के रूप में स्थापित कर दिया गया. जे सी डब्लू रीथ को इस का महाप्रबंधक बना दिया गया.

1922 और 1926/7 के बीच में आता है एक ऐसा समय जब देश के अलग अलग कोनों में कुछ उत्साही युवकों ने एम्मेच्योर रेडियो क्लब खोले. इन में नवम्बर 1923 में बंगाल रेडियो क्लब और 16 मई 1924 को मद्रास में मद्रास प्रेसीड़ेंसी रेडीयो क्लब बनाया गया. ढाई महीने बाद 31 जुलाई से इस ने प्रसारण शुरू कर दिया. यद्यपि धन के अभाव में अक्तूबर में ही इसे बंद करना पडा. इन की देखा देखी 1928 में लाहौर में भी एक क्लब YMCA – Young Men’s Christian Association की स्थापना हुई. ये क्लब भी भारत के रेडियो इतिहास के महत्वपूर्ण पृष्ठ हैं.

जे सी डब्लू रीथ की हार्दिक इच्छा इंग्लेंड और भारत के बीच प्रसारण के क्षेत्र में मज़बूत सम्बन्ध बनाने की थी. अवस्थी जी के अनुसार ‘भारत में प्रसारण का प्रारम्भ 1926 से माना जा सकता है जब ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कम्पनी लिमिटेड’ नाम की एक प्राइवेट कंपनी ने भारत सरकार के साथ समझौता किया. इस के अंतर्गत 23 जुलाई 1927 और 26 अगस्त 1927 को क्रमशः मुंबई और कोलकाता (उस समय बम्बई और कलकत्ता) केन्द्रों की शुरुआत हुई. इन दोनों के 1.5 किलोवाट के मीडियम वेव ट्रांसमीटर थे. अतः यदि 1926 नहीं तो 23 जुलाई 1927 को निश्चित रूप से भारत में नियमित रेडियो प्रसारण की तिथि माना जाना चाहिए. हम मुंबई और कोलकाता रेडियो केन्द्रों के अस्तित्व को नकार कैसे सकते हैं. मद्रास, बंगाल तथा लाहौर के उत्साही नवयुवकों द्वारा बनाये गए रेडियो क्लब के योगदान को भूलना भी मेरे विचार से इतिहास के साथ खिलवाड़ करने जैसा है.

8 जून 1936 के दिन इसे सर्वग्राह्य एवं सर्वप्रसिद्ध नाम आल इंडिया रेडियो मिला क्योंकि इस का संक्षिप्त (acronym) नाम AIR हो जाता है. इस के लिए हम इस के जनक और पहले कंट्रोलर ऑफ़ ब्रॉडकास्टिंग लायनल फ़ील्डन के सदैव ऋणी रहेंगे. इन्होनें अपनी पुस्तक The Natural Bent में इस नामकरण की विस्तृत चर्चा की है कि किस प्रकार उन ने वाईसराय से इस नाम के लिए सहमति प्राप्त की. उन की निष्ठा, श्रमसाध्य प्रतिबद्धता, मेहनत और लगन अद्वितीय थी. अतः यह नाम करण की एक प्रक्रिया थी रेडियो की जन्म तिथि नहीं.
आज़ादी मिलने के बाद सरदार पटेल गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री के साथ साथ सूचना प्रसारण मंत्री भी थे. उन्हें लगा कि आल इंडिया रेडियो का हिंदी में भी एक ऐसा ही सुन्दर और संक्षिप्त वैकल्पिक शब्द होना चाहिए. चूँकि उन के तत्वाधान में सभी देसी राजाओं रजवाड़ों के विलय की प्रक्रिया चल रही थी अतः उन्हें मैसूर रियासत के निजी रेडियो स्टेशन का नाम आकाशवाणी अच्छा लगा और उन्होंने जनवरी 1950 से उसे अपना लिया. अतः मेरा निवेदन है की आकाशवाणी का जन्म दिन 8 जून 1936 की अपेक्षा 23 जुलाई 1927 को मनाया जाना चाहिए.

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लगभग 40 वर्ष भारत सरकार के विभिन्न पदों पर रक्षा मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय में कार्य कर चुके हैं। सन् 2001 में आकाशवाणी महानिदेशालय के कार्यक्रम निदेशक पद से सेवा निवृत्त हुए। भारत में और विदेश में विस्तृत यात्राएं की हैं। भारतीय दूतावास में शिक्षा और सांस्कृतिक सचिव के पद पर कार्य कर चुके हैं। शैक्षणिक तौर पर विभिन्न विश्व विद्यालयों से पांच विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर किए। प्राइवेट प्रकाशनों के अतिरिक्त भारत सरकार के प्रकाशन संस्थान, नेशनल बुक ट्रस्ट के लिए पुस्तकें लिखीं। पढ़ने की बहुत अधिक रूचि है और हर विषय पर पढ़ते हैं। अपने निजी पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की पुस्तकें मिलेंगी। कला और संस्कृति पर स्वतंत्र लेख लिखने के साथ राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक विषयों पर नियमित रूप से भारत और कनाडा के समाचार पत्रों में विश्लेषणात्मक टिप्पणियां लिखते रहे हैं।

1 COMMENT

  1. आज इस में सुधार कर लिया गया है – कल प्रसार भारती के CEO साब ने अपने एक पब्लिक भाषण में ‘प्रसारण के 80 वर्ष को सुधार कर 86 वर्ष कहा है ‘देर आयद दुरुस्त आयद …..

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