अखिलेश यादव को राजनीतिक परिपक्व समझा जाता था, लेकिन अखिलेश राजनीतिक के इतने कच्चे खिलाड़ी निकलेंगे, किसी को पता नहीं था। कई सारे मायनों से अब ये बात स्पष्ट हो रही है। चुनाव परिणाम से पहले टीवी चैनलों के एग्जिट पोल को देखने के साथ ही जहां सब शांत थे, वहीं अखिलेश को बुआ का प्रेम याद आने लगता है और वो मीडिया में ये संदेश भी दे देते हैं कि वो बुआ से हाथ भी मिला सकते हैं, ये जाने बिना कि ये परिणाम नहीं एग्जिट पोल है। यही नहीं चुनाव परिणाम के साथ ही कोई राजनीतिक दल खासकर जनता पर सार्वजनिक तौर पर तंज नहीं कसता। लेकिन अखिलेश ने ऐसा ही कर दिया। उन्होंने बोला कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जोरदार जीत को अप्रत्याशित बताते हुए शनिवार को कहा कि अब वह कह सकते हैं कि लोकतंत्र में समझाने से नहीं, बहकाने से वोट मिलता है। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए अखिलेश ने कहा ‘पूरे चुनाव में मुझे नहीं लगा कि ऐसा होगा। मेरी सभाओं में भारी भीड़ उमड़ती थी। पता नहीं क्या हुआ। हम देखना चाहते हैं कि अब समाजवादियों से भी अच्छा काम क्या होगा।’ उन्होंने टीस भरे अंदाज में कहा ‘मैं समझता हूं कि लोकतंत्र में समझाने से नहीं बहकाने पर वोट मिलता है। गरीब को अक्सर पता ही नहीं होता कि वह क्या चाहता है। किसान को पता ही नहीं होता कि उसे क्या मिलने जा रहा है. मैं समझता हूं कि जनता कुछ और सुनना चाहती रही होगी। मैं उम्मीद करता हूं कि अगली सरकार समाजवादी सरकार से ज्यादा अच्छा काम करेगी।’ सपा अध्यक्ष ने कहा कि जनता को अगर एक्सप्रेस-वे नहीं पसंद आया तो शायद उसने यूपी में बुलेट ट्रेन के लिये वोट दिया हो।