अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 के दिन देश को आज़ादी मिली। जश्न के इस मौके के पीछे बँटवारे का मातम चला आया। लहूलुहान देश को खड़ा करने के लिए राष्ट्रवाद के शंखनाद की आवश्यकता थी। तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के साये में पनपी शिक्षा का मुरीद था। देश का छात्र-नौजवान ठगा हुआ सा अंग्रेजों के जाने के बाद भी अंग्रेज़ियत को फलते-फूलते देख रहा था।हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति की नींव पर एक सुदृढ़ राष्ट्र खड़ा करने के आत्मविश्वास का हनन हो रहा था। ‘नेशन इन द मेकिंग’ की अवधारणा के आधार पर नया राष्ट्र बनाने के सपने के नाम पर एक छल रचा जा रहा था। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपनी ज़िम्मेदारी का अनुभव किया, गौरवशाली इतिहास और अनुपम विरासत सम्पन्न राष्ट्र के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाने और शिक्षा जगत में भारतीयता का स्वर मुखरित करने के उद्देश्य से 9 जुलाई 1949 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का गठन किया गया।

विश्वविद्यालय के परिसर में आने वाले विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और सामाजिक प्रश्नों पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हुए, शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त पराधीनता बोध से मुक्ति का आह्वान करता हुआ यह छात्र संगठन शनैः शनैः दिल्ली विश्वविद्यालय से निकलकर देश के अन्य विश्वविद्यालयों भी पहुँच गया।

25 जून 1974 को देश पर आपातकाल थोपा गया । तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही इरादों को धूल-धूसरित करने के लिए देश भर में बाबू जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले आंदोलन में अ भा वि प ने सक्रिय भूमिका अदा की। अ भा वि प के कार्यकर्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष अरुण जेटली के नेतृत्व में देश भर के छात्रों ने छात्र संघर्ष समिति का गठन कर आपातकाल के विरुद्द निर्णायक संघर्ष किया।

1987 में ‘मिस्टर क्लीन’ की छवि वाले प्रधानमंत्री राजीव गांधी का दामन बोफोर्स तोप के सौदे में दलाली के आरोपों से दागदार हुआ। एक बार फिर परिषद ने छात्र संघर्ष मोर्चा बनाकर आंदोलन का बिगुल फूंका। राजनैतिक परिवर्तन के सूत्रधार बने विश्वनाथ प्रताप सिंह को दिल्ली विश्वविद्यालय में आमंत्रित कर भ्रष्ट शासन को उखाड़ फेंकने की लड़ाई का आगाज़ किया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश, परिवहन, परीक्षा और परिणाम से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए परिषद ने वर्षानुवर्ष संघर्ष किया है। परिसर में छात्राओं की सुरक्षा का मामला हो या फिर पूर्वोत्तर भारत से आने वाले विद्यार्थियों के सम्मान और गरिमा का प्रश्न हो, दिल्ली की विद्यार्थी परिषद इकाई ने इन मुद्दों पर प्रभावी कार्रवाही के लिए लगातार संघर्ष किया है। विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के परिसरों में पनपने वाली गुंडागर्दी और पेशेवर नेतागिरी के खिलाफ अ भा वि प ने शालीन और व्यावहारिक प्रतिरोध उत्पन्न किया है।

परिषद दलगत राजनीति से परे एक रचनात्मक छात्र संगठन है, छात्रों में सकारात्मक एवं सृजनशील नेतृत्व का विकास कर उन्हें राष्ट्रीय जीवन में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने में यह सदैव अग्रणी रहा है। अनेक रचनात्मक कार्यक्रमों के जरिये यह संगठन विद्यार्थियों की सृजनात्मक शक्ति का विकास कर उन्हें समर्थ और सक्षम नागरिक बनने की राह पर चलने के लिए तैयार करता रहा है। आज देश के अनेक सफल उद्यमी, शिक्षक, पत्रकार, विधिवेत्ता, वैज्ञानिक,राजनेता,कलाकार आदि ऐसे हैं जो किसी समय दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्यार्थी परिषद इकाई के कार्यकर्ता रहे हैं। परिषद को अपनी इस अनूठी विकास यात्रा और इन सब कार्यकताओं पर गर्व है।

अनेक विघ्नों, बाधाओं, उतार-चढ़ावों के बावजूद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय में सार्थक, समर्थ और सक्षम छात्र संगठन के रूप में abvpअपनी पहचान और प्रतिष्ठा को नित नए आयाम दिये हैं। आइये ! परिषद के साथ जुडकर इन आयामों को और अधिक विस्तार और विकास प्रदान करने में अपनी भूमिका अदा करें।

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