—विनय कुमार विनायक
अल्लाह, ईश्वर, रब, खुदा खुद एक हो जा,
आ मेरे मौला आ, संग-संग होली मना!
राधा-कान्हा के संग में तुम भी आज रंग जा
आ मेरे मौला आ,संग-संग होली मना!
तेरे मिल्लत में हमने ईद की सेवईयां खाई,
तुम भी होली उत्सव का थाली भर पुआ खा!
अल्लाह,ईश्वर, रब, खुदा खुद एक हो जा!
आ मेरे मौला आ, संग-संग होली मना!
विशेष संज्ञा से जबतक स्वीकारोगे विशेष पूजा
तब तक समझेंगे लोग तुझे एक नहीं दूजा!
सातवें आसमान से उतर मोरमुकुट पीतांबर पहने
इंसानी रंग में रंग करके धरती पर आ जा!
हे विश्व के बिस्मिल्लाह भूपर चैन की बंसी बजा
आ मेरे मौला आ, संग में मिलके होली मना!
राम,अब्राहम,कृष्ण,क्राइस्ट सब तुम्हारी ही संज्ञा
मस्जिद में राम-कृष्ण-क्राइस्ट को पनाह दो!
मंदिर गिरजाघर में हे खुदा खुद निवास कर लो
जन-जन-कण-कण बासी तुम ये कथन सार्थक हो!
विभिन्न पर्यायधारी अल्लाह ईश्वर रब तुम हो
तुमने जन्म दिया ढेर अवतार पैगम्बर गुरु को!
राम-कृष्ण अवतार तुम्हारे, यीशु भी तेरा बेटा
अल्लाह, ईश्वर, रब, खुदा खुद एक हो जा!