शादाब ज़फ़र शादाब
सीरिया के बाद अफगानिस्तान पर जिस प्रकार से अमेरिका ने हमला किया उस की निन्दा होनी चाहिये.सिरिया, अफगानिस्तान पर हमले का अमेरिका का अपना नजरिया सही हो सकता है मगर इस का ये मतलब नही कि अमेरिका आतंकवाद के खात्मे की और दुनिया को आतंक मुक्त बनाने की आड़ मै छोटे छोटे देशो के मासूम निर्दोश बच्चो बडो को मौत की नींद सुलाता रहेगा और दुनिया के तमाम देश डरे सहमे सब तमाशा देखते रहेगे.कल अगर उत्तर कोरिया का सनकी तानाशाह अमेरिका सहित दुनिया के किसी भी देश पर परमाणु हमला कर दे तो कोई आश्चर्य नही होगा वही अमेरिका की ये तानाशाही कल विश्व मै क्या तूफान मचा दे कहना मुश्किल है. क्यो कि मै अभी भी समझ नही पा रहा हूं कि अमेरिका ये हमले आतंकवाद मिटाने को कर रहा है या दुनिया पर अमेरिका का आतंक पैदा करने को.
परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया का सनकी तानाशाह किम जोंग लंबे समय से अमेरिका की आंखों में खटक रहा है. उत्तर कोरिया के मिसाइल टेस्ट और रासायनिक हथियारों को लेकर ट्रंप किम जोंग को चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन किम जोंग ने दो टूक शब्दों में कहा कि वो अमेरिका से डरने वाला नहीं हैं. सीरिया पर अमेरिकी हमले को लेकर भी उत्तर कोरिया ने ट्रंप पर निशाना साधा था.इस हमले के बाद उत्तर कोरिया से अमेरिका के रिश्ते में भी कोई बड़ा बदलाव देखा जा सकता है.क्यो कि अमेरीका ने जो अफगानिस्तान में बम गिराया है
वो परमाणू बम के बाद सब से ज्यादा विनाशकारी है.इस का तकनीकी नाम तो GBU 43 है पर आम बोलचाल की भाषा मे उसे MOAB कहते हैं । MOAB का मतलब Massive Ordnance Air Blast .
इसके अलावा MOAB को Mother Of All Bombs भी कहा जाता है ।
पर मुझे अगर हिंदी में कहना होगा तो मैं इसे सभी बमों का बाप कहूंगा ।
धरती पे अब तक जितने भी विध्वंसक बम हैं उनमें परमाणु बम के बाद दूसरा नंबर इस MOAB का ही आता है ।
इसकी खासियत ये है की ये बहुत बड़ा होता है । इस बम का वज़न 21,600 पौंड होता है यानी 9525 किलो का बम …….. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि किसी ने एक ट्रक अत्यंत ज्वलनशील बारूद आपके शहर के बीचों बीच फोड़ दिया हो …….. और इसे F16 जैसे किसी लड़ाकू विमान से नही बल्कि भारी भरकम मालवाहक हर्क्यूल्स विमान से गिराया जाता है । गौर कीजिए इसे निशाने पे दागा नही जाता बल्कि गिराया जाता है , वो भी पैराशूट से । आसमान से मौत अचानक नही बल्कि धीरे धीरे टपकती है ।यानी आप अपनी मौत को आसमान से अपनी तरफ धरे धीरे आते देख सकते हैं .
इस बम में जो तकनीक प्रयोग में लायी जाती है की बम जब फटता है तो इससे बड़ी भयंकर आग लगती है । इतनी भयंकर कि वो कुछ क्षणों में अपने आसपास के वातावरण की सारी ऑक्सीजन को सोख लेती है । इसके शिकार धमाके से नही मरते बल्कि ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से और झुलस के मरते हैं ।
दूसरी बात ये कि इस से सिर्फ जान की क्षति होती है माल की नही । मने घर द्वार इमारतें सही सलामत रहेगी । सिर्फ आदमी जानवर चिड़िया पशु पक्षी कीड़े मकोड़े और सब वनस्पतियां झुलस के दम घुट के मर जाएंगी ।
ये बम 1.6km के क्षेत्र में तो कुछ ज़िंदा नही छोड़ता और आदमी तो 6 से 7 किमी के दायरे में भी नही बचते । शिकार इस बम से बच के भाग नही सकता । जाएगा कहां ? जब ऑक्सीजन ही नही है वातावरण में ।
अमेरिका का तर्क है कि अफगानिस्तान के पहाड़ों की गहरी गुफाओं में IS के आतंकी अपना अड्डा बनाये थे ।
ये गुफाएं पहाड़ों के अंदर इतनी गहरी हैं कि वहां लड़ाकू विमानों से गिराए गए बम कोई काम नही करते । ऐसे में ये MOAB से ऑक्सीजन सुखा के आतंकियों को मारा गया है
कुल 3500 से ज़्यादा आतंकी मारे गए है शायद ।
हालांकि अभी मरने वालों की संख्या की पुष्टि होनी बाकी है पर सीरिया और अफगानिस्तान के हमले बहुत दर्दनाक है क्यो कि इन हमलो मै दोनो देशो के निर्दोश नागरिको की मौते भी हुई है. अगर अमेरिका वास्तव मै विश्व को आतंक मुक्त करना चाहता है तो सब से पहले उसे पाकिस्तान पर नकेल कसनी होगी.अरबो डॉलर की उसे दी जाने वाली मदद बंद करनी होगी.हक्कानी नेटवर्क ,हाफिज सईद पर दबाव बनाना होगा.
अमेरिका ने अफगानिस्तान में जहां बम गिराया है, वहां से पाकिस्तान की तोरहाम बॉर्डर की दूरी महज 60 किमी है, लेकिन मसला केवल दूरी का नहीं हैं.अमेरिका ने आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के गढ़ पर GBU-43 को गिराया है हो सकता है कि अमेरीका की पाकिस्तान के लिए ये चेतावनी हो कि वो अब अलकायदा और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करे, वरना अमेरिका का अगला निशाना उसके वो ठिकाने हो सकते हैं जहां आतंकवादी संगठन फल फूल रहे हैं.
अफगानिस्तान हमले के बाद उत्तर कोरिया से अमेरिका के रिश्ते में भी कोई बड़ा बदलाव दिख सकता है. वैसे विश्व राजनीति की जो हालत है, उसमें ये तय है की आने वाले दिनो मै विश्व मै काफी बदलाव नज़र आ सकता है…शायद दुनिया की तबाही का ये आग़ाज़ हो…..
अमेरिका एवं ब्रिटेन Mother of All terrorism एवं Father of All terrorism है. कब शेष विश्व इस बात को समझेगा. कब तक हम सब उनके बुने जाल में उलझ कर एक दुसरे से लड़ते रहेगे.