अपना आपा खो दॅू

अपने घर -परिवार के लिये,
अपने सगे संबंधियों के लिये
अपने समाज व देश के लिये
मैं जीना चाहता हॅू सभी के लिये
इस हद तक,
कि अपना आपा खो दॅू।
मैं अपने सारे स्वार्थो के बिना
मैं अपने सारे हितों के बिना
दूसरों के लिये
अपना सारा जीवन जीना चाहता हॅू
इस हद तक,
कि अपना आपा खो दूंूॅू।
अपने जीवन के दुखों में
मैं अकेला ही गाता रहा हूॅ
हर अधंरेी रातों -जज्बातों को
मैं अकेले ही सहलाता रहा हॅू
मेरे अहम के चक्रव्यूह में फॅसा
अब तक खुद एक अहंकारी रहा हॅू
अहम को जीत लू
इस हद तक
कि अपना आपा खो दूूॅं।
मेरे एक- एक विचार स्वार्थभरे है
मेरे विचारों में शब्दों के किलेगढ़े है
खुदका दुनिया से बेहतर दिखाने में लगा हूॅॅ
दुुनियावाले करे मेरी प्रसंशा यह जताने लगा हॅॅू
अपने अहम की घृणा को छोड़़ दू
पीव इस हद तक
कि अपना आपा खो दूंॅू।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,012 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress