सेना प्रमुख, घुसपैठिये और एआइयूडीएफ

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने असम में बांग्लादेशियों की घुसपैठ और
बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के उभार पर जो कहा, उसे लेकर
आरोप-प्रत्‍यारोपों का दौर शुरू हो गया है। आश्‍चर्य है कि जनरल रावत की
कही गई सही बात के भी गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं। वस्‍तुत: उन्‍होंने
नॉर्थ-ईस्ट पर आयोजित सेमिनार में यही कहा था कि देश के उत्तर पूर्व में
बाहर से आयी अवैध आबादी के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। चीन की मदद से
पाकिस्तान अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत भेज रहा है। ये प्रॉक्सी
युद्ध की तरह है, जहां पाकिस्तान और चीन चाहते हैं कि इस इलाके में
लगातार तनाव बना रहे। पड़ोसी ये गेम अच्छी तरह खेल रहा है। इस इलाके को
अशांत रखने के लिए अवैध आबादी भेजी जा रही है। वे परोक्ष युद्ध के जरिये
इस क्षेत्र पर नियंत्रण का प्रयास करते रहेंगे। इससे उनको पारंपरिक युद्ध
भी नहीं लड़ना होगा।
इसके अतिरिक्‍त नॉर्थ-ईस्ट की आबादी में छेड़छाड़ पर उन्‍होंने कहा कि
पिछले कई साल में बीजेपी ने जिस तेजी से विकास किया, उससे कई गुना ज्यादा
तेजी से एआईयूडीएफ यहां फैली है। अगर हम जनसंघ और उसके दो सांसदों वाली
पार्टी की तुलना असम में एआइयूडीएफ से करें तो पाएंगे कि ये उनसे ज्यादा
तेजी से बढ़ रहे हैं, जो चिंता की बात है । इस तरह से जनरल की कही गई
समस्‍त बातों में देश की सीमाओं को लेकर चिंता साफ झलक रही है। साथ में
यह भी कि लोकतंत्र व्‍यवस्‍था में किस तरह के खतरे होते हैं, जिनसे हमें
आक्रामक होकर ही लड़ना चाहिए।
क्‍या आज कोई इस बात से इनकार कर सकता है कि ऑल इंडिया यूनाइटेड
डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) मुस्लिमों के पैरोकार के रूप में 2005 में
बनी एक राजनीतिक पार्टी है? संयोग से इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने
विवादास्पद अवैध अप्रवासी कानून (आइएमडीटी) को रद्द कर दिया था। स्‍वयं
अप्रवासी मुसलमान भी मानते हैं कि केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार का
बनाया गया यह कानून उन्हें उत्पीड़न से बचाने वाला था। इसी से बदरुद्दीन
अजमल को बांग्‍लादेशी घुसपैठियों के हक में खड़े होने का मौका मिल गया।
जिसके परिणामस्वरूप 2006 के विधानसभा चुनाव में एआइयूडीएफ को 10 सीटें
मिली, 2011 में उसने बांग्लाभाषी मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में 18
सीटें प्राप्‍त की। 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने तीन सीटें जीतीं और 24
विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त कायम किया। फिर विधानसभा चुनाव में भी वो 13
सीट जीतने में कामयाब रहा। प्रश्‍न यह है कि क्‍या इस पार्टी ने भारतीय
मुसलमानों की दम पर अपनी जीत सुनि‍श्‍चित की। उत्‍तर है, नहीं। यह बात
साफ है कि ये राजनीतिक पार्टी बांग्‍लादेशी घुसपैठियों द्वारा गलत तरीके
से बनवाये गये वोटर आईडी की दम पर ही आज असम का प्रमुख विपक्षी दल बन सकी
है।
देश का वर्तमान सच यही है कि पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं पर पर्याप्त
चौकसी का अभाव अभी भी बना हुआ है, जिसके कारण बांग्लादेशी घुसपैठिए असम,
त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और बिहार तक ही नहीं, बल्कि राजधानी दिल्ली के
अलावा कई अन्य प्रमुख शहरों तक पहुंच गए हैं। अनुमान है कि पूरे देश में
इन बांग्‍लादेशी घुसपैठियों की संख्या तीन करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।
इस घुसपैठ के कारण सीमावर्ती जिले मुस्लिम बहुल हो गये हैं और जनसंख्या
संतुलन बिगड़ गया है। इस संदर्भ में असम के पूर्व राज्यपाल अजय सिंह
द्वारा केंद्र को सौंपी गयी रिपोर्ट को भी देखा जा सकता है। इसके आंकड़े
साफ कहते हैं प्रतिदिन छह हजार बांग्लादेशी भारत की सीमा में घुसपैठ करते
हैं। इस बात का प्रमाण संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी है।
वस्‍तुत: इस घुसपैठ की भयावहता इससे भी समझ आती है कि छत्‍तीसगढ, पंजाब,
हरियाणा, दिल्‍ली, उत्‍तराखण्‍ड, तेलंगाना, जम्‍मू–कश्‍मीर, हिमाचल
प्रदेश, झारखण्‍ड, केरल, असम राज्‍य एकल एवं सयुक्‍त रूप से तथा छोटे
राज्‍यों में त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्‍ड, गोआ जैसे कई
राज्‍यों की कुल जनसंख्‍या से अधिक आज अवैध बांग्‍लादेशी भारत में घुस आए
हैं। आप अनुमान लगा सकते हैं कि एक राज्‍य के विकास एवं संसाधन एकत्र
करने में कितना परिश्रम राज्‍य सरकार एवं केंद्र को करना पड़ता है, तब इन
घुसपैठियों पर भारत का कितना अधिक संधाधन प्रतिदिन व्‍यय हो रहा होगा ?
इन घुसपैठियों की कुल संख्‍या के अंतर को आज देशों की समुची आबादी से भी
जोड़कर देखा जा सकता है। अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या मॉरीशस के बराबर है,
छत्तीसगढ़ की नेपाल के, दिल्ली की जनसंख्या बेलारूस के, गोवा की
एस्टोनिया के तथा हरियाणा की जनसंख्या यमन के बराबर है। इसी तरह से
हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या हांगकांग और जम्मू-कश्मीर की जिम्बाब्वे,
झारखंड की जनसंख्या इराक के समान व केरल की कनाडा, मणिपुर की मंगोलिया,
पंजाब की मलेशिया तथा सिक्किम की जनसंख्या ब्रिटेन एवं उत्तराखंड की
जनसंख्या पुर्तगाल के बराबर है। इस तरह से जो कई देशों की कुल जनसंख्‍या
है और कई छोटे देशों को मिलाकर जो जनसंख्‍या हमारे राज्‍यों की है, उससे
अधिक आज भारत में इन बंग्‍लादेशी घुसपैठिए मुस्‍लिमों की जनसंख्‍या है।
वास्‍तव में यह अवैध आबादी देश के संसाधनों का ही उपयोग नहीं कर रही
बल्कि इन घुसपैठियों में से अधिकांश चोरी, लूटपाट, डकैती, हथियार एवं पशु
तस्करी, जाली नोट एवं नशीली दवाओं के कारोबार जैसी आपराधिक गतिविधियों
में शामिल पाए जाते रहे हैं। इसके अलावा बांग्लादेशी घुसपैठ एक हथियार के
रूप में उभरकर आतंकवादी संगठनों एवं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की
गतिविधियों से जुड़ी पाई जाकर देश की सुरक्षा के समक्ष खतरा पैदा करती
रही है।
वर्तमान में बांग्लादेशी यहां अवैध रूप से राशन कार्ड और मतदाता
पहचान-पत्र बनाकर कई विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में निर्णायक की
भूमिका निभा रहे हैं। इससे संबंधित जो आंकड़े हैं, वे बताते हैं कि किस
तरह से पश्चिम बंगाल के 52 विधानसभा क्षेत्रों में 80 लाख और बिहार के 35
विधानसभा क्षेत्रों में 20 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। भारत अन्‍य
देशों के टार्गेट में कैसे है इसका अंदाज इससे भी मिलता है कि ब्रिटेन
पूर्वोत्तर क्षेत्र को मिनी इंग्लैंड बनाना चाहता है। चीन यहां अपना
नियंत्रण चाहता है तो बांग्लादेश यहां अपने प्रभाव का विस्तार कर इसे
ग्रेटर बांग्लादेश बनाना चाहता है। इसलिए सेना प्रमुख रावत जो कह रहे हैं
वह सही है और उनकी समस्‍त चिंताएं वाजिब हैं।
अत: इस पर बेकार में बहस करने का कोई औचित्‍य नहीं, बल्कि समस्‍या के
समाधान के लिए देश में माहौल बनना चाहिए और देश में कसी भी तरह की घुसपैठ
के खिलाफ सामूहिक प्रयास होने आरंभ हो जाने चाहिए। वस्‍तुत: तभी आर्मी
प्रमुख की कही बातों का कोई मतलब है।

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