गजल नज़्म June 23, 2015 | Leave a Comment -राघवेन्द्र कुमार “राघव”- किसी की तासीर है तबस्सुम, किसी की तबस्सुम को हम तरसते हैं । है बड़ा असरार ये, आख़िर ऐसा क्या है इस तबस्सुम में ।। देखकर जज़्ब उनका, मन मचलता परस्तिश को उनकी । दिल-ए-इंतिख़ाब हैं वो, इश्क-ए-इब्तिदा हुआ । उफ़्क पर जो थी ख़ियाबां, उसकी रंगत कहां गयी । वो गवारा […] Read more » Featured गजल तबस्सुम नज़्म
गजल खोया हूं मैं June 22, 2015 / June 22, 2015 | Leave a Comment –मनीष सिंह- खोया हूँ मैं हक़ीक़त में और फ़साने में , ना है तुम बिन कोई मेरा इस ज़माने में। तुम साथ थे तो रौशन था ये जहाँ मेरा , अब जल जाते हाथ अँधेरे में शमा जलाने में। यूँ तो मशरूफ कर रखा है बहुत खुद को , फिर भी आ […] Read more » Featured खोया हूँ मैं गजल
विविधा समाज संतान को देकर जाएं June 20, 2015 / July 20, 2015 | Leave a Comment श्री राम कृष्ण श्रीवास्तव 1 हम अपने माता पिता होने का दायित्व बड़ी कुशलता से निभाते हैं। अपने बच्चे को योग्यतम शिक्षा और ज्ञान देकर समाज में सम्मान के साथ रहने के लिए उसे उचित मार्ग दर्शन देते हैं। जिसके आधार पर वह अपनी योग्यता से वो सब कुछ अर्जित करने की क्षमता और सामर्थ्य […] Read more » ’’एक संतान’’ Featured give your child relationships इकलौती संतान को सम्पूर्ण पारिवारिक सम्बन्ध संतान को देकर जाएं
परिचर्चा समाज और धर्म की समापन किस्त June 17, 2015 | Leave a Comment -गंगानंद झा- जब अपने बड़े बेटे के हाई स्कूल में नामांकन का अवसर उपस्थित हुआ तो मेरे सामने चुनाव की समस्या आई, किस स्कूल में नामांकन कराया जाए? तब सीवान में लड़कों के तीन और लड़कियों के दो हाई स्कूल हुआ करते थे । लड़कों के स्कूलों के नाम थे डी.ए. वी. हाई स्कूल, इस्लामिया […] Read more » Featured धर्म समाज समाज और धर्म की समापन किस्त
खेत-खलिहान किसान और मनरेगा अधिनियम June 13, 2015 | 1 Comment on किसान और मनरेगा अधिनियम –अशोक “प्रवृद्ध”- गोंदल सिंह गाँव का एक लघु कृषक था और अपने गाँव में रहकर खेती एवं पशुपालन करते हुए अपनी आजीविका मजे में चला रहा था। संपन्न नही था फिर भी खुशहाल जीवन जी रहा था। गोंदल सिंह को खेती से बहुत प्यार था और किसान होने पर उसे गर्व था। वह कहता था […] Read more » Featured किसान किसान और मनरेगा अधिनियम मनरेगा मनरेगा अधिनियम
चिंतन श्रेय और प्रेय का मार्ग June 13, 2015 | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण में दो ध्रुव – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव हैं । दोनों ध्रुवों को ही पृथ्वी की धुरी कहा जाता हैं और दोनों में ही असाधारण शक्ति केन्द्रीभूत मानी जाती हैं । इसी भान्ति चेतन तत्त्व के भी दो ध्रुव हैं जिन्हें माया और ब्रह्म कहा जाता है […] Read more » Featured जिंदगी जीवन मनुष्य श्रेय और प्रेय का मार्ग
जरूर पढ़ें अब बिस्मिल की चिता पर मेले नहीं जुड़ते June 11, 2015 / June 11, 2015 | 3 Comments on अब बिस्मिल की चिता पर मेले नहीं जुड़ते -अवधेश पाण्डेय- आज 11 जून है, पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्मदिवस, सभी जानते हैं कि बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों का स्वप्न एवं एकमेव लक्ष्य स्वराज्य की प्राप्ति था. वह अंग्रेज़ी राज्य की दासता में कदापि नहीं जीना चाहते थे और स्वतंत्र होने के लिये तड़पते रहते थे. बिस्मिल का जोश क्षणिक आवेग नहीं था, उनकी […] Read more » Featured अब बिस्मिल की चिता पर मेले नहीं जुड़ते पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल' बिस्मिल
राजनीति बिहार नए इतिहास को रचने को तैयार ! June 11, 2015 | 4 Comments on बिहार नए इतिहास को रचने को तैयार ! -गंगा प्रसाद- बिहार में चुनावी बिगुल बज गया है, राजनीति पार्टियों के बीच एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर तेजी पकड़ने लगा है, ये बात सही है कि राजनीति हर बार एक नया इतिहास रचती है, इसी कड़ी में बिहार एक बार फिर से एक नया इतिहास रचने को तैयार खड़ा है 2014 लोकसभा […] Read more » Featured बिहार बिहार नए इतिहास को रचने को तैयार बिहार राजनीति महागठबंधन विलय
कविता परिंदे June 10, 2015 | Leave a Comment -मनोज चौहान- 1) कविता / परिंदे मैं करता रहा, हर बार वफा, दिल के कहने पर, मुद्रतों के बाद, ये हुआ महसूस कि नादां था मैं भी, और मेरा दिल भी, परखता रहा, हर बार जमाना, हम दोनों को, दिमाग की कसौटी पर । ता उम्र जो चलते रहे, थाम कर उंगली, वो ही […] Read more » Featured कविता परिंदे
कविता मौत एक गरीब की June 10, 2015 | 3 Comments on मौत एक गरीब की -मीना गोयल ‘प्रकाश’- कुछ वर्ष पहले हुई थी एक मौत… नसीब में थी धरती माँ की गोद … माँ का आँचल हुआ था रक्त-रंजित… मिली थी आत्मा को मुक्ति… सुना है आज अदालत में भी… हुई हैं कुछ मौतें… है हैरत की बात… नहीं हुई कोई भी आत्मा मुक्त… होती है मुक्त आत्मा… मर […] Read more » Featured कविता मौत एक गरीब की
परिचर्चा फेसबुकिया साहित्य और सोशल मीडिया June 10, 2015 / June 10, 2015 | Leave a Comment -अनुराग सिंह- फेसबुक का आविष्कार अपने दशक की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धिओं में से एक है। इसने तमाम क्रांतिआं करवाई एवं कई राष्ट्र की सत्ता को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।फेसबुक आज एक बड़ा मंच बनकर उभरा है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह जीवन से जुड़े हर पहलू का मंच है।ऐसे में साहित्य इससे अछूता कैसे […] Read more » Featured फेसबुक फेसबुकिया साहित्य और सोशल मीडिया सोशल मीडिया
कहानी आंटी नहीं फांटी… June 10, 2015 / June 10, 2015 | Leave a Comment -क़ैस जौनपुरी- “चार समोसे पैक कर देना.” जी, और कुछ? और…ये क्या है? ये साबुदाना वड़ा है. ये भी चार दे देना. नाश्ते की दुकान पर खड़ा लड़का ग्राहक के कहे मुताबिक चीजें पैक कर रहा है. ग्राहक नज़र घुमा के चीजों को देख रहा है. दुकान में बहुत कुछ है. जलेबी…लाल इमिरती…और वो क्या […] Read more » Featured आंटी नहीं फांटी कहानी