विविधा गीत निराला के February 4, 2014 | Leave a Comment -भारतेन्दु मिश्र- युग बीत गया, निराला की कविता नहीं रीती। वो आज भी प्रासंगिक हैं। उनके गीत कालजयी हैं। छन्दोबद्ध कवियों को निराला से बहुत कुछ सीखना है। सन-1923 में निराला का पहला कविता संग्रह – अनामिका- प्रकाशित हुआ। अनामिका में ही अधिवास शीर्षक एक कविता है जिसमें निराला कहते हैं- मैंने मैं शैली […] Read more » Nirala's poem vasant panchmi special गीत निराला के
राजनीति आजम खां की जिहादी मानसिकता January 30, 2014 / January 30, 2014 | Leave a Comment -यति नरसिंहानन्द सरस्वती- उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री मो. आजम खां ने मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों के सम्मेलन में मुस्लिमों को एक बार फिर भड़काते हुए कहा कि हम देश की आबादी का पांचवां हिस्सा हैं, उन्होंने मदरसा संचालकों से कहा कि हम दुश्मन (गैर मुसलमान यानि काफिर) का […] Read more » Azam khan आजम खां की जिहादी मानसिकता
व्यंग्य हजाम और अर्थशास्त्री के वार-पलटवार January 29, 2014 / January 29, 2014 | Leave a Comment -डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी- शाम को शहर की सड़क पर ‘इवनिंग वॉक’ के लिए निकला था, तभी एक हजाम (नाई/बारबर) का सैलून खुला दिखा। बड़ी लकदक दुकान और दूधिया प्रकाश से रौनक महंगी कुर्सियाँ और आगे-पीछे शीशे लगे हुए थे। युवा हज्जाम से सड़क की ऊबड़-खाबड़ पटरी पर खड़ा ही लगभग चिल्लाकर जोर की […] Read more » satire on indian politics हजाम और अर्थशास्त्री के वार-पलटवार
लेख बेरोजगारी की मार से बेहाल युवा वर्ग January 28, 2014 / January 28, 2014 | Leave a Comment -ओपी सोनिक- कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय युवा नीति-2014 को मंजूरी दी गई। इसका मुख्य उद्देश्य युवा वर्ग को क्षमता एवं दक्षता हासिल करने के लिए सशक्त बनाना है, ताकि युवा शक्ति को देश के विकास में लगाया जा सके। नई युवा नीति में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पांच […] Read more » Unemployment in India बेरोजगारी की मार से बेहाल युवा वर्ग
राजनीति कश्मीरियत का सबसे बड़ा दुश्मन हुर्रियत January 25, 2014 / January 25, 2014 | Leave a Comment -वीएसके- जम्मू कश्मीर में इन दिनों एक अलग तरह का विरोध दिखाई दे रहा है। यह विरोध है अपनी भाषा की उपेक्षा का विरोध। बिल्कुल अंग्रेजियत अंदाज में जम्मू कश्मीर सरकार इन दिनों राशनकार्ड का फार्म भरवा रही है। फार्म स्थानीय कश्मीर की भाषाओं में न होकर अंग्रेजी में हैं। जिसे लेकर जम्मू कश्मीर […] Read more » kashmir politics कश्मीरियत का सबसे बड़ा दुश्मन हुर्रियत
कविता नींद तुम्हारी आंखों में January 24, 2014 / January 24, 2014 | Leave a Comment -श्यामल सुमन- नींद तुम्हारी आंखों में पर मैंने सपना देखा है अपनों से ज्यादा गैरों में मैंने अपना देखा हैकिसे नहीं लगती है यारो धूप सुहानी जाड़े की बर्फीले मौसम में टूटे दिल का तपना देखा है बड़े लोग की सर्दी – खांसी अखबारों की सुर्खी में फिक्र नहीं जनहित की ऐसी खबर का छपना […] Read more » poem नींद तुम्हारी आंखों में
राजनीति मकसद में पड़ गईं दरारें January 23, 2014 / January 23, 2014 | 2 Comments on मकसद में पड़ गईं दरारें – आलोक कुमार- दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद से आम आदमी पार्टी के अति-उत्साहित नेताओं के सम्बोधन व बयानों को सुनने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि एक दिशाहीन कुनबा है , जिस के पास जनता से मिले अपार समर्थन का जोश तो है, मगर कोई राजनीतिक सोच एवं रणनीति नहीं है । […] Read more » AAP Arvind Kejrival मकसद में पड़ गईं दरारें
राजनीति असलियत “आप” की January 23, 2014 / January 23, 2014 | 3 Comments on असलियत “आप” की -आलोक कुमार- ‘कांग्रेस-भाजपा से समर्थन न लेंगे, न देंगे’ का ताल ठोंककर नेतागिरी करने आए और फिर कांग्रेस की गोद में जा बैठे। राजनीति की इस नयी ‘सर्कस -मण्डली”आप’ ने जबरदस्त नौटंकी का जाल बिछा रखा है। जिसमें बेचारी जनता ठगी जा रही है। मीडिया इस नाटक का लुत्फ़ उठा अपनी टीआरपी बढ़ा रही […] Read more » reality of AAP असलियत "आप" की
विविधा ‘बिग बॉस’ की भूमिका में बिहार के नौकरशाह January 23, 2014 / January 23, 2014 | Leave a Comment -आलोक कुमार- पिछले आठ सालों के सुशासनी शासन के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री ने कई बार नौकरशाहों को गांवों की तरफ रुख करने के ‘दिखाऊ निर्देश’ दिए लेकिन न प्रमुख सचिव और सचिवों ने गांवों का रुख किया और न ही जिलाधिकारीओं और आयुक्तों ने गांवों के भ्रमण में रुचि दिखाई। मुख्यमंत्री की सेवा और अधिकार यात्राओं […] Read more » "बिग बॉस“ की भूमिका में बिहार के नौकरशाह Bihar bureaucracts
राजनीति सुशासनी रिपोर्ट-कार्ड और बिहार की मीडिया January 22, 2014 / January 22, 2014 | Leave a Comment -आलोक कुमार- हाल में बिहार के सारे अखबारों ने “आठ सालों के सुशासनी रिपोर्ट-कार्ड” को जिस तरीके से परोसा वो अपने आप ही सुशासन के मीडिया-मैनेजमेंट की सच्चाई को बयां करता है। पढ़ने के बाद यही लगा है कि मीडिया अपनी आलोचक और प्रहरी की भूमिका को पूर्णरूप से भूलकर “दरबारी” की भूमिका बखूबी निभा रहा है। मीडिया को “चाटुकारिता” की […] Read more » Bihar media सुशासनी रिपोर्ट-कार्ड और बिहार की मीडिया
राजनीति समग्र विकास का दावा छलावा नहीं तो और क्या है ? January 22, 2014 / January 22, 2014 | 1 Comment on समग्र विकास का दावा छलावा नहीं तो और क्या है ? -आलोक कुमार- सामाजिक समीकरणों से सत्ता को साधने की कोशिश कोई स्थायी नतीजे नहीं दे सकती, बल्कि एक ऐसी राजनीतिक दिशा का निर्माण करती है जिसमें जनता को “सताया” ज्यादा जाता है और जनता की “सेवा” कम की जाती है। आज यही हो रहा है बिहार में। आजकल बिहार में एक और महत्त्वपूर्ण ‘मिशन’ जारी है […] Read more » bihar Nitish Kumar समग्र विकास का दावा छलावा नहीं तो और क्या है ?
राजनीति दिल्ली सरकार का विरोध प्रदर्शन, उल्टी पड़तीं तदवीरें ! January 21, 2014 / January 21, 2014 | Leave a Comment -फखरे आलम- मीर दर्द ने दिल्ली की तंग और संकीर्ण गलियों में बैठकर लगभग सौ वर्ष पहले कहा था कि उल्टी पड़ गई सब तदवीरें कुछ न दवा ने काम किया! आज दिल्ली की जनता घर में बैठकर, कामकाज के लिये घर से निकलते समय! कामकाज के लिए ऑफिस और दफ्तर में आते-जाते अपने […] Read more » protest of Delhi government उल्टी पड़तीं तदवीरें ! दिल्ली सरकार का विरोध प्रदर्शन