प्रवक्ता न्यूज़ छत्तीसगढ़ : नक्सल पीड़ित जिलों के बच्चों ने रचा इतिहास June 11, 2012 / June 11, 2012 | Leave a Comment ए.आई.ई.ई.ई. में ‘प्रयास’ विद्यालय के 222 में 149 को मिली कामयाबी छत्तीसगढ़ के नक्सल हिंसा पीड़ित जिलों के बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण देकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए राज्य शासन द्वारा दो वर्ष पहले शुरू की गई मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के उत्साहजनक नतीजे अब मिलने लगे […] Read more »
विविधा कन्या भ्रूण हत्या का तेजी से विकसित होता बाजार June 9, 2012 | 1 Comment on कन्या भ्रूण हत्या का तेजी से विकसित होता बाजार अमरेन्द्र सुमन प्रगतिशील लोग, प्रगतिशील समाज, प्रगतिशील विचारधारा अर्थात् जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रगतिशीलता। चाहे वह उद्योग-धंधे से जुड़ा हुआ क्षेत्र हो, वाणिज्य-व्यापार, प्रशासकीय या फिर चिकित्सीय-अभियंत्रण। शहर हो, गांव अथवा कस्बा, अमीर हो या गरीब, उच्चवर्गीय हो या फिर निम्नवर्गीय। सभी के लिए स्वंय को प्रगतिशील विचारों से जुड़े रखना आवश्यक हो चुका […] Read more » कन्या भ्रूण
खेत-खलिहान बिना जुताई की खेती संभव है June 9, 2012 / June 9, 2012 | 3 Comments on बिना जुताई की खेती संभव है बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से भोपाल की ओर मात्र 3 किलोमीटर दूर है टाईटस फार्म। यहां पिछले 25 साल से कुदरती खेती का अनोखा प्रयोग किया जा रहा है। राजू टाईटस जो स्वयं पहले रासायनिक खेती करते थे, अब कुदरती खेती के लिए विख्यात हो गए है। उनके फार्म को देखने देश-विदेश के […] Read more » खेती
राजनीति आखिर नरेंद्र मोदी किसी संजय भाई जोशी से इतना डरते क्यों हैं? June 9, 2012 / June 19, 2012 | 4 Comments on आखिर नरेंद्र मोदी किसी संजय भाई जोशी से इतना डरते क्यों हैं? निमिष कुमार 2003-04 की बात है। देश में एनडीए की सरकार थी। अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी देश के उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री। देश और दुनिया अटल बिहारी बाजपेयी और उनकी सरकार की मुरीद दिख रही थी। ऐसे वक्त में एक ट्रेन के सेंकेंड क्लास स्लीपर कोच में एक सीधा-सादा-सा आदमी […] Read more » नरेंद्र मोदी भाजपा संजय जोशी
राजनीति वैचारिक बहस को वैचारिक ही रखे June 8, 2012 / June 28, 2012 | 2 Comments on वैचारिक बहस को वैचारिक ही रखे साक्षी श्रीवास्तव विचार में ताकत होती है और यह लोगों को सोचने और बदलने के लिए बाध्य करती है. हर युग में एक बौद्धिक वातावरण होता है. जो उस बौद्धिक वातावरण में एजेंडा तय करता है और विमर्श का नेतृत्व करता है उसे dominant ideology कहते हैं. भारत के वर्तमान परिपेक्ष्य में जब नई चुनौतियां […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
राजनीति वैचारिक बहस से परहेज क्यों / अनुरोध पासवान June 6, 2012 / June 28, 2012 | 4 Comments on वैचारिक बहस से परहेज क्यों / अनुरोध पासवान जब मंगलेश डबराल प्रकरण सामने आया तब वामपंथ में खलबली मच गयी. वे आपस में आक्रमक हो गए. उन्हें संघ प्रेरित संस्था में जाना नागवार गुजरा. प्रो राकेश सिन्हा पर जमकर प्रहार हुआ. राकेश सिन्हा चुपचाप बहस देखते रहे. जब ओम थानवी ने बहस का अंत किया तब उन्होंने अपने फेसबुक पर जवाब लिखा, जिससे […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान राकेश सिन्हा वैचारिक अश्पृश्यता
विविधा आदिवासी क्षेत्रों में कार्य योजना की आवश्यकता June 6, 2012 | Leave a Comment राजगोपाल पीवी यह बात शत प्रतिशत सच है कि छत्तीसगढ़ को कुदरत ने अनगिनत संपदा से नवाजा है। जिसका उपयोग यदि सही ढ़ंग से किया जाए तो क्षेत्र के विकास में काफी सहायक सिद्ध होगा। परंतु यहां परिस्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में विकास नाममात्र हो पा रहा है। मौजूदा हालात […] Read more » आदिवासी छत्तीसगढ़ मजदूर
पर्यावरण कितना कारगर होगा बाढ़ पूर्व तैयारी June 6, 2012 | Leave a Comment प्रिया खण्डेलवाल बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ के समय उत्पन्न होने वाली जलजनित बीमारियों से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी है। राज्य के प्रधान स्वास्थ्य सचिव ने बाढ़ प्रभावित जिलों के सिविल सर्जन को दवा खरीद कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक उपलब्ध करा देने की हिदायत दी है। जिससे कि समय रहते […] Read more » बाढ़
विविधा गांधी की टोपी और भगतसिंह की हैट June 5, 2012 / June 10, 2012 | Leave a Comment डा योगेन्द्र गांधी जी ने कभी टोपी नहीं पहनी और अगर पहनी भी हो तो सार्वजनिक रूप से उसकी चर्चा नहीं है।लेकिन बि्रटिश हुकूमत से लड़ने के क्रम में गांधी टोपी चर्चित हुर्इ।वह संघर्ष का प्रतीक बनी।टोपी देशी है।महाराष्ट्र के किसान आज भी काम करते हुए टोपी पहनते हैं। आजादी की लड़ार्इ लड़ते हुए गांधी […] Read more » गांधी की टोपी भगतसिंह की हैट
विविधा अबूझमाड़ में पीडीएस, एक नई सुबह की आहट May 29, 2012 / May 29, 2012 | Leave a Comment संजय शेखर उसने कहा कि 55 किलोमीटर से राशन दूकान पर चावल लेने आता है तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। फिर सुबह के सात बजे ही ओरछा स्थित सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दूकानों पर सैकड़ों अबूझमारियां आदिवासियों की कतार ने और भी आश्चर्य में डाल दिया। ठंड का मौसम होने की वजह से अभी सूरज […] Read more » अबूझमाड़ छत्तीसगढ़ पीडीएस
राजनीति हर कोई गोलबंद है / चंचल चौहान May 29, 2012 / June 28, 2012 | 2 Comments on हर कोई गोलबंद है / चंचल चौहान चंचल चौहान ओम थानवी की टिप्पणी ‘आवाजाही के हक में’ (‘अनन्तर’, 29 अप्रैल) अगर हिंदी लेखक समुदाय में व्याप्त संकीर्ण रुझानों को लेकर पीड़ा व्यक्त करती, तो उसके मूल संवेदनात्मक उद्देश्य से असहमत होने की गुंजाइश नहीं होती। यह एक पवित्र उद्देश्य ही होता कि लेखक विचारधारा के आधार पर छुआछूत न बरतें, सौ तरह […] Read more » ओम थानवी चंचल चौहान भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता
राजनीति यह छुआछूत उनकी ही देन है / अवनिजेश अवस्थी May 29, 2012 / June 28, 2012 | Leave a Comment अवनिजेश अवस्थी ओम थानवी के ‘अनन्तर’ पर पता नहीं चंचल चौहान इतना क्यों भड़क गए। थानवी जी की टिप्पणी के केंद्रीय मंतव्य- ‘‘क्या हम ऐसा समाज बनाना चाहते हैं जिसमें उन्हीं के बीच संवाद हो जो हमारे मत के हों? विरोधी लोगों के बीच जाना और अपनी बात कहना क्यों आपत्तिजनक होना चाहिए? क्या अलग […] Read more » ओम थानवी चंचल चौहान भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता