राजनीति युवराज के नाटक October 11, 2009 / December 26, 2011 | 3 Comments on युवराज के नाटक अब आप सोच रहे होंगे कि युवराज कौन? हम इस देश की सत्तारूढ़ पार्टी के युवराज की बात कर रहे हैं। पुराने समय में राजा-महाराजा हुआ करते थे और उनके पुत्रों को युवराज कहा जाता था। रजवाड़े खत्म हो गए लेकिन आज के आधुनिक दौर में भी युवराज होते हैं। अब युवराज हैं तो भइया […] Read more » Yuvraj युवराज
कविता साहित्य कविता \ रंग October 9, 2009 / December 26, 2011 | Leave a Comment रंग बदल जाते है धुप में, सुना था फीके पड़ जाते है, सुना था पर उड़ जायेंगे ये पता न था! हाँ ये रंग उड़ गए है शायद… जिंदगी के रंग इंसानियत के संग, उड़ गए है शायद… अब रंगीन कहे जाने वाली जिंदगी, हमे बेरंग सी लगती है, शक्कर भी हमें अब फीकी सी […] Read more » poem कविता
कविता हिंदी हूँ मैं… September 14, 2009 / December 26, 2011 | 1 Comment on हिंदी हूँ मैं… कल रात जब मैं सोया तो मैंने एक सपना देखा, जिसका जिक्र मै आपसे करने पर विवश हो गया हूं… सपने में मै हिंदी दिवस मनाने जा रहा था तभी कही से आवाज आई… रुको! मैने मुड़ के देखा तों वहा कोई नहीं था… मै फिर चल पड़ा… फिर आवाज आयी… रुको! मेरी बात सुनो… […] Read more » hindi हिंदी
समाज एक दिन की देशभक्ति – हिमांशु डबराल August 18, 2009 / December 27, 2011 | 2 Comments on एक दिन की देशभक्ति – हिमांशु डबराल आप सोच रहे होगें कि ये एक दिन की देशभक्ति क्या है? ये वो है जो आपके और हमारे अन्दर 15 अगस्त के दिन पैदा होती है और इसी दिन गायब हो जाती है। जी हाँ हम लोग अब एक दिन के देशभक्त बनकर रह गये है। एक समय था जब हर व्यक्ति के अन्दर […] Read more » Patriotism देशभक्ति
कविता शायद पत्रकार हूँ मैं…. August 2, 2009 / December 27, 2011 | 5 Comments on शायद पत्रकार हूँ मैं…. क्या कहूँ कौन हूँ मैं??? शायद इंसानों की भीड़ का हिस्सा, या उस भीड़ में सबसे जुदा शब्दों का काश्तकार हूँ मैं, शायद पत्रकार हूँ मैं… एक आईना जो बहुत कुछ दिखता है, कभी हकीकत तो कभी झूठ से भी मिलवाता है, कभी-कभी तो धुंधुला भी पड़ जाता है, उस आईने का व्यवहार हूँ मैं, […] Read more » journalist पत्रकार
समाज गालियां या फैशन – हिमांशु डबराल May 5, 2009 / December 27, 2011 | 1 Comment on गालियां या फैशन – हिमांशु डबराल एक समय था जब भारतीय समाज को उसकी सभ्यता और मधुभाषिता के लिए जाना जाता था। समाज में कोई किसी के लिए अपशब्दों का प्रयोग नहीं करता था और अगर कोई बोल भी... Read more » Abuse गालियां
समाज जनता जमीं पर, नेता आसमां पर – हिमांशु डबराल April 27, 2009 / December 25, 2011 | 3 Comments on जनता जमीं पर, नेता आसमां पर – हिमांशु डबराल जी हां जमीं से आसमां के सफर की ही बात हो रही है। लेकिन आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा की किसका सफर? मैं नेताओं के सफर की बात कर रहा हूं... Read more » leaders in the sky public at the land जनता जमीं पर नेता आसमां पर