कविता साहित्य आज मेरे देश की ज़मीं जी भर के रोई है, April 26, 2017 / April 26, 2017 | Leave a Comment हिमांशु तिवारी आत्मीय अपने लाल की फिक्र में वो न रात सोई है, हौले से उठाती है वो अपना आंचल, सूखे हुए आंसुओं से भी तलाश लेती है हर दर्द उसका, वो उंगलियां थामकर चलता था, हर तकलीफ में उसे मां याद आती थी, नींद न आती तो मां उसे लोरियां सुनाती थी, कई […] Read more » आज मेरे देश की ज़मीं जी भर के रोई है
राजनीति यूपी में योगी के साथ ‘परिवर्तन’ होगा ‘चमत्कार’ नहीं ! March 20, 2017 | Leave a Comment तो नई सरकार के साथ शुरुआत में ही बदलावों की उम्मीद कतई नहीं कीजिएगा। परिवर्तन में वक्त लगता है...क्योंकि आप, हम पिछले कई सालों से खुद को ठगने का अवसर देते रहे हैं...और उसे अब बदलने के लिए वक्त लगना लाजिमी है। Read more » UP-Laptop-Tablet-Free-Scheme यूपी यूपी में योगी योगी
राजनीति बिहार ने ऐसी ”बहार” तो न मांगी थी ”नीतीश कुमार” ! May 11, 2016 | Leave a Comment याद है न वो गीत जो नीतीश कुमार को बिहार विधानसभा चुनाव में घर घर तक पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था। ”बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो।” पर, मौजूदा स्थितियों को देखकर वो बहार खून से लथपथ नजर आ रही है। लोग डरे हुए, सहमे हुए दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि बिहार […] Read more » Featured law and order getting worst in Bihar नीतीश कुमार बिहार बिहार ने ऐसी ''बहार'' तो न मांगी थी
समाज शहर-शहर ”वेश्या” बस कोठे नहीं हैं ! May 7, 2016 | Leave a Comment ”अपने बिकने का दुख है हमें भी लेकिन, मुस्कुराते हुए मिलते हैं खरीदार से हम।” चर्चित साहित्यकार मुनव्वर राना ने जब ये पंक्तियां कहीं तो कई तस्वीरें जहन में उतर कर आ गईं। कीमत कहें या फिर मजबूरी के आगे खुद की बोली लगाने वाली वेश्या की कहानी के किसी किरदार से मानों कोई पर्दा […] Read more » वेश्याओं का ठिकाना वेश्यावृत्ति का कानून शहर-शहर ''वेश्या''
विविधा लहू पतला हो गया है March 31, 2016 | Leave a Comment ई ‘गोला’ पर ही कउनो ‘फिरकी’ ले रहा है जाति और धर्म पर उंगलियां उठाते हुए ई गोला पर कउनो फिरकी ले रहा है। कउनों भिड़ाने की कोशिश कर रहा है। वो किसी अउर गोला से नहीं, इसी गोला से है। अब कउन है ये आप समझो। हालांकि है आपके आस-पास ही, हुई सकत है […] Read more » communal death of Dr. Narang Death of dentist Dr. Narang death of Rohith Vemula अखलाक की हत्या लहू पतला हो गया है
आलोचना साहित्य मान भी जाईये साहब ! ‘शोषण’ ही आज का नया ‘पेशा’ है… March 30, 2016 | Leave a Comment गजब है सियासत भी। आज राजनीतिक पार्टियों के इतर आम जिंदगियों में भी उतर आई है। कहीं न कहीं हर पेशे में अब सियासत दिखाई देने लगी है। दरअसल कुछ लोग अपने सह कर्मचारियों के साथ ही निचले तबके में कार्यरत् लोगों का भी शोषण एकदम जनता सरीखे करना चाहते हैं। जैसे कि कल तक […] Read more » exploitation is the new proffession नया 'पेशा' शोषण
विविधा जब मौत ”मजहबी” होने लगे तो क्या होता है ? March 27, 2016 / March 27, 2016 | Leave a Comment बदलते भारत का मतलब कभी कोई आजादी की खातिर अचानक ही सक्रिय हो जाता है तो कोई हत्याओं को मजहबी चश्मे से देखने लगता है। मौत में इंसानियत की हत्या नहीं बल्कि दलित की हत्या के तौर पर सुराग जुटाए जाते हैं। आंदोलन होता है, तख्तियां बनती हैं, मरने वाले व्यक्ति के चित्र के […] Read more » Featured
राजनीति सियासत ने बोया तो भीड़ ने काटा मालदा और पूर्णिया January 10, 2016 | Leave a Comment हिमांशु तिवारी आत्मीय जहरीली जुबां के साथ सियासत दां अपनी महफिलें सजाते हैं, माहौल की सरगर्मियां बढ़ाते हैं लेकिन जुबानी जहर के कष्टदायक फफोले जिनके हिस्से आते हैं उसे जनता कहते हैं. जो कलामों में लिखी उन तमाम गुजारिशों, इबारतों को भूल जाते हैं जिसमें चैन ओ अमन का जिक्र है और भेड़चाल में चलकर […] Read more » Featured पूर्णिया मालदा सियासत ने बोया तो भीड़ ने काटा
टॉप स्टोरी तमाशा नहीं शहादत है ये January 8, 2016 | Leave a Comment हिमांशु तिवारी आत्मीय …अब तो जवाब दीजिए मोदी जी आज माँ के आँचल का कोई कोना अनाथ हो गया क्योंकि इस दफे मां ने आंचल से बेटे के नहीं बल्कि बेटे के कफन पर अपना दर्द पोंछा है…. जी हां पठानकोट. जरा महसूस कीजिए उस डर को जो एक मां की छाती में तेज सांसों […] Read more » Featured तमाशा नहीं शहादत है ये
विविधा शख्सियत सिनेमा लग जा गले कि हंसी रात हो न हो… December 26, 2015 | 1 Comment on लग जा गले कि हंसी रात हो न हो… जमाना गुजर गया या कहें कि एक पूरा का पूरा दौर अलविदा कह गया लेकिन आधुनिकता के साथ हम सभी अपने भूत को सलामी देकर बीत जाने की इजाजत देते रहे. जिंदगी बड़ी होनी चाहिए….लंबी नहीं जी हां काका की विदाई ने हमारी आंखों से आंसुओं के दरिया को बहने की इजाजत दे दी. फिर […] Read more » Actress Sadhana Featured Sadhana लग जा गले कि हंसी रात हो न हो…
मीडिया राजनीति पापी है ‘प’……पॉलिटिक्स, पुलिस और प्रेस December 26, 2015 | Leave a Comment नियम को तोड़ना है तो लाल और नीली बत्ती पर्याप्त है, तराजू वाली देवी को धता साबित करने के लिए गाड़ी में पुलिस लिखवा लीजिए, सूबे में अपनी औकात दिखानी है तो उत्तर प्रदेश सरकार को गाड़ी की नंबर प्लेट से चिपका लीजिए, बाकी टैक्सी हो या फिर ऑटो का सफर पुलिसिया वर्दी फ्री में […] Read more » Featured पापी है ‘प’……पॉलिटिक्स पुलिस और प्रेस
पर्यावरण विविधा जहरीली हवा, जहरीला पानी और कब्रों का शहर December 22, 2015 / December 22, 2015 | 4 Comments on जहरीली हवा, जहरीला पानी और कब्रों का शहर हिमांशु तिवारी आत्मीय उन्नाव के सदर क्षेत्र में औद्योगिक जल प्रदूषण के चलते स्थानीय लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. किसी के लिवर में प्रॉब्लम है तो किसी को त्वचा संबंधी समस्या. सिर्फ इतना ही नहीं कैंसर जैसे गंभीर रोगों के शिकार होकर मौतों का आकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. […] Read more » Featured कब्रों का शहर जहरीला पानी जहरीली हवा