चिंतन धर्म-अध्यात्म हे मनुष्य ! तू ईश्वर के निज नाम ‘ओ३म्’ का स्मरण कर अपने सभी दुःखों को दूर कर March 30, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य अपने सारे जीवन में अपने दुःखों की निवृत्ति में लगा रहता है फिर भी यदि जीवन के अन्तिम भाग में किसी समय किसी शिक्षित व सम्पन्न मनुष्य से पूछा जाये कि क्या वह दुःख मुक्त व पूर्णतया सुखी है तो उत्तर प्रायः न में ही मिलता है। इसका कारण केवल एक […] Read more » ‘ओ३म्’ का स्मरण सभी दुःखों को दूर कर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद और विज्ञान March 27, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान विशिष्ट ज्ञान को कहते हैं। विज्ञान ज्ञान की वह विधा है जिसमें हम सृष्टि में कार्यरत व विद्यमान नियमों को जानकर व उनका उपयेाग करके अपनी आवश्यकता के नाना प्रकार के पदार्थों का निर्माण करते हैं। विज्ञान के नियमों की बात करें तो पदार्थों […] Read more »
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या हमारा पहले एक व अनेक बार मोक्ष हुआ है? March 25, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य योनि मोक्ष का द्वार है। मोक्ष दुःखों से सर्वथा निवृत्ति और जन्म-मरण के बन्धन से मुक्ति को कहते हैं। मनुष्य व अन्य प्राणियों की आत्माओं का जन्म उनके पूर्व मुनष्य जन्मों के शुभ व अशुभ कर्मों के फलों के भोग के लिए होता है। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि जब मनुष्य […] Read more » मोक्ष
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म होली और उसके पूर्व महाभारतकालीन स्वरुप पर विचार March 24, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य भारत और भारत से इतर देशों में जहां भारतीय मूल के लोग रहते हैं, प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन रंगों का पर्व होली हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है। होली के अगले दिन लोग नाना रंगों को एक दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं, मिठाई व पकवानों का वितरण आदि […] Read more » the mahabharatkalin swaroop of holi होली होली का महाभारतकालीन स्वरुप
धर्म-अध्यात्म मैं महानतम पुरुष ईश्वर को जानता हूं March 18, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यदि किसी मनुष्य ने ईश्वर या सृष्टि आदि विषयों को जानना है तो उसे इन विषयों के जानकार विद्वान व ज्ञानी पुरुषों की शरण लेनी होगी। किसी एक ज्ञानी पुरुष को प्राप्त होकर हम उससे, जितना वह ईश्वर वा सृष्टि केबारे मे जानता है, ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। अब यदि हम […] Read more » महानतम पुरुष ईश्वर
प्रवक्ता न्यूज़ चतुर्वेद भाष्य के गुजराती अनुवादक ऋषिभक्त श्री दयाल मुनि आर्य March 17, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य श्री दयाल मुनि आर्य महर्षि दयानन्द की जन्म भूमि टंकारा में जन्में हैं और वहीं निवास करते हैं। 28 दिसम्बर, 1934 को टंकारा में आपका जन्म हुआ। आपके पिता श्री भावजीभाई आर्य दर्जी का कार्य करते थे। आपने भी बचपन में दर्जी का कार्य किया। स्वाध्याय व पुरुषार्थ की प्रवृत्ति ने आपको […] Read more » चतुर्वेद भाष्य चतुर्वेद भाष्य के गुजराती अनुवादक ऋषिभक्त श्री दयाल मुनि दयाल मुनि आर्य
धर्म-अध्यात्म जन्म-मरण के दु:खों से मुक्ति के विवेक व वैराग्य आदि चार साधन March 14, 2016 | 2 Comments on जन्म-मरण के दु:खों से मुक्ति के विवेक व वैराग्य आदि चार साधन मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के जीवन का मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति व मोक्ष की प्राप्ति है। मुक्ति व मोक्ष एक प्रकार की जीवात्मा को पूर्ण स्वतन्त्रता है जिसमें शुभ व अशुभ कर्मों के फलों का भोग नहीं होता। यह स्वतन्त्रता वा मुक्ति हमें अपने मिथ्या व अशुभ कर्मों के फलों के […] Read more » चार साधन जन्म-मरण दु:खों से मुक्ति विवेक वैराग्य
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द प्रथम धार्मिक महापुरुष March 1, 2016 | Leave a Comment ऋषि जन्मोत्सव (3 मार्च) एवं बोधोत्सव (7 मार्च) पर ‘सभी धार्मिक मान्यताओं को सत्य की कसौटी पर कस कर उसका प्रचार करने वाले महर्षि दयानन्द प्रथम धार्मिक महापुरुष’ मनमोहन कुमार आर्य देश और संसार में प्रतिदिन लाखों लोग जन्म लेते हैं और अपनी आयु भोग कर काल के गाल में समा जाते हैं। सृष्टि […] Read more » महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द प्रथम धार्मिक महापुरुष’
धर्म-अध्यात्म स्वामी स्वतन्त्रानन्द महर्षि दयानन्द के एक प्रमुख योग्यतम शिष्य February 29, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी स्वतन्त्रानन्द जी महाराज आर्यसमाज के अनूठे संन्यासी थे। आपने अमृतसर के निकट सन् 1937 में दयानन्द मठ दीनानगर की स्थापना की और वेदों का दिगदिगन्त प्रचार कर स्वयं को इतिहास में अमर कर दिया। आपके बाद आपके प्रमुख शिष्य स्वामी सर्वानन्द सरस्वती इसी मठ के संचालक व प्रेरक रहे। आपके जीवन […] Read more » महर्षि दयानन्द के एक प्रमुख योग्यतम शिष्य स्वामी स्वतन्त्रानन्द
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाले अन्य मतों के अनुयायी February 29, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द पौराणिक माता-पिता की सन्तान थे जिन्होंने सत्य की खोज की और जो सत्य उन्हें प्राप्त हुआ उसे अपनाकर उन्होंने अपनी पूर्व मिथ्या आस्थाओं व सिद्धान्तों का त्याग किया। सत्य ही एकमात्र मनुष्य जाति की उन्नति का कारण होता है, अतः उन्होंने सत्य को न केवल अपने जीवन में स्थान दिया […] Read more » वैदिक धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाले अन्य मतों के अनुयायी
धर्म-अध्यात्म मनुष्य व उसके कुछ प्रमुख कर्तव्य February 27, 2016 / February 29, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य किसे कहते हैं? इसका उत्तर है कि मननशील व्यक्ति को मनुष्य कहते हैं। मननशाल क्यों होना है, इसलिये कि हम सत्य को जान सके। सत्य को जानकर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि हमें जो दुःख प्राप्त होता है वह दूसरों के हमारे प्रति अनुचित व्यवहार के कारण ही प्रायः […] Read more » मनुष्य व उसके कुछ प्रमुख कर्तव्य
धर्म-अध्यात्म सृष्टि विज्ञान, वैदिक साहित्य और स्वामी दयानन्द February 26, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़े अनेक रहस्य हैं जिन्हें विज्ञान आज भी खोज नहीं पाया अथवा जिसका विज्ञान जगत व हमारे धार्मिक व सामाजिक लोगों का यथोचित ज्ञान नहीं है। महर्षि दयानंद सत्य-ज्ञान के जिसाज्ञु थे। उन्होंने धर्म-समाज-ज्ञान-विज्ञान किसी भी पक्ष की उपेक्षा न कर सभी विषयों का यथोचित ज्ञान प्राप्त […] Read more » वैदिक साहित्य और स्वामी दयानन्द सृष्टि विज्ञान