धर्म-अध्यात्म पृथिवी पर श्रेष्ठ धर्म वैदिक धर्म और श्रेष्ठ संगठन आर्यसमाज February 10, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति का अस्तित्व सत्य है। किसी भी विषय में सत्य केवल एक ही होता है। जिस प्रकार दो व दो को जोड़ने से चार होता है, कुछ कम व अधिक नहीं हो सकता इसी प्रकार ईश्वर, जीव, प्रकृति, सृष्टि, धर्म, समाज, मानवीय आचार व विचार आदि सिद्धान्त व मान्यतायें […] Read more » पृथिवी पर श्रेष्ठ धर्म वैदिक धर्म श्रेष्ठ संगठन आर्यसमाज
धर्म-अध्यात्म ईश्वर का साक्षात्कार समाधि अवस्था में ही सम्भव February 9, 2016 | 1 Comment on ईश्वर का साक्षात्कार समाधि अवस्था में ही सम्भव संसार के अधिकांश मत-सम्प्रदाय और लोग ईश्वर के अस्तित्व को मानते हैं और यह भी स्वीकार करते हैं कि इस संसार को उसी ने बनाया है। यह बात अलग है कि सृष्टि रचना के बारे में वेद मत के आचार्यों व अनुयायियों के अतिरिक्त अन्य मत के आचार्यों व अनुयायियों को वैसा यथार्थ ज्ञान […] Read more » ईश्वर का साक्षात्कार समाधि अवस्था में ही सम्भव
धर्म-अध्यात्म स्वर्ग व मोक्ष का यथार्थ स्वरूप February 8, 2016 | 1 Comment on स्वर्ग व मोक्ष का यथार्थ स्वरूप मनमोहन कुमार आर्य प्रायः सभी मतों के अनुयायी व विद्वान किसी न किसी रूप में स्वर्ग की चर्चा करते हैं और मानते हैं कि इस पृथिवी से अन्यत्र किसी स्थान विशेष पर ‘स्वर्ग’ है जहां ईश्वर की कृपा से मनुष्य जीवन में अच्छे व श्रेष्ठ काम करने वाले मनुष्य जाकर सुखपूर्वक निवास करते हैं। इस […] Read more » Featured स्वर्ग व मोक्ष का यथार्थ स्वरूप
प्रवक्ता न्यूज़ सर्वव्यापक ईश्वर मुनष्य की जीवात्मा में वास करता है February 7, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदाध्ययन, चिन्तन व मनन सहित ध्यान व समाधि से यह जाना गया है कि मनुष्य जीवन जीवात्मा और मानव शरीर का संघात है। हमारा व सभी मनुष्यों का शरीर पांच भौतिक तत्वों यथा पृथिवी, अग्नि, जल, वायु और आकाश से मिलकर बनाया गया है। इसमें माता-पिता की भूमिका के साथ प्रमुख भूमिका […] Read more » Featured सर्वव्यापक ईश्वर मुनष्य की जीवात्मा में वास करता है
धर्म-अध्यात्म सत्याचरण से अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य February 6, 2016 | Leave a Comment हमारी जीवात्माओं को मनुष्य जीवन ईश्वर की देन है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान होने के साथ सर्वज्ञ भी है। उससे दान में मिली मानव जीवन रूपी सर्वोत्तम वस्तु का सदुपयोग कर हम उसकी कृपा व सहाय को प्राप्त कर सकते हैं और इसके विपरीत मानव शरीर का सदुपयोग न करने के कारण हमें नियन्ता ईश्वर […] Read more » Featured अमृतमय मोक्ष सत्याचरण से अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य
धर्म-अध्यात्म मनुष्य मरने से क्यों डरता है? February 5, 2016 | 1 Comment on मनुष्य मरने से क्यों डरता है? मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य मरने से डरता क्यों है? यह प्रश्न इस लिए विचारणीय है कि हम सभी इस दुःख से यदा-कदा त्रस्त होते रहते हैं। कई बार मनुष्य को कोई रोग हो जाता है तो उसके मन में भय उत्पन्न होता है कि हो न हो, मैं जीवित रहूंगा या मर जाउगां? जब तक […] Read more » मनुष्य मरने से क्यों डरता है?
प्रवक्ता न्यूज़ ईश्वर से क्या व कैसी प्रार्थना करें? February 3, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य प्रार्थना अपने से अधिक सामथ्र्य व क्षमतावान सत्ता से किसी आवश्यक व उपयोगी वस्तु को मांगने व याचना करने को कहते हैं। मनुष्य शिशु के रूप में माता-पिता से इस पृथिवी पर जन्म लेता है। उसे अपने शरीर का समुचित विकास और ज्ञान व बुद्धि सहित सत्कर्मों की प्रेरणा की अपेक्षा रहती […] Read more » ईश्वर से क्या व कैसी प्रार्थना करें?
धर्म-अध्यात्म मनुष्य की चहुंमुखी उन्नति का आधार अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि February 2, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के जीवन के दो यथार्थ हैं पहला कि उसका जन्म हुआ है और दूसरा कि उसकी मृत्यु अवश्य होगी। मनुष्य को जन्म कौन देता है? इसका सरल उत्तर यह है कि माता-पिता मनुष्य को जन्म देते हैं। यह उत्तर सत्य है परन्तु अपूर्ण भी है। माता-पिता तभी जन्म देते हैं जबकि […] Read more » अविद्या का नाश विद्या की वृद्धि
धर्म-अध्यात्म धर्म के अनुशासन बिना विज्ञान मानव जीवन के लिए अहितकारी February 2, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल विज्ञान की उन्नति ने सबको आश्चर्यान्वित कर रखा है। दिन प्रतिदिन नये नये बहुपयोगी उत्पाद हमारे ज्ञान व दृष्टि में आते रहते हैं। बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनकी अनेक समस्ययाओं का कारण भी विज्ञान व इसका दुरुपयोग ही है। इसका सबसे मुख्य उदाहरण तो वायु, जल और पर्यावरण प्रदुषण […] Read more » धर्म के अनुशासन बिना विज्ञान मानव जीवन के लिए अहितकारी
धर्म-अध्यात्म वेद सार्वभौमिक मानव धर्म के अधिकारिक प्रतिनिधि व आदिस्रोत February 1, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी मनुष्यों वा स्त्री-पुरुषों पर ध्यान केन्द्रित करें तो यह सभी एक बहुत ही बुद्धिमान व सर्वव्यापी कलाकार की रचनायें अनुभव होती हैं। संसार भर में सभी मनुष्य की दो आंखे, दो कान, नाक, मुंह, गला, शिर, वक्ष, उदर, कटि व पैर प्रायः एक समान ही हैं। सभी मनुष्यों का […] Read more » वेद सार्वभौमिक मानव धर्म के अधिकारिक प्रतिनिधि व आदिस्रोत
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा वा मनुष्य की मृत्यु और परलोक February 1, 2016 | 1 Comment on जीवात्मा वा मनुष्य की मृत्यु और परलोक मनमोहन कुमार आर्य महाभारत के एक अंग भगवद्-गीता के दूसरे अध्याय में जन्म व मृत्यु विषयक वैदिक सिद्धान्त को बहुत सरल व स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया गया है। गीता के इस अध्याय में कुछ प्रसिद्ध श्लोकों में से 3 श्लोक प्रस्तुत हैं। यह तीन श्लोक गीता के दूसरे अध्याय में क्रमांक 22, 23 […] Read more » ‘जीवात्मा वा मनुष्य की मृत्यु और परलोक’
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द प्राचीन ऋषियों की परम्परा वाले सच्चे ऋषि,संसार के सर्वोच्च गुरु एवं अपूर्व वेद-धर्म प्रचारक हैं February 1, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारे लेख के शीर्षक से आर्यसमाज के अनुयायी तो प्रायः सभी सहमत होंगे परन्तु इतर बन्धु इस तथ्य को स्वीकार करने में संकोच कर सकते हैं। अतः अपने ऐसे बन्धुओं से हम प्रश्न करते हैं कि वह महर्षि दयानन्द से अधिक प्रतिभावान व योग्य ऋषि का नाम बतायें? दूसरा प्रश्न यह है […] Read more » स्वामी दयानन्द