धर्म-अध्यात्म मनुष्य और उसका धर्म November 8, 2015 / November 8, 2015 | Leave a Comment संसार के सभी मनुष्य अपने-अपने माता-पिताओं से जन्में हैं। जन्म के समय वह शिशु होते हैं। इससे पूर्व 10 माह तक उनका अपनी माता के गर्भ में निर्माण होता है। मैं कौन हूं? यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रश्न है। मैं वह हूं जो अपनी माता से जन्मा है और उससे पूर्व लगभग 10 माह तक […] Read more » मनुष्य और उसका धर्म
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की कुछ प्रमुख मान्यतायें November 8, 2015 | Leave a Comment वेदों पर आधारित महर्षि दयानन्द जी की कुछ प्रमुख मान्यताओं को पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं: ईश्वर विषयक ईश्वर कि जिसके ब्रह्म, परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिसके गुण, कर्म, स्वभाव पवित्र हैं, जो सर्वज्ञ, निराकार, सर्वव्यापक, अजन्मा, अनन्त, सर्वशक्तिमान, दयालु, न्यायकारी, सब सृष्टि का कर्ता, धर्ता, हर्ता, सब जीवों को […] Read more » Featured दयानन्द सरस्वती जी की कुछ प्रमुख मान्यतायें महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द सरस्वती
समाज भक्ष्य व अभक्ष्य भोजन एवं गोरक्षा November 7, 2015 / November 7, 2015 | Leave a Comment भक्ष्य व अभक्ष्य भोजन एवं गोरक्षा पर महर्षि दयानन्द के वेदसम्मत, देशहितकारी एवं मनुष्योचित विचार मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, ज्ञानी व अज्ञानी। रोग के अनेक कारणों में से मुख्य कारण भोजन भी होता है। रोगी व्यक्ति डाक्टर के पास पहुंचता है तो कुशल चिकित्सक जहां रोगी को रोग निवारण करने वाली ओषधियों […] Read more » Featured गोरक्षा भक्ष्य व अभक्ष्य भोजन भक्ष्य व अभक्ष्य भोजन एवं गोरक्षा
शख्सियत समाज देश के लिए मर मिटने वाले देशभक्त मृत्युंजय भाई परमानन्द November 6, 2015 | Leave a Comment आज 4 नवम्बर 140 वीं जयन्ती पर स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास में भाई परमानन्द जी का त्याग, बलिदान व योगदान अविस्मरणीय है। लाहौर षड्यन्त्र केस में आपको फांसी की सजा दी गई थी। आर्यसमाज के अन्तर्गत आपने विदेशों में वैदिक धर्म का प्रचार किया। इतिहास के आप प्रोफैसर रहे एवं भारत, यूरोप, महाराष्ट्र तथा पंजाब […] Read more » देश के लिए मर मिटने वाले देशभक्त मृत्युंजय भाई परमानन्द
धर्म-अध्यात्म क्या महर्षि दयानन्द को वेद की पुस्तकें धौलपुर से प्राप्त हुईं थीं? November 3, 2015 / November 3, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द जी अपने विद्यागुरू प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती से अध्ययन पूरा कर और गुरु दक्षिणा की परम्परा का निर्वाह कर गुरुजी को दिए वचन के अनुसार भावी योजना को कार्यरूप देने वा निश्चित करने के लिए मथुरा से आगरा आकर रहे थे और यहां लगभग डेढ़ वर्ष रहकर उपदेश व प्रवचन आदि के द्वारा […] Read more » महर्षि दयानन्द
शख्सियत समाज स्वामी दयानन्द अपूर्व सिद्ध योगी व पूर्ण वैदिक ज्ञान से संपन्न महापुरुष थे November 2, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द जी के समग्र जीवन पर दृष्टि डालने पर यह तथ्य सामने आता है कि वह एक सिद्ध योगी तथा आध्यात्मिक ज्ञान से सम्पन्न वेदज्ञ महात्मा और महापुरुष थे। अन्य अनेक गुण और विशेषातायें भी उनके जीवन में थी जो महाभारतकाल के बाद उत्पन्न हुए संसार के अन्य मनुष्यों में नहीं पायी जाती। वस्तुतः […] Read more » स्वामी दयानन्द
शख्सियत समाज भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल का कृतज्ञ हमारा भारत देश November 2, 2015 / November 2, 2015 | Leave a Comment देशवासियों के आदर्श एवं प्रेरणास्रोत- ‘माता भूमि पुत्रो अहं पृथिव्या’ इस वेद की सूक्ति में निहित मातृभूमि की सेवा व रक्षा की भावना से सराबोर देश की आजादी के अविस्मरणीय योद्धा, देश के प्रथम गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की आजादी और और उसकी उन्नति के लिए जो सेवा की है […] Read more » भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल हमारा भारत देश
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म की वेदी पर प्रथम बलिदान: महर्षि दयानन्द October 31, 2015 / October 31, 2015 | Leave a Comment आज 30 अक्तूबर को बलिदान दिवस पर आज महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का बलिदान दिवस है। आज ही के दिन 30 अक्तूबर, सन् 1883 को अजमेर में सूर्यास्त के समय महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन की अन्तिम सांस ली थी। उनके बलिदान का कारण उनका वैदिक धर्म का प्रचार करना था। स्वार्थी, पाखण्डी व अज्ञानी […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द वैदिक धर्म की वेदी पर प्रथम बलिदान
धर्म-अध्यात्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम सहित महर्षि वाल्मिकी भी विश्व के आदरणीय एवं पूज्य October 30, 2015 | Leave a Comment हमारे पौराणिक भाईयों ने वैदिक वा आर्य गुण सम्पन्न मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी को ईश्वर का अवतार स्वीकार किया है और अपने मन्दिरों में उनकी मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना करते हैं। अनुमान है कि विगत ढाई हजार वर्षों में, जब भी मूर्ति पूजा का आरम्भ हुआ, सबसे पहले जिस महापुरूष की मूर्ति […] Read more » Featured पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम महर्षि वाल्मिकी विश्व के आदरणीय
धर्म-अध्यात्म मनुष्य जीवन की सफलता के लिए वेदों की शरण लेना आवश्यक October 29, 2015 | Leave a Comment मनुष्य जीवन संसार की सभी जीव योनियों में सर्वश्रेष्ठ है जिसे निर्विवाद रुप से सभी स्वीकार करते हैं। इसी प्रकार वैदिक सिद्धान्त, मान्यताओं व पद्धति के अनुसार व्यतीत मनुष्य जीवन ही सर्वश्रेष्ठ जीवन पद्धति है। संसार में अनेक जीवन शैलियों व पद्धतियों को मानने वाले लोग हैं। पारसी, बौद्ध, जैन, मुस्लिम व पौराणिक पद्धति से […] Read more » Featured वेदों की शरण
धर्म-अध्यात्म मूक पशु की हत्या रोकने पर महर्षि दयानन्द और उदयपुर नरेश … October 28, 2015 / October 28, 2015 | Leave a Comment मूक पशु भैंसों की हत्या रोकने पर महर्षि दयानन्द और उदयपुर नरेश महाराणा सज्जन सिंह के बीच वार्तालाप और उसका शुभ परिणाम स्वामी दयानन्द जी सितम्बर, 1882 में मेवाड़ उदयपुर के महाराजा महाराणा सज्जन सिंह के अतिथि थे। नवरात्र के अवसर पर वहां भैंसों का वध रोकने की एक घटना घटी। इसका वर्णन महर्षि […] Read more » भैंसों की हत्या
धर्म-अध्यात्म धर्म विषयक सत्य व यथार्थ ज्ञान को ग्रहण करना व कराना कठिन कार्य है October 27, 2015 / October 28, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज का चतुर्थ नियम यह बनाया है कि ‘सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।’ इस नियम को सभी मनुष्य चाहे वह किसी भी धर्म के अनुयायी क्यों न हों, सत्य मानते व स्वीकार करते हैं परन्तु व्यवहार में वह ऐसा करते हुए अर्थात् असत्य […] Read more » Featured धर्म विषयक सत्य व यथार्थ ज्ञान को ग्रहण करना