धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द प्रोक्त वेद सम्मत ब्राह्मण वर्ण के गुण-कर्म-स्वभाव November 22, 2015 | Leave a Comment वैदिक वर्ण व्यवस्था के सन्दर्भ में यह जड़-चेतन संसार ईश्वर से उत्पन्न हुआ है। ईश्वर, जीवात्मायें और प्रकृति, तीन नित्य सत्तायें हैं जिनमें ईश्वर व जीवात्मा चेतन एवं प्रकृति जड़ पदार्थ हैं। ईश्वर व जीवात्मा संवेदनाओं से युक्त व प्रकृति संवेदनारहित है। जीवात्माओं के पूर्व जन्म में अर्जित प्रारब्ध वा कर्मों के फलों एवं सुख-दुःख […] Read more » ब्राह्मण वर्ण के गुण-कर्म-स्वभाव महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद सरल च सुबोध हैं November 22, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सृष्टि के आदि में मनुष्यों को ज्ञानयुक्त करने के लिए सर्वव्यापक निराकार ईश्वर ने चार आदि ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा को क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद का ज्ञान दिया था। महर्षि दयानन्द की घोषणा है कि यह चार वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तकें हैं और इनका पढ़़ना, दूसरों […] Read more » Featured ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद सरल च सुबोध हैं
विविधा समाज गृहस्थ जीवन की उन्नति के 16 स्वर्णिम सूत्र November 20, 2015 | 4 Comments on गृहस्थ जीवन की उन्नति के 16 स्वर्णिम सूत्र मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के वैदिक जीवन के चार सोपान है ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास आश्रम। ब्रह्मचर्य आश्रम का काल आरम्भ के 25 वर्षों का होता है जिसमें 8 वर्ष की आयु तक गुरूकुल में जाकर वर्णोच्चारण शिक्षा से आरम्भ कर सम्पूर्ण वेद वा सम्पूर्ण विद्याओं का अध्ययन करना होता है। अध्ययन पूरा करने […] Read more » 16 स्वर्णिम सूत्र’ Featured गृहस्थ जीवन की उन्नति गृहस्थ जीवन की उन्नति के 16 स्वर्णिम सूत्र’
जन-जागरण विविधा गाय और मनुष्य का मां-बेटे का रिश्ता November 18, 2015 | 2 Comments on गाय और मनुष्य का मां-बेटे का रिश्ता ‘गऊ माता विश्व की प्राणदाता’ पुस्तक पर आधारित लेख मनमोहन कुमार आर्य मेहता जैमिनी आर्य समाज के शीर्षस्थ विद्वानों में से एक थे। आपने संसार के अनेक देशों में स्वयं के साधनों से वेद प्रचार किया। आप 83 ग्रन्थों के यशस्वी लेखक रहे हैं। आप छः भाषायें जानते थे और चार भाषाओं में आपने […] Read more » Featured humans and cow are like mother child गाय और मनुष्य गाय और मनुष्य का मां-बेटे का रिश्ता
धर्म-अध्यात्म प्रातः व सायं संन्ध्या करना सभी मनुष्यों का मुख्य धर्म November 17, 2015 | 1 Comment on प्रातः व सायं संन्ध्या करना सभी मनुष्यों का मुख्य धर्म प्रतिदिन प्रातः व सायं सूर्योदय व सूर्यास्त होता हैं। यह किसके ज्ञान व शक्ति से होता है? उसे जानकर उसका ध्यान करना सभी प्राणियों मुख्यतः मनुष्यों का धर्म है। यह मनुष्य का धर्म क्यों है, इसलिए है कि सूर्याेदय व सूर्यास्त करने वाली सत्ता से सभी प्राणियों को लाभ पहुंच रहा है। जो हम सबको […] Read more » Featured प्रातः व सायं संन्ध्या
धर्म-अध्यात्म क्यों माने ईश्वर को? November 16, 2015 | Leave a Comment ईश्वर को क्यों माने? यह प्रश्न किसी भी मननशील मनुष्य के मस्तिष्क में आ सकता है। वह अपनी बुद्धि के अनुसार विचार करेगा और हो सकता है कि उसे कोई सन्तोषजनक उत्तर प्राप्त न हो। यदि वह अपने परिवार व मित्रों से इसकी चर्चा करेगा तो सबके उत्तर अलग-अलग होंगे। सभी मतों व सम्प्रदायों के […] Read more » Featured why should we own god क्यों माने ईश्वर को?
धर्म-अध्यात्म सब सत्य विद्याओं एवं उससे उत्पन्न किए व हुए संसार व पदार्थों का मूल कारण ईश्वर November 15, 2015 | Leave a Comment हम कोई भी काम करते हैं तो उसमें विद्या अथवा ज्ञान का प्रयोग करना अनिवार्य होता है। अज्ञानी व्यक्ति ज्ञान के अभाव व कमी के कारण किसी सरल कार्य को भी भली प्रकार से नहीं कर सकता। जब हम अपने शरीर का ध्यान व अवलोकन करते हैं तो हमें इसके आंख, नाक, कान, श्रोत्र, बुद्धि, […] Read more » Featured ईश्वर सत्य विद्याओं एवं उससे उत्पन्न किए व हुए संसार व पदार्थों का मूल कारण संसार व पदार्थों का मूल कारण ईश्वर
धर्म-अध्यात्म सृष्टि की उत्पत्ति किससे, कब व क्यों? November 15, 2015 / November 15, 2015 | Leave a Comment हम जिस संसार में रहते हैं वह हमें बना बनाया मिला है। हमारे जन्म से पूर्व इस संसार में हमारे माता-पिता व पूर्वज रहते आयें हैं। न तो हमें हमारे माता-पिता से और न हमें अपने अध्यापकों व विद्यालीय पुस्तकों में इस बात का सत्य ज्ञान प्राप्त हुआ कि यह संसार कब, किसने व क्यों […] Read more » Featured सृष्टि की उत्पत्ति कब सृष्टि की उत्पत्ति किससे सृष्टि की उत्पत्ति क्यों?
पर्व - त्यौहार विविधा वैदिक विचारधारा का पोषक भाई दूज का पर्व November 13, 2015 / November 13, 2015 | Leave a Comment वैदिक संस्कृति को पर्व प्रधान संस्कति कहा जा सकता है। इसमें जितने पर्व कल्पित किए गये उतने सम्भवतः संसार की किसी धर्म व संस्कृति में नहीं किए गये हैं। दो दिन पूर्व हमने दीपावली मनाई, उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और आज ‘‘भाई दूज” का पर्व है। भाई दूज भी एक वैदिक पर्व कहा जा […] Read more » Featured भाई दूज
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द बलिदान दिवस और दीपावली November 12, 2015 | Leave a Comment आज महर्षि दयानन्द बलिदान दिवस और दीपावली पर महर्षि दयानन्द ने मनुष्य को ईश्वर, जीवात्मा व संसार का यथार्थ परिचय कराने सहित कर्तव्य और अकर्तव्य रूपी मनुष्य धर्म का बोध कराया मनमोहन कुमार आर्य आज दीपावली का पर्व महर्षि दयानन्द जी का बलिदान पर्व भी है। कार्तिक मास की अमावस्या 30 अक्तूबर, 1883 को दीपावली […] Read more » दीपावली महर्षि दयानन्द बलिदान दिवस
पर्व - त्यौहार गोवर्धन पूजा गो के उपकारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का पर्व है November 12, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज गोवर्धन का पर्व है। गोवर्धन का अर्थ है कि गायों की रक्षा व उनकी संवृद्धि करें। गाय की संवृद्धि गोरक्षा और गोसंवर्धन के अनेक कार्यों को करके ही हो सकती है। गोरक्षा की प्रथम आवश्यकता है कि गो के प्रति कोई किसी प्रकार का अपराध व उसका असम्मान न करे। यदि […] Read more » Featured goverdhhan puja गोवर्धन पूजा
धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा देश November 10, 2015 | Leave a Comment मैं अपने शरीर में रहने वाला एक चेतन तत्व हूं। आध्यात्मिक जगत् में इसे जीवात्मा कह कर पुकारा जाता है। मैं अजन्मा, अविनाशी, नित्य, जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसा हुआ तथा इससे मुक्ति हेतु प्रयत्नशील, चेतन, स्वल्प परिमाण वाला, अल्पज्ञानी एवं ससीम, आनन्दरहित, सुख-आनन्द का अभिलाषी तत्व हूं। मेरा जन्म माता-पिता से हुआ है। […] Read more » मैं और मेरा देश