धर्म-अध्यात्म सृष्टि के समान वेदों की प्राचीनता ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण September 29, 2015 / September 30, 2015 | 2 Comments on सृष्टि के समान वेदों की प्राचीनता ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण वेदाध्ययन करते हुए विचार आया है कि संसार की भाषा में समयानुसार परिवर्तन होते रहते हैं। एक भाषा का प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव दूसरी भाषा पर, दूसरी का तीसरी व अन्यों पर पड़ता देखा जाता है। हिन्दी में आजकल लोग अंग्रेजी शब्दों की भरमार कर रहे हैं। फिर क्या कारण है कि वेद सृष्टि के […] Read more » Featured
विविधा क्या देश ने महर्षि दयानन्द को उनके योगदान के अनुरूप स्थान दिया? September 27, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने भारत से अज्ञान, अन्धविश्वास आदि दूर कर इनसे पूर्णतया रहित सत्य सनातन वैदिक धर्म की पुनस्र्थापना की थी और इसे मूर्तरूप देने के लिए आर्यसमाज स्थापित किया था। वैदिक धर्म की यह पुनस्र्थापना इस प्रकार से है कि सत्य, सनातन, ज्ञान व विज्ञान सम्मत वैदिक धर्म महाभारत […] Read more » Featured गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ईश्वर न्यायकारी व दयालु अवश्य है परन्तु वह कभी किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता September 22, 2015 | Leave a Comment ईश्वर कैसा है? इसका सरलतम् व तथ्यपूर्ण उत्तर वेदों व वैदिक शास्त्रों सहित धर्म के यथार्थ रूप के द्रष्टा व प्रचारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रन्थों में अनेक स्थानों में प्रस्तुत किया है जहां उनके द्वारा प्रस्तुत ईश्वर विषयक गुण, विशेषण व सभी नाम तथ्यपूर्ण एवं परस्पर पूरक हैं, विरोधी नहीं। सत्यार्थ प्रकाश के […] Read more » ‘ईश्वर न्यायकारी व दयालु अवश्य है Featured ईश्वर किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता
धर्म-अध्यात्म सृष्टि में मनुष्यों का प्रथम उत्पत्ति स्थान और आर्यों का मूल निवास September 20, 2015 | Leave a Comment हमारा यह संसार वैदिक मान्यता के अनुसार आज से 1 अरब 96 करोड़ 08 लाख 53 हजार 115 वर्ष पूर्व बनकर आरम्भ है। इस समय मानव सृष्टि संवत् 1,96,08,53,116 हवां चल रहा है। यह वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ हुआ है। इस सृष्टि सम्वत् के प्रथम दिन ईश्वर ने मनुष्यों को किस स्थान पर […] Read more » Featured आर्यों का मूल निवास मनुष्यों का प्रथम उत्पत्ति स्थान सृष्टि
धर्म-अध्यात्म मनुष्य जीवन, स्वास्थ्य रक्षा और चिकित्सा September 18, 2015 / September 18, 2015 | Leave a Comment मनुष्य योनि सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है। कहा गया है कि ‘सुर दुर्लभ मानुष तन पावा’ अर्थात् देवताओं को भी दुर्लभ है यह मनुष्य शरीर ईश्वर की अहैतुकी कृपा से हम मनुष्यों को प्राप्त हुआ है। प्रायः भद्र पुरुषों का ऐसा नियम है कि जो भी वस्तु हमें उपहार में मिले उसे बहुत सम्भाल कर […] Read more » मनुष्य जीवन स्वास्थ्य रक्षा और चिकित्सा
धर्म-अध्यात्म वेदों का ज्ञान और समाज का पुराण वर्णित अन्ध विश्वासों का आचरण September 16, 2015 | Leave a Comment सृष्टि की रचना करने के बाद से ईश्वर मनुष्यों को जन्म देता, पालन करता व उनकी सभी सुख सुविधा की व्यवस्थायें करता चला आ रहा है। हमारी यह सृष्टि लगभग 1 अरब 96 करोड़ वर्ष पूर्व ईश्वर के द्वारा अस्तित्व में आई है। सृष्टि को बनाकर ईश्वर ने वनस्पतियों व प्राणीजगत को बनाया और इसमें […] Read more » Featured अन्ध विश्वासों का आचरण वेदों का ज्ञान
हिंदी दिवस भारत की प्रथम धार्मिक व सामाजिक संस्था जिसने हिन्दी को धर्मभाषा के रूप में अपनाकर प्रचार किया। September 14, 2015 | Leave a Comment आर्य समाज की स्थापना गुजरात में जन्में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगरी में की थी। आर्यसमाज क्या है? यह एक धार्मिक संस्था है जिसका उद्देश्य धर्म, समाज व राजनीति के क्षेत्र से असत्य को दूर करना व उसके स्थान पर सत्य को स्थापित करना है। क्या धर्म, समाज […] Read more » Featured हिन्दी
धर्म-अध्यात्म ईश्वर व जीवात्मा के यथार्थ ज्ञान में आधुनिक विज्ञान भ्रमित है। September 13, 2015 | 1 Comment on ईश्वर व जीवात्मा के यथार्थ ज्ञान में आधुनिक विज्ञान भ्रमित है। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने मनुष्य का जीवन जहां आसान व सुविधाओं से पूर्ण बनाया है वहां अनेक समस्यायें एवं सामाजिक विषमतायें आदि भी उत्पन्न हुई हैं। विज्ञान व ज्ञान से युक्त मनुष्यों से अपेक्षा की जाती है कि वह जिस बात को जितना जाने उतना कहें और जहां उनकी पहुंच […] Read more » Featured आधुनिक विज्ञान
धर्म-अध्यात्म सभी चार आश्रमों में श्रेष्ठ व ज्येष्ठ गृहस्थाश्रम September 11, 2015 / September 11, 2015 | Leave a Comment वैदिक जीवन चार आश्रम और चार वर्णों पर केन्द्रित व्यवस्था व प्रणाली है। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास यह चार आश्रम हैं और शूद्र, वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण यह चार वर्ण कहलाते हैं। जन्म के समय सभी बच्चे शूद्र पैदा होते हैं। गुरूकुल व विद्यालय में अध्ययन कर उनके जैसे गुण-कर्म-स्वभाव व योग्यता होती है […] Read more » Featured गृहस्थाश्रम सभी चार आश्रमों में श्रेष्ठ व ज्येष्ठ
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द और हिन्दी September 10, 2015 | Leave a Comment भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी शीघ्र लोकप्रिय हो गई। यह ज्ञातव्य है कि हिन्दी को स्वामी दयानन्द जी […] Read more » स्वामी दयानन्द स्वामी दयानन्द और हिन्दी हिन्दी
धर्म-अध्यात्म संसार में मनुष्यों के कर्तव्य संबंधी ज्ञान-विज्ञान का सर्वोत्तम ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश September 9, 2015 | Leave a Comment कबीर दास जी ने सत्य की महिमा को बताते हुए कहा है कि ‘सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप, जाके हृदय सांच है ताके हृदय आप’ वस्तुतः संसार में सत्य से बढ़कर कुछ नहीं है। ईश्वर, जीव व प्रकृति सत्य हैं अर्थात् इनका संसार में अस्तित्व है। बहुत से सम्प्रदायों व स्वयं को ज्ञानी […] Read more » Featured सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म देश के कर्णधार हमारे शिक्षक व शिष्य कैसे हों? September 9, 2015 | 1 Comment on देश के कर्णधार हमारे शिक्षक व शिष्य कैसे हों? शिक्षा देने व विद्यार्थियों को शिक्षित करने से अध्यापक को शिक्षक व शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शिष्य कहा जाता है। आजकल हमारे शिक्षक बच्चों को अक्षर व संख्याओं का ज्ञान कराकर उन्हें मुख्यतः भाषा व लिपि से परिचित कराने के साथ गणना करना सिखाते हैं। आयु वृद्धि के साथ साथ बच्चा भाषा, कविता, […] Read more » देश के कर्णधार हमारे शिक्षक शिष्य कैसे हों