धर्म-अध्यात्म आर्य सुधारक थे महात्मा बुद्ध May 2, 2015 / May 2, 2015 | Leave a Comment बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के बारे में यह माना जाता है कि वह आर्य मत वा वैदिक धर्म के आलोचक थे एवं बौद्ध मत के प्रवर्तक थे। उन्हें वेद विरोधी और नास्तिक भी चित्रित किया जाता है। हमारा अध्ययन यह कहता है कि वह वेदों को मानते थे तथा ईश्वर व जीवात्मा के […] Read more » buddhबौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध Featured आर्य सुधारक बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध वैदिक धर्म के आलोचक थे
धर्म-अध्यात्म जन्मना जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था और स्वामी श्रद्धानन्द May 1, 2015 | Leave a Comment स्वामी श्रद्धानन्द महर्षि दयानन्द के अनुयायी, आर्य समाज के नेता, प्राचीन वैदिक शिक्षा गुरूकुल प्रणाली के पुनरुद्धारक, स्वतन्त्रता संग्राम के अजेय सेनानी, अखिल भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा के प्रधान थे। हिन्दू जाति को संगठित एवं शक्तिशाली बनाने के लिए आपने एक पुस्तक ‘हिन्दू संगठन – क्यों और कैसे?’ का प्रणयन किया था। यह पुस्तक प्रथववार […] Read more » Featured जन्मना जाति व्यवस्था वर्ण व्यवस्था स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द ने खण्डन-मण्डन, समाज सुधार व वेद प्रचार क्यों किया ? April 30, 2015 | 1 Comment on महर्षि दयानन्द ने खण्डन-मण्डन, समाज सुधार व वेद प्रचार क्यों किया ? –मनमोहन कुमार आर्य– महर्षि दयानन्द ने सन् 1863 में दण्डी स्वामी प्रज्ञाचक्षु गुरू विरजानन्द से अध्ययन पूरा कर कार्य क्षेत्र में पदार्पण किया था। उन दिनों में देश में अज्ञान, धार्मिक व सामाजिक अन्घविश्वास, कुरीतियां व अधर्म इतना अधिक बढ़ गया था कि इन बुराईयों से मुक्त होने का न तो किसी के पास कोई […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द ने खण्डन-मण्डन वेद वेद प्रचार समाज सुधार समाज सुधार व वेद प्रचार क्यों किया ?
धर्म-अध्यात्म विविधा पृथ्वी की आकर्षण शक्ति संबंधी कुछ शास्त्रीय प्रमाण April 29, 2015 | 1 Comment on पृथ्वी की आकर्षण शक्ति संबंधी कुछ शास्त्रीय प्रमाण –मनमोहन कुमार आर्य- गुरूत्वाकर्षण के नियम वा सिद्धान्त के बारे में क्या वैदिक साहित्य में कुछ उल्लेख मिलता है, यह प्रश्न वैदिक धर्म व संस्कृति के अनुयायियों व प्रशंसकों को उद्वेलित करता है। महर्षि दयानन्द ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका में आकर्षणानुकर्षण अध्याय में वेदों में विद्यमान मन्त्रों को प्रस्तुत कर इस विषय […] Read more » Featured आकर्षण शक्ति पृथ्वी पृथ्वी की आकर्षण शक्ति संबंधी कुछ शास्त्रीय प्रमाण शास्त्रीय प्रमाण
धर्म-अध्यात्म विविधा सच्चे आध्यात्मिक श्रम से अभ्युदय व निःश्रेयस की प्राप्ति April 28, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- ईश्वर ने मनुष्य को ऐसा प्राणी बनाया है जिसमें शक्ति वा ऊर्जा की प्राप्ति के लिए इसे भोजन की आवश्यकता पड़ती है। यदि इसे प्रातः व सायं दो समय कुछ अन्न अर्थात् रोटी, सब्जी, दाल, कुछ दुग्ध व फल आदि मिल जायें तो इसका जीवन निर्वाह हो जाता है। भोजन के बाद […] Read more » Featured ईश्वर महर्षि दयानंद वेद सच्चे आध्यात्मिक श्रम से अभ्युदय व निःश्रेयस की प्राप्ति
शख्सियत समाज भारतमाता को सर्वस्व समर्पित करने वाले अनन्य देशभक्त वीर सावरकर April 27, 2015 | Leave a Comment जब हम देशभक्त महापुरूषों को याद करते हैं तो उनमें से एक अग्रणीय नाम वीर विनायक दामोदर सावरकर जी का आता है। सावरकर जी ने देश भक्ति के एक नहीं अनेको ऐसे कार्य किये जिससे यह देश हमेशा के लिए उनका ऋणी है। वह श्रद्धेय माता राधा बाई धन्य है जिसने वीर सावरकर जी जैसी […] Read more » Featured देशभक्त वीर सावरकर भारतमाता को सर्वस्व समर्पित वीर सावरकर
धर्म-अध्यात्म विविधा ‘पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है’ April 25, 2015 / April 25, 2015 | 1 Comment on ‘पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है’ –मनमोहन कुमार आर्य- वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और वेदों को स्वयं पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना सब श्रेष्ठ मनुष्यों का परम धर्म है। यह घोषणा महाभारत काल के बाद वेदों के अपूर्व विद्वान महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सप्रमाण की है। वेदों का अध्ययन करने पर इसमें सर्वत्र जीवनोपयगी बहुमूल्य ज्ञान व प्रेरक […] Read more » Featured अथर्ववेद ऋग्वेद पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है यजुर्वेद वेद
धर्म-अध्यात्म ‘हे प्रभु ! मेरी पुकार सुनो’ April 24, 2015 | Leave a Comment सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने मनुष्यों को अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न किया था। परमात्मा ने हमें पांच ज्ञानेन्द्रियों व पांच कर्मेन्द्रियों के साथ मन, बुद्धि, चित्त व अहंकार भी प्रदान किये हैं जो अपना-अपना कार्य करते हैं। ईश्वर के द्वारा हमें बुद्धि दिया जाना तभी सार्थक कहला सकता है कि यदि वह बुद्धि […] Read more »
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या ईश्वर है ? April 23, 2015 / April 23, 2015 | Leave a Comment –मन मोहन आर्य– क्या ईश्वर है, है या नहीं? इस युक्ति व तर्क से देखते हैं कि यथार्थ स्थिति क्या है? इससे पूर्व कि ईश्वर की चर्चा करें हम पहले मनुष्य जीवन की चर्चा करते हैं। लोग हमसे पूछते कि आप कौन हैं? हम उत्तर हैं कि मैं मनमोहन हूं। यहां मैं स्वयं अर्थात् अपने […] Read more » Featured ईश्वर क्या ईश्वर है ? दयानंद सरस्वती
धर्म-अध्यात्म वर्ण और जन्मना जाति व्यवस्था तथा हमारा वर्तमान समाज April 22, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– उपलब्ध ज्ञान के आधार पर यह ज्ञात होता है कि अमैथुनी सृष्टि के प्रथम दिन ही जगत पिता ईश्वर ने अपनी शाश्वत् प्रजा मनुष्यों के कल्याणार्थ श्रेष्ठ पवित्र आत्माओं जो अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा नामक चार ऋषि कहे जाते हैं, को क्रमशः चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान […] Read more » Featured महर्षि दयानंद वर्ण और जन्मना जाति व्यवस्था तथा हमारा वर्तमान समाज वर्तमान समाज वेद
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द का सन् 1879 में देहरादून आगमन और आर्य समाज April 21, 2015 / April 21, 2015 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- स्वामी दयानन्द ने सन् 1863 में मथुरा में प्रज्ञाचक्षु दण्डी स्वामी गुरू विरजानन्द सरस्वती से विद्या प्राप्त कर गुरू की प्रेरणा व आज्ञा से सत्य के मण्डन व असत्य का खण्डन का कार्य चुना था। उन्होंने अपने अपूर्व ज्ञान व वैदुष्य के कारण वैदिक मान्यताओं को सत्य पाया और अन्य विचारधाराओं को […] Read more » Featured आर्य समाज महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द का सन् 1879 में देहरादून आगमन और आर्य समाज
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती April 20, 2015 / April 21, 2015 | 2 Comments on मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती –मनमोहन कुमार आर्य– महर्षि दयानन्द ने वेदों के आधार पर विद्या की नगरी काशी के सभी पण्डित समुदाय को चुनाती दी थी कि मूर्तिपूजा अवैदिक है। वेदों में मूर्ति पूजा नहीं है। अतः मूर्तिपूजा वेदविहित न होने से कर्तव्य नहीं है। काशी के सभी पण्डित मूर्तिपूजा करते व कराते थे और भक्तों से दान […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा और ओ३म् जय जगदीश हरे आरती वैदिक