धर्म-अध्यात्म ‘वैदिक धर्म बनाम् आधुनिक जीवन’ April 20, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– वैदिक धर्म एक जीवन पद्धति है जो कि आघुनिक जीवन पद्धति से कुछ समानता रखने के साथ कुछ व कई बातों में इसके विपरीत भी है। अतः इन दोनों जीवन पद्धतियों में कौन सी पद्धति मनुष्यों के लिए श्रेयस्कर और श्रेष्ठ है और कौन सी नहीं है, इस पर विचार करना इस […] Read more » ‘वैदिक धर्म बनाम् आधुनिक जीवन’ Featured आधुनिक जीवन वैदिक धर्म
धर्म-अध्यात्म विविधा रेल यात्रा और स्वामी दयानन्द April 17, 2015 | 2 Comments on रेल यात्रा और स्वामी दयानन्द महर्षि दयानन्द ने सन् 1863 में वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के क्षेत्र में कदम रखा था। इसके बाद उन्होने अक्तूबर, 1883 तक सारे देश का भ्रमण कर प्रचार किया। देश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में वह सड़़क मार्ग के अतिरिक्त रेल यात्रा का भी प्रयोग करते थे। यात्रा में उनके […] Read more » Featured रेल यात्रा स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म जीव, ईश्वर तथा महर्षि दयानन्द April 15, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार के पदार्थ हैं, एक चेतन पदार्थ है एवं दूसरे जड़ पदार्थ, जो चेतन पदार्थों के गुणों के सर्वथा विपरीत गुण वाले होते हैं। इन चेतन पदार्थों में जीव और ईश्वर दोनों ही चेतन पदार्थ हैं, दोनों का स्वभाव पवित्र है, दोनों अविनाशी हैं तथा धर्मिकता आदि गुणों से […] Read more » ईश्वर तथा महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग April 14, 2015 | 2 Comments on महर्षि दयानन्द के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती इतिहास में हुए ज्ञात वैदिक विद्वानों में अपूर्व विद्वान हुए हैं। वेद ईश्वरीय ज्ञान है और सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों का आविर्भाव सृष्टि की उत्पत्ति के आरम्भ में 1.96 अरब वर्ष पहले हुआ था। हमारे पूर्वजों ने इस ग्रन्थ रत्न की प्राणपण से रक्षा की। […] Read more » aary samaj Featured आर्य समाज मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग
धर्म-अध्यात्म महान विद्वान पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर का प्ररेणादायक साहित्य April 13, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का स्वयं का जीवन स्वर्ण के समान प्रकाशमान व पवित्र था। वह सच्चे पारसमणि पत्थर भी सिद्ध हुए जिनको छूकर अनेक साधारण मनुष्य वेदों के बडें-बड़े विद्वान बन गये। ऐसे विद्वानों में हम पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर्थ सहित पण्डित गुरूदत्त विद्याथी, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित लेखराम, महात्मा हंसराज, दर्शनानन्द सरस्वती, स्वामी वेदानन्द, स्वामी विद्यानन्द […] Read more » मनमोहन कुमार आर्य महान विद्वान पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर का प्ररेणादायक साहित्य’
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा, तीर्थ हर की पैड़ी, एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द April 11, 2015 / April 11, 2015 | 1 Comment on मूर्तिपूजा, तीर्थ हर की पैड़ी, एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द अपने जीवनकाल में देश के विभिन्न भागों में वेद प्रचारार्थ जाते थे और लोगों को उपदेश करते थे। वह प्रायः सभी स्थानों पर अपने कार्यक्रमों के विज्ञापन कराते थे जिसमें उपदेशों के अतिरिक्त शंका समाधान, वार्तालाप और शास्त्रार्थ करने का आमंत्रण हुआ करता था। उनके इन कार्यक्रमों में हिन्दूओं सहित सभी मुस्लिम व […] Read more » Featured एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द तीर्थ हर की पैड़ी मनमोहन कुमार आर्य मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा तीर्थ हर की पैड़ी एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज ‘न भूतो न भविष्यति’ एक वैश्विक धार्मिक सामाजिक संस्था April 10, 2015 / April 11, 2015 | 1 Comment on आर्यसमाज ‘न भूतो न भविष्यति’ एक वैश्विक धार्मिक सामाजिक संस्था आर्य समाज की स्थापना आज से 140 वर्ष पूर्व 10 अप्रैल, 2015 को मुम्बई में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने की थी। महर्षि दयानन्द महाभारत के बाद वेदों के प्रथम शीर्षस्थ ऐसे विद्वान थे जिनकों वेदों के सत्य अर्थ करने की योग्यता प्राप्त थी। महाभारत के पश्चात विगत 5,000 वर्षों में महर्षि दयानन्द जैसा दूसरा […] Read more » Featured आर्यसमाज आर्यसमाज ‘न भूतो न भविष्यति’ एक वैश्विक धार्मिक सामाजिक संस्था धार्मिक मनमोहन कुमार आर्य वैश्विक सामाजिक संस्था
धर्म-अध्यात्म गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द April 9, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द महाभारत काल के बाद भारत ही नहीं विश्व में उत्पन्न हुए वेदों के अपूर्व विद्वान थे। उन्होंने अपनी कठोरतम तपस्या व साधना व ब्रह्मचर्य से यह जाना था कि वेद सृष्टि की आदि में ईश्वर के द्वारा चार ऋषियों को दिया गया वह ज्ञान है जो मनुष्य के जीवन भर के कर्तव्यकर्मों-धर्मकार्यों आदि […] Read more » Featured गंगा की महिमा गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द : दलितों के सच्चे स्नेही एवं विकासवाद को चुनौती देने वाले विश्व के प्रथम विचारक’ April 7, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) के जीवन काल में हमारा देश भारत अनेक अन्धविश्वासों एवं कुरीतियों में जकड़ा हुआ था। देश भर में जन्म पर अधारित जाति प्रथा ‘जन्मना जातिप्रथा’ प्रचलित थी जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों व जातियों द्वारा एक-दूसरे व परस्पर छुआछूत व अस्पर्शयता का व्यवहार किया जाता था। ऐसा लगता है कि यह […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य शूद्रों स्वामी दयानन्द : दलितों के सच्चे स्नेही एवं विकासवाद को चुनौती देने वाले विश्व के प्रथम विचारक’ स्त्री
धर्म-अध्यात्म काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र April 6, 2015 / April 7, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का मंगलवार 16 नवम्बर, 1869 को काशी के आनन्दबाग में अपरान्ह 3 बजे से सायं 7 बजे तक लगभग पांच हजार दर्शकों की उपस्थिति में विद्यानगरी काशी के शीर्षस्थ 30 पण्डितों से अकेले मूर्तिपूजा पर शास्त्रार्थ हुआ था। इस शास्त्रार्थ में सनातन धर्म वा पौराणिक मत के दो शीर्ष पण्डित स्वामी विशुद्धानन्द तथा […] Read more » Featured काशी काशी शास्त्रार्थ काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म हनुमान जी के प्रेरणादायक जीवन के अनुरूप स्वयं का जीवन बनायें April 4, 2015 / April 7, 2015 | Leave a Comment हनुमान जयन्ती के आज के दिन हनुमान जी के जीवन पर दृष्टिपात कर तथा उसमें अपने जीवन को उन्नत व सफलता प्रदान करने वाली घटनाओं को जानकर उनको आचरण में लाने की आवश्यकता है। वेदज्ञ बालब्रह्मचारी हनुमान जी राजा सुग्रीव के मंत्री थे। राजा सुग्रीव महाबलि राजा बाली के छोटे भाई थे। दोनों में मतभेद […] Read more » 4 अप्रैल को हनुमान जयन्ती Featured hanuman hanuman jayanti मनमोहन कुमार आर्य हनुमान जी हनुमान जी के प्रेरणादायक जीवन के अनुरूप स्वयं का जीवन बनायें
महत्वपूर्ण लेख सृष्टि की उत्पत्ति एवं मनुष्यों के आदि स्थान का निर्णय April 3, 2015 / April 4, 2015 | 3 Comments on सृष्टि की उत्पत्ति एवं मनुष्यों के आदि स्थान का निर्णय हमारी पृथिवी और यह समस्त ब्रह्माण्ड मनुष्यों द्वारा रचित व निर्मित नहीं है। यह बात सुनिश्चित है और इसमें दो मत नहीं है। अब दूसरे विकल्प पर विचार करते हैं। दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि यह सृष्टि अपने आप बन गई हो। इसके लिए हमें विचार करना होगा कि संसार में […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों के आदि स्थान का निर्णय सृष्टि की उत्पत्ति