धर्म-अध्यात्म जीवात्मा के अस्तित्व व इसके पूर्व, मध्य व पर जन्मों पर विचार October 25, 2017 | 1 Comment on जीवात्मा के अस्तित्व व इसके पूर्व, मध्य व पर जन्मों पर विचार मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जीवन क्या है? इस प्रश्न का सन्तोषजनक उत्तर वैदिक साहित्य में ही मिलता है। इतर साहित्य में इस विषय पर पर्याप्त व निर्भ्रान्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती। वैदिक विद्या के अनुसार संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति की सत्ता है जो अनादि, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी व अमर है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, […] Read more » जीवात्मा
विविधा गोरक्षा व गोसंवर्धन का महत्व October 21, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य गो की महिमा वेदों सहित पुराण आदि समस्त ग्रन्थों में गायी गई है। आधुनिक युग के निर्माता महर्षि दयानन्द जी ने भी गोकरूणाविधि पुस्तक लिख कर गो की ओर देश व विश्व के शासकों एवं मनीषियों का ध्यान आकर्षित किया है। गो पालन को जीवन में सद्कर्म के रूप में मान्यता प्राप्त […] Read more » Featured गोरक्षा गोरक्षा का महत्व गोसंवर्धन गोसंवर्धन का महत्व
धर्म-अध्यात्म सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन अविद्या दूर कर ज्ञानी बनाता है October 20, 2017 | Leave a Comment दीपावली एवं ऋषि दयानन्द बलिदान दिवस पर मनमोहन कुमार आर्य दीपावली का पर्व कार्तिक अमावस्या की रात्रि के अन्धकार को दीपमाला जलाकर, अन्धकार को किंचित मात्रा में दूर कर मनाया जाता है। जो लोग इस दीपमाला का इतना ही महत्व मानते हैं वह दीपावली का अधूरा ज्ञान रखते हैं। दीपक सीमित मात्रा में अन्धकार दूर […] Read more » Satyarthaprakash सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द का संसार, देश व समाज पर ऋण October 20, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज हम जो कुछ भी जानते है उस ज्ञान को हम तक पहुंचानें में हमसे पूर्व के ऋषियों व विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान है। सृष्टि के आरम्भ से अध्ययन अध्यापन की परम्परा का आरम्भ हुआ जो आज पर्यन्त चला आ रहा है। माता-पिता अपने नवजात शिशु को संस्कार देने के साथ भाषा […] Read more » ऋण ऋषि दयानन्द देश पर ऋण समाज पर ऋण संसार पर ऋण
धर्म-अध्यात्म पौराणिक मत के रक्षक ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज October 18, 2017 | Leave a Comment ऋषि बलिदान एवं दीपावली पर्व पर मनमोहन कुमार आर्य सृष्टि के आरम्भ से महाभारतकाल तक संसार भर में वैदिक मत, भाषा, संस्कृति व सभ्यता का प्रचार व प्रसार रहा। महाभारत युद्ध के परिणामस्वरूप अव्यवस्था होने से वैदिक मत अज्ञान से ग्रस्त हो गया जिसका परिणाम वैदिक धर्म में अधंविश्वास, कुरीतियां और असमानता आदि जैसे विचार […] Read more » Featured आर्यसमाज ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज ऋषि बलिदान दीपावली पर्व
धर्म-अध्यात्म आर्य-हिन्दुओं की सामाजिक व राजनैतिक उन्नति में बाधक उनकी अवैदिक मान्यतायें एवं वेद विरुद्ध आचरण October 17, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महाभारतकाल तक संसार में हिन्दू जाति का अस्तित्व कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता। महाभारत एवं रामायण इतिहास के दो प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं। दोनों में आर्य जाति का उज्जवल इतिहास वर्णित है। महाभारतकाल वर्तमान काल से लगभग पांच हजार वर्ष पुराना है तो रामायण उससे कहीं अधिक प्राचीन है। इसका अर्थ है कि सृष्टि […] Read more » अवैदिक मान्यतायें
धर्म-अध्यात्म ईश्वर और हमारे सद्कर्म हमारे सबसे बड़े मित्र व रक्षक हैं October 16, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता उसके जीवन की रक्षा की है। यह रक्षा हमारा एक ऐसा मित्र कर सकता है जो कभी विघ्नों व बाधाओं से स्वयं दूर है और जो कभी असुरक्षित नहीं होता। जो स्वयं सुरक्षित नहीं है, दूसरों से रक्षा व सहायता की अपेक्षा करते हैं, वह हमारी पूर्ण […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म वेद, ईश्वर और धर्म का परस्पर सम्बन्ध October 15, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी मनुष्यों के जीवन में वेद, ईश्वर एवं धर्म का गहरा सम्बन्ध है। यदि कोई मनुष्य इनकी उपेक्षा करता है तो वह अपना कुछ यह जन्म और पूरा परजन्म विनष्ट करता है। परस्पर विरोधी बातें सत्य नहीं हुआ करतीं। या तो पूर्वजन्म-जन्म-पुनर्जन्म का सिद्धान्त सत्य है या फिर एक जन्म […] Read more » ईश्वर धर्म का परस्पर सम्बन्ध वेद
धर्म-अध्यात्म ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ग्रन्थ में अग्निहोत्र यज्ञ का यथार्थ स्वरूप October 14, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वैदिक साहित्य में ऋषि दयानन्द कृत ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ग्रन्थ का प्रमुख स्थान है। यह ग्रन्थ उनके चारों वेदों के भाष्य की भूमिका है जिसमें उन्होंने वेदों में निहित कुछ महत्वपूर्ण विषयों का यथार्थ वैदिक स्वरूप प्रस्तुत किया है। इस ग्रन्थ का एक अध्याय है ‘पंचमहायज्ञविषयः’। इस अध्याय के आरम्भ में ऋषि दयानन्द ने […] Read more » अग्निहोत्र यज्ञ
धर्म-अध्यात्म अग्निहोत्र-यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म होने के कारण वैदिक धर्म का आवश्यक कर्तव्य October 11, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य प्रथम प्रश्न तो यह है कि वैदिक धर्म क्या है? इसका उत्तर इस प्रकार से दे सकते हैं कि मनुष्य के कर्तव्यों का ज्ञान व उसका पालन धर्म तथा अकर्तव्यों का ज्ञान व उसका सेवन व पालन न करना भी धर्म है और उनका करना अधर्म होता है। सृष्टि के आरम्भ में […] Read more » अग्निहोत्र-यज्ञ श्रेष्ठतम
धर्म-अध्यात्म श्री कृष्ण का जीवन चरित प्रत्येक भारतीय को पढ़ना चाहिये October 10, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य देहरादून में अगस्त-सितम्बर, 2017 महीनों में 9 दिवसीय पुस्तक मेला लगा था। इस मेले में आर्य प्रकाशकों के भी कुछ स्टाल लगे थे। एक स्टाल दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के सहयोग से बरेली के श्री राजेन्द्र कुमार आर्य जी ने लगाया थां। इनके पास वैदिक आर्य सहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध […] Read more » श्री कृष्ण
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, धर्म, जीवात्मा, सृष्टि आदि विषयक ऋषि के सारगर्भित विचार October 10, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि के मन्तव्यों में सु कुछ विषयों पर हम ऋषि के शब्दों को ही प्रस्तुत कर रहे हैं। ईश्वर— जिस के ब्रह्म परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिस के गुण, कर्म, […] Read more » ईश्वर जीवात्मा धर्म वेद सृष्टि