चिंतन धर्म-अध्यात्म सन्ध्या व अग्निहोत्र यज्ञ का महत्व व लाभ October 9, 2017 | Leave a Comment सन्ध्या एक शास्त्रीय विधान है जिसका अनुष्ठान प्रत्येक स्त्री व पुरुष का कर्तव्य है। शैशव काल से माता-पिता के सान्निध्य से इसका आरम्भ हो जाता है। गुरुकुल व विद्यालयों में बच्चे अपने आचार्य के सान्निध्य में इसे करते हैं और गृहस्थ व अन्य आश्रमों में रहते हुए इसे प्रातः व सायं दोनों समय बिना […] Read more » Featured अग्निहोत्र यज्ञ अग्निहोत्र यज्ञ का महत्व सन्ध्या सन्ध्या का महत्व सन्ध्या का लाभ सन्ध्या लाभ
धर्म-अध्यात्म स्वाध्याययुक्त जीवन ईश्वर व सदाचार से जोड़ता तथा बन्धनों को हटाता है October 7, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वाध्याय ‘स्व’ तथा ‘अध्याय’ दो शब्दों से मिलकर बना एक शब्द है। स्व हम स्वयं के लिए प्रयोग करते हैं और उसका अध्ययन व ज्ञान स्वाध्याय कहलाता है। स्वाध्याय में सहायक ऋषियों द्वारा निर्मित सत्साहित्य भी होता है। ऐसा भी साहित्य होता है जो मनुष्य के जीवन को बर्बाद करता है। यह […] Read more » ईश्वर स्वाध्याय स्वाध्याययुक्त
धर्म-अध्यात्म राजधर्म वा सुशासन का आधार वेद व वैदिक धर्म October 4, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो सौ से कुछ अधिक देश हैं। सबकी अपनी अपनी आन्तरिक एवं बाह्य नीतियां व सिद्धान्त हैं। इन्हें हम गृह व विदेश नीति भी कह सकते हैं। अन्य नियम भी होते हैं जिनसे देश मे राजव्यवस्था स्थापित रहती है। यह नियम दूसरे देशों का अध्ययन कर व कुछ विशेषज्ञ व्यक्तियों […] Read more » राजधर्म वैदिक धर्म सुशासन का आधार वेद
धर्म-अध्यात्म स्वार्थ, अज्ञान और अन्धविश्वास से जीवन की बर्बादी September 30, 2017 | Leave a Comment असत्य का त्याग और सत्य का ग्रहण ही जीवन कल्याण का मुख्य मंत्र मनमोहन कुमार आर्य स्वार्थ शब्द पर विचार करें तो स्व और अर्थ दो शब्दों से बना हुआ यह शब्द प्रतीत होता है। ‘स्व’ अपने को कहते हैं और अर्थ के अनेक अर्थ हो सकते हैं जिसमें धन, सम्पत्ति व अन्य प्रयोजन की […] Read more » अज्ञान और अन्धविश्वास से जीवन की बर्बादी” स्वार्थ
धर्म-अध्यात्म आधुनिक काल में वेद एवं इतर मत-पन्थ ग्रन्थों की प्रासंगिकता September 29, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल के बाद संसार में अनेक ज्ञानी व अल्पज्ञानी पुरुष हुए जिन्होंने देश, काल व परिस्थिति के अनुसार, साथ ही अपनी योग्यतानुसार, कुछ मतों का प्रचलन भी किया है। समय के साथ यह पल्लवित व पोषित होते रहे और आज कुछ मतों का संसार पर अत्यधिक प्रभाव व प्राधान्य है। महाभारतकाल […] Read more » आधुनिक काल में वेद आधुनिक काल में वेद एवं इतर मत-पन्थ ग्रन्थों की प्रासंगिकता इतर मत-पन्थ ग्रन्थों की प्रासंगिकता वेद वेद एवं इतर मत-पन्थ ग्रन्थ
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द जी की गान विद्या में मर्मज्ञता के कुछ उदाहरण September 28, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य गान वा संगीत विद्या का आरम्भ सामवेद से माना जाता है। स्वामी दयानन्द जी चार वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। वह वेदों को समग्रता से जानते थे। उनके जीवन की कुछ घटनायें उपलब्ध होती हैं जो उन्हें साम-गान एवं गान विद्या का मर्मज्ञ विद्वान सिद्ध करती हैं। आर्यजगत के विद्वान आचार्य विपाश […] Read more » स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म मनुष्यों की सन्तानों को श्रेष्ठ मनुष्य बनाना ही वेदोत्पत्ति का प्रयोजन September 22, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में आज जितना भी ज्ञान उपलब्ध है उसका एकमात्र उद्देश्य मनुष्य के जीवन को सुखी व श्रेष्ठ बनाना है। सद्ज्ञान ही वह पदार्थ, ज्ञान व धन है जिससे मनुष्य श्रेष्ठ बन सकता है। हमारे पास आज एक ओर मत-मतान्तरों के ग्रन्थ व पुस्तकें हैं तो दूसरी ओर ज्ञान व विज्ञान […] Read more » मनुष्यों की सन्तान वेदोत्पत्ति का प्रयोजन श्रेष्ठ मनुष्य
धर्म-अध्यात्म मृतकों के चित्रों पर पुष्पमाला व पुष्प चढ़ाना अवैदिक कृत्य September 20, 2017 | 1 Comment on मृतकों के चित्रों पर पुष्पमाला व पुष्प चढ़ाना अवैदिक कृत्य मनमोहन कुमार आर्य एक आर्य विद्वान ने हमारा ध्यान आर्यजनों द्वारा अपने प्रिय परिवारजनों की मृत्यु आदि के बाद आयोजित श्रद्धांजलि आदि कार्यक्रमों में उनका चित्र रखने, उस पर पुष्पमाला डालने व पुष्प चढ़ाने की अवैदिक परम्परा की ओर आकर्षित किया है। उन्होंने हमसे हमारा पक्ष पूछा था जो हमने उन्हें अवगत करा दिया है […] Read more » मृतक मृतकों के चित्रों पर पुष्पमाला
धर्म-अध्यात्म मृतकों का श्राद्ध अशास्त्रीय एवं वेद विरुद्ध होने से त्याज्य कर्म September 20, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आश्विन मास का कृष्ण पक्ष मृत पितरों का श्राद्ध कर्म करने के लिए प्रसिद्ध सा हो गया है। इन दिनों पौराणिक नाना प्रकार के नियमों का पालन करते हैं। अनेक पुरुष दाढ़ी नहीं काटते, बाल नहीं कटाते, नये कपड़े नहीं खरीदते व सिलाते, यहां तक की विवाह आदि का कोई भी शुभ […] Read more » श्राद्ध
प्रवक्ता न्यूज़ संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य परमेश्वर व उसकी रचनायें हैः आचार्या प्रियम्वदा वेदभारती September 20, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का शरदुत्सव आज सोल्लास आरम्भ हो गया। साधको को प्रातः 5.00 बजे से 6.00 बजे तक योग साधना कराई गई। प्रातः 6.30 बजे सन्ध्या हुई और इसके बाद ऋग्वेद के मन्त्रों से यज्ञ आरम्भ हुआ। मंच पर यज्ञ की ब्रह्मा विदुषी आचार्य डा. प्रियम्वदा वेदभारती, […] Read more »
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का मुख्य उद्देश्य September 20, 2017 | Leave a Comment सबकी शारीरिक सामाजिक आत्मिक उन्नति सहित संसार का उपकार करना आर्यसमाज का मुख्य उद्देश्य मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द जी ने आर्यसमाज की स्थापना सर्वविद्यामय ईश्वरीय ज्ञान वेदों के प्रचार के लिए की थी। ज्ञान से बढ़कर संसार में दूसरा कोई धन या महत्वपूर्ण पदार्थ नहीं है। शरीर व आत्मा की उन्नति के लिए विद्या वा […] Read more » आर्यसमाज का मुख्य उद्देश्य
धर्म-अध्यात्म सत्य का मार्ग ही जीवन की सफलता का मार्ग है September 15, 2017 | 1 Comment on सत्य का मार्ग ही जीवन की सफलता का मार्ग है मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है? इसके उत्तर में कह सकते हैं कि सत्य को जानना, समझना, उस पर गहनता से विचार करना, ऋषि दयानन्द सरस्वती आदि महापुरुषों के जीवन चरितों व उपदेशों का अध्ययन करना, ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति का सत्य ज्ञान कराने वाले वेद एवं सत्यार्थाप्रकाशादि ग्रन्थों को प्राप्त करना व उनका अध्ययन […] Read more » सत्य