धर्म-अध्यात्म क्या वेदों की रक्षा हो पाती यदि ऋषि दयानन्द वेद प्रचार न करते? August 2, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल के बाद ऋषि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने वेदों को ईश्वरीय ज्ञान बताकर वेदों से सम्बन्धित अनेक तथ्यों पर प्रकाश डाला और उन्हें शास्त्रीय प्रमाणों, तर्क एवं युक्तियों से सिद्ध भी किया। वेदों का यथार्थ महत्व बताने के लिए उन्होंने पहले सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ लिखा और उसके बाद ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका लिखकर ऋग्वेद […] Read more »
धर्म-अध्यात्म वेदों के यौगिक, योगरूढ़ व रूढ़ शब्द August 2, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान डा. रामनाथ वेदालंकार जी के वेद विषयक कुछ लेखों का ‘आर्ष ज्योति’ के नाम से एक संकलन स्वामी दीक्षानन्द सरस्वती जी ने 1 अगस्त, सन् 1991 में प्रकाशित किया था। इसके बाद इसका एक संस्करण सम्भवतः श्रीघूड़मल प्रह्लादकुमार आर्य धर्मार्थ न्यास, हिण्डोनसिटी के द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस […] Read more » यौगिक
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्दोक्त वैदिक उपासना पद्धति ही विश्व की सर्वोत्तम पद्धति August 2, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य विश्व में मत-मतान्तर, पंथ, सम्प्रदाय, मजहब व रिलीजन तो अनेक हैं परन्तु धर्म एक ही है। उस धर्म को केवल धर्म अथवा वैदिक धर्म कहना ही उचित प्रतीत होता है। वैदिक धर्म इसलिये कि धर्म का आधार वेद हैं। यदि वेद न होते तो फिर धर्म भी न होता। धर्म उसे कहते […] Read more » वैदिक उपासना पद्धति
धर्म-अध्यात्म आत्म ज्ञान से हीन मनुष्य इन्द्रियों के विषयों में फंसा रहता है July 29, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य बुद्धिपूर्वक अर्थात् ज्ञानपूर्वक कर्म करने वाले प्राणियों को मनुष्य कहते हैं। मनुष्य की पहचान उसके पास बुद्धि अर्थात् सत्य व असत्य अथवा उचित व अनुचित का बोध कराने वाली शक्ति होती है। हमारी यह बुद्धि भी ज्ञान व अज्ञान से युक्त हुआ करती है। अज्ञान इसमें स्वतः होता है और ज्ञान से […] Read more » उपनिषद
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द की ईश्वर से स्वराज्य, साम्राज्य व चक्रवर्ती राज्य की प्राप्ति की प्रार्थना व चर्चा July 29, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने साहित्य में अनेक स्थानों पर ‘साम्राज्य’ व ‘चक्रवर्ती-राज्य’ की ईश्वर से प्रार्थना व मांग की है। राज्य वह होता है जिस पर किसी राजा व राज्याधिकारी का शासन व नियंत्रण होता है। यदि कई राज्यों को मिला दिया जाये तो उसे एक देश विशेष कह सकते हैं। ऐसे […] Read more » स्वराज्य
धर्म-अध्यात्म धन से मनुष्य की तृप्ति नहीं होती July 27, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल संसार के सभी व अधिकांश मनुष्य धन की ओर भाग रहे हैं। संसार की बात न कर अपने देश भारत की ही बात करें तो यह बात 99.9 प्रतिशत सत्य प्रतीत होती है। इसी कारण तो अतीत में देश में घोटाले पर घोटाले होते रहे। आज भी कई राजनीतिक नेताओं के […] Read more » धन
धर्म-अध्यात्म चेतन ब्रह्म की उपासना और सेवा करनी चाहिए और इससे भिन्न जड़ आदि पदार्थों की उपासना नहीं किन्तु उनसे उपकार ग्रहण करना चाहिए July 26, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ईशावास्योपनिषद् में कुल 17 मन्त्र हैं। इस लेख में ईशावास्योपनिषद् के मन्त्र क्र्रमांक 12 से 14 पर ऋषि दयानन्द के यजुर्वेद भाष्य से इन मंत्रों के भाषार्थ एवं भावार्थ आदि प्रस्तुत हैं: मन्त्र संख्या 12 मन्त्र के ऋषि दीर्घतमाः। देवता आत्मा=स्पष्टम्। छन्द निचृदनुष्टुप् स्वर गान्धारः।। अब विद्या और अविद्या […] Read more » ईशावास्योपनिषद्
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर विद्वानों के निकट और अविद्वानों से दूर है : ईशावास्योपनिषद’ July 24, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ईशावास्योपनिषद् के नाम से विख्यात यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय के मन्त्र क्रमांक 4 से 7 का ऋषि दयानन्दकृत व्याख्यान महत्वपूर्ण होने के कारण इस लेख के माध्यम से यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। ऋषि दीर्घतमाः। देवता ब्रह्म=स्पष्टम्। छन्द निचृत्त्रिष्टुप्। स्वर धैवतः।। कैसा मनुष्य ईश्वर का साक्षात् करता है, यह उपदेश किया है।। […] Read more » ईशावास्योपनिषद
धर्म-अध्यात्म स्वामी सत्यानन्द रचित ऋषि दयानन्द के भावपूर्ण जीवनचरित की भूमिका में प्रस्तुत महत्वपूर्ण विचार July 20, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द के प्रमुख जीवन चरितों में एक जीवन चरित है ‘श्रीमद्दयानन्द प्रकाश’। इस ग्रन्थ के लेखक हैं स्वामी सत्यानन्द जी। स्वामी दयानन्द जी के जीवन चरितों में पं. लेखराम जी रचित जीवन चरित का शीर्षस्थ स्थान है। अन्य सभी जीवन चरित उनके द्वारा संग्रहित जीवन चरित की सामग्री के आधार […] Read more » ‘श्रीमद्दयानन्द प्रकाश’
धर्म-अध्यात्म सृष्टि का उत्पत्ति, पालन व प्रलयकर्ता होने से ईश्वर ही सब मनुष्यों का उपासनीय July 19, 2017 / July 19, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान वह मुख्य रूप से अपने माता-पिता व आचार्यों से प्राप्त करता है। मनुष्य अल्पज्ञ है, इस कारण समय के साथ साथ उसमें विस्मृति का होना भी होता है। माता-पिता व आचार्य अल्पज्ञ प्राणी होते हैं। अतः अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म वेद और ऋषि दयानन्द के सिद्धान्तों को अपनाकर ही देश अखण्डित, स्वतन्त्र और सुरक्षित रह सकता है July 18, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आजकल हमारा देश इतिहास के बहुत ही खराब दौर से गुजर रहा है। कश्मीर में आतंकवाद अपनी तीव्रतम स्थिति में है जहां पाकिस्तानी और राज्य के कुछ गुमराह लोग देश की रक्षा करने वाली सेना का विरोध करते हैं और न केवल उनकी जान लेने के लिए तत्पर रहते हैं अपितु […] Read more » ऋषि दयानन्द वेद
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज चकराता (देहरादून) व चकराता विषयक हमारे कुछ संस्मरण July 17, 2017 | 1 Comment on आर्यसमाज चकराता (देहरादून) व चकराता विषयक हमारे कुछ संस्मरण मनमोहन कुमार आर्य देहरादून में आर्यसमाज की स्थापना अक्तूबर, सन् 1880 में हुई थी जब ऋषि दयानन्द दूसरी बार देहरादून पधारे थे। देहरादून से लगभग 87 किमी. दूरी पर पर्वतीय व पर्यटक स्थल चकराता है। मसूरी की ही भांति चकराता भी पर्वतीय व वनाच्छादित होने के साथ मसूरी से अधिक ऊंचाई पर है परन्तु यह […] Read more » आर्यसमाज