न्याय का रास्ता साफ करती मीडिया
19 सालों के बाद ऐसा क्या हो गया कि पूरा देश रुचिका गिरहोत्रा को न्याय…
19 सालों के बाद ऐसा क्या हो गया कि पूरा देश रुचिका गिरहोत्रा को न्याय…
नववर्ष से तुम एक बार फिर वैसे ही आ गए और मैं एक बार फिर…
प्रकृति के साथ बार-बार बलात्कार करना अब इंसानी फितरत बन चुका है। विकास की आड़…
1 इंतजार मैं तो भेजता रहूँगा हमेशा उसको ‘ढाई आखर’ से पगे खत अपने पीड़ादायक…
कलयुग में एक मुस्लिम फ़कीर अपनी दुआ बिना कैश और काइंड लिये हुए राहगीरों को…
ई मेल के जमाने में पता नहीं क्यों आज भी मेरा मन ख़त लिखने को…
कभी महात्मा गाँधी ने कहा था- इंसान की जरुरतों को प्रकृति तो पूरा कर सकती…
1- चुपके से मैं तो चाहता था सदा शिशु बना रहना इसीलिए मैंने कभी नहीं…
आम आदमी राहु और केतु के पाश में जकड़ा रहता है हमेशा कभी…
भष्ट्राचार की कहानी लिख दो इतिहास के पन्नों पर कोड़ा के भष्ट्राचार की कहानी …
पता नहीं कब और कैसे धूल और धुएं से ढक गया आसमान सागर में मिलने…
पाती मोबाईल और इंटरनेट के ज़माने में भले ही हमें नहीं याद आती है पाती…