कविता क्या नही कर सकता इंसान March 18, 2015 / March 18, 2015 | Leave a Comment क्या नही कर सकता इंसान …… सच क्या नही कर सकता इंसान जिद पक्की करने की ठान ले इंसान जनहित लोकहित संग हो ईमान चाँद तक पहुँच गया इंसान सच क्या नही कर सकता इंसान ….. चट्टानों में हरित क्रांति पाषाणों को पिघला सकता इंसान असाध्य को साध्य बनता मंगल ग्रह पर टाक जहा इंसान […] Read more » determination will power इंसान क्या नही कर सकता इंसान
कविता बदनसीब पुत्र की डायरी February 13, 2015 / February 13, 2015 | Leave a Comment पिता की तुला पर बदनसीब खरा नहीं उत्तर पाया विफलता कहे या सफलता पुत्र नहीं समझ पाया। पिता की चाह थी श्रवण बनकर जमाने को दिखा दे , पुत्र भी चाहता था कि पिता की हर इच्छा पूरी कर दे। पर पुत्र ने होश संभालते विरोध की शपथ ले लिया था पिता की ऐसी इच्छा […] Read more » बदनसीब पुत्र की डायरी
कविता परिवर्तन January 8, 2015 | Leave a Comment ह्रदय दीप मेरा , परिवर्तन का आगाज़ है , दीप को लहू दे रहा ऊर्जा , तन तपकर दे रहा है रोशनी , मन कर रहां , सच्ची विचारो का आह्वाहन , मानवीय समानता के लिए। भूख से कराह रहा , समानता की प्यास है , आर्थिक उत्थान की अभिलाषा है , कायनात के संग […] Read more » परिवर्तन
कविता आसमान December 20, 2014 / December 20, 2014 | Leave a Comment पीछे डर आगे विरान है, वंचित का कैद आसमान है जातीय भेद की, दीवारों में कैद होकर सच ये दीवारे जो खड़ी है आदमियत से बड़ी है । . कमजोर आदमी त्रस्त है गले में आवाज़ फंस रही है मेहनत और योग्यता दफ़न हो रही है , वर्णवाद का शोर मच रहा है ये कैसा […] Read more » आसमान
कविता आदमी बदल रहा है December 8, 2014 | Leave a Comment देखो आदमी बदल रहा है , आज खुद को छल रहा है, अपनो से बेगाना हो रहा है , मतलब को गले लगा रह है , देखो आदमी बदल रहा है ………… औरो के सुख से सुलग रहा है , गैर के आंसू पर हस रहा है, आदमी आदमियत से दूर जा रहा है देखो […] Read more » आदमी बदल रहा है
कविता तुला December 4, 2014 / December 4, 2014 | Leave a Comment नागफनी सरीखे उग आये है कांटे , दूषित माहौल में इच्छाये मर रही है नित चुभन से दुखने लगा है, रोम-रोम। दर्द आदमी का दिया हुआ है चुभन कुव्यवस्थाओं की रिसता जख्म बन गया है अब भीतर-ही-भीतर। सपनो की उड़ान में जी रहा हूँ’ उम्मीद का प्रसून खिल जाए कहीं अपने ही भीतर से। डूबती […] Read more » तुला
कविता तस्वीर December 3, 2014 | Leave a Comment ये कैसी तस्वीर उभर रही है , आँखों का सकून , दिल का चैन छिन रही है . अम्बर घायल हो रहा है अवनि सिसक रही है ये कैसी तस्वीर उभर रही है ………… चहुंओर तरक्की की दौड़ है भ्रष्टाचार,महंगाई , मिलावट का दौर है , पानी बोतल में, कैद हो रहा है , जनता […] Read more » तस्वीर
कविता तौहिनी लगाती है-कविता September 12, 2014 / September 12, 2014 | Leave a Comment डॉ नन्द लाल भारती बोध के समंदर से जब तक था दूर सच लगता था सारा जहां अपना ही है बोध समंदर में डुबकी क्या लगी सारा भ्रम टूट गया पता चला पांव पसारने की इजाजत नहीं आदमी होकर आदमी नहीं क्योंकि जातिवाद के शिकंजे में कसा कटीली चहरदीवारी के पार झांकने तक की इजाजत […] Read more » कविता तौहिनी लगाती है
कविता कविता-जातिवाद का नरपिशाच September 11, 2014 / September 12, 2014 | Leave a Comment डॉ नन्द लाल भारती मै कोई पत्थर नहीं रखना चाहता इस धरती पर दोबारा लौटने की आस जगाने के लिए तुम्ही बताओ यार योग्यता और कर्म-पूजा के समर्पण पर खंजर चले बेदर्द आदमी दोयम दर्ज का हो गया जहां क्यों लौटना चाहूंगा वहाँ रिसते जख्म के दर्द का ,जहर पीने के लिए ज़िन्दगी के हर […] Read more » जातिवाद का नरपिशाच