विविधा स्वार्थ अप्रतिम, मूल्यवान, अनिन्दनीय December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment हृदयनारायण दीक्षित अपना सुख सबकी कामना है। अपनों का सुख इसी अपने का हिस्सा है। तुलसीदास की आत्मानुभूति प्रगाढ़ थी। उन्होंने इसी अपनेपन के लिए एक प्रीतिकर शब्द दिया-‘स्वान्तः सुखाय’। रामकथा उन्होंने ‘स्वान्तः सुखाय’ ही गायी। सभी प्राणी अपने सुख के लिए ही कर्म करते हैं। दूसरों के सुख की बात करने वाले राजनीति करते […] Read more » Precious मूल्यवान
राजनीति केंद्रीय नेतृत्व को ठेंगा दिखाता प्रदेश नेतृत्व December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment गोविन्द भाई चौधरी भारत को आजाद हुए पूरे 64 वर्ष हो चुके हैंऔर इस 64 वर्षों के लंबे अंतराल में हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था इतनी मजबूत हुई है कि देश के प्रत्येक प्रदेश में एक क्षेत्रिय पार्टी का बोलबाला है। इन बातों को छोड़कर हम जरा मुद्दे की बात करे। आज हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था इतनी सुदृढ़ […] Read more » State प्रदेश
प्रवक्ता न्यूज़ दुराग्रहों की प्रकृति में एक और मोड़! December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment हरिकृष्ण निगम ‘राजनीतिक पत्रकारिता’ पर हाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल की शोध-परियोजना के अंतर्गत श्री राकेश सिंहा के एक प्रकाशित ग्रंथ में जब यह पढ़ा कि देश के कुछ प्रमुख अंग्रेजी दैनिक पत्रों की राजनैतिक व वैचारिक प्रतिबध्दता में दृष्टिकोण की खोट हो सकती है तब अनेक बुध्दिजीवियों की तरह […] Read more » Journalism राजनीतिक पत्रकारिता
विश्ववार्ता म्यांमार में चुनाव का छलावा December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment डॉ. बचन सिंह सिकरवार पड़ोसी देश म्यांमार में कोई दो दशक बाद हाल में हुए तथाकथित संसदीय आम चुनाव के वैसे ही नतीजे अब गए हैं जैसा कि इनके होने से पहले दुनिया भर के लोगों ने सोच रखा था। कारण ये चुनाव-चुनाव नहीं ,बल्कि चुनाव के नाम पर इस देश की जुण्टा(सैन्य) सरकार को […] Read more » Myanmar म्यांमार
विविधा खुलेआम भ्रष्टाचार… मौन तोड़ो! December 9, 2010 / December 19, 2011 | 5 Comments on खुलेआम भ्रष्टाचार… मौन तोड़ो! -सुनील अम्बेकर एक बालक ने बड़ी उत्सुकता से किसी से पूछा- ‘यह 2जी क्या होता है?’ उसने भी सारी तकनीकी जानकारी तथा इससे होने वाले फायदे गिनाने शुरू किये। तभी बालक ने कहा- ‘मैंने तो सुना है कि यह पैसे कमाने की कोई नयी तकनीक आयी है जिसमें राजा नाम का कोई व्यक्ति काफी कुशल […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार यूपीए
प्रवक्ता न्यूज़ पत्रकारिता: अन्धेरे समय में उजाले की उम्मीद December 9, 2010 / December 19, 2011 | 1 Comment on पत्रकारिता: अन्धेरे समय में उजाले की उम्मीद -प्रदीप चन्द्र पाण्डेय पत्रकारिता के लिये यह चिन्तन, चिन्तित, विचलित और चकित होने का समय है जब पूर्वजों की मान्यतायें भर-भराकर गिर रही है और जो नयी स्थापनायें सामने आ रही हैं उसे पत्रकार नहीं बाजार तंय कर रहा है। पत्रकारिता की धार और संसार पर यकीन करने वाले पुरानी पीढ़ी के लोग खूटियों पर […] Read more » Journalism पत्रकारिता
विविधा सतरंगा भ्रष्टाचार… नीरा यादव तो मात्र प्रतीक है December 8, 2010 / December 19, 2011 | 1 Comment on सतरंगा भ्रष्टाचार… नीरा यादव तो मात्र प्रतीक है -अनिल त्यागी भ्रष्टाचार- भ्रष्टाचार, हर किस्म का भ्रष्टाचार जिस किस्म का आपको देखना है देख सकते है। वैसे तो पूरे देश में है पर उ.प्र. मे तो खुले आम है किसकी सरकार है? कैसी सरकार है? कौन नेता है? कौन नहीं? कुछ फर्क नहीं पड़ता। एक अकेली नीरा यादव के मामले में हमाम में कुछ […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार
प्रवक्ता न्यूज़ स्वास्थ्य-योग एड्स : बचाव ज़रूरी है December 8, 2010 / December 19, 2011 | 1 Comment on एड्स : बचाव ज़रूरी है एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी ये सभी बीमारियां रक्त के उत्पादों और यौन सम्बंधों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में चली जाती हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ गैर शिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों से इंजेक्शन लेने से एचआईवी/एड्स फैलने का खतरा हो सकता है। ट्रांसमिशन एक […] Read more » aids एड्स
साहित्य यात्रा संस्मरण/ एक अजनबी December 8, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment -रा. रं. दरवेश एक अंतहीन यात्रा…. बहुत पुरानी चीनी कहावत है, “दस हज़ार किताबों को पढने से बेहतर , दस हज़ार मील की यात्रा करना है” रात के 10 :30 हो चुके है और मै अपनी खिड़की में बैठा , दूर-सुदूर तक फैले हुए खेतों को देख रहा हूँ…बाहर घुप्प अँधेरा है…और शायद भीतर भी…आकाश […] Read more » Travel memoir यात्रा संस्मरण
महिला-जगत मित्रता का स्त्रीवादी मर्म December 6, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment -विजया सिंह समस्त मानवीय संबंधों में मित्रता सबसे महत् संबंध है। यह साथ, साहचर्य, सहयोग, पारस्परिकता एवं स्वतंत्रता पर आधारित विशुध्द रूप से सकारात्मक संबंध है। जीवन की अनेकानेक पूर्णताओं के बावजूद मित्रहीन जीवन स्वीकार्य नहीं होता। स्वतंत्रता का विवेक, निजी व अन्य की अस्मिता का सहज, स्वाभाविक स्वीकार मित्रता के स्वरूप को प्रगाढ़ बनाते […] Read more » Friends मित्रता
धर्म-अध्यात्म भगवान महावीर स्वामी December 6, 2010 / December 19, 2011 | 4 Comments on भगवान महावीर स्वामी -अनिमेष जैन देश काल की परिस्थितियाँ सदा एक सी नहीं रहती। समय सदा ही परिवर्तनशील रहा है उत्थान और पतन का क्रम भी निरंतर रहा है। संसार की अन्यान्य प्रवृत्तियों के साथ धर्म भी इस क्रम से प्रभावित होते रहा है। कभी धर्म अपने पूर्ण प्रभाव और प्रबलता से युक्त रहता है कभी ऐसा भी […] Read more » Mahaveer भगवान महावीर
विविधा एक थॉमस बनाम पूरा हिन्दुस्तान December 6, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment अनिल त्यागी कहावत पुरानी है कि अकेला चना भाड नहीं फोड सकता। मानने में कोई बुराई भी नहीं पर क्या करे बहस जो छेडनी है। इसकी टक्कर पर गुरूदेव की उक्ति ‘ एकला चलो रे ‘ को भी अर्थहीन नहीं माना जा सकता। इन सबसे ऊपर एक पक्ति और लिख देनी चाहिये। एक अकेला भ्रष्टाचार […] Read more » Thomas थॉमस सीवीसी