लेख सुख के हजार कारण January 14, 2025 / January 14, 2025 | Leave a Comment चन्द्र प्रभा सूद प्रसन्न रहना चाहे तो मनुष्य किसी भी तरह खुश होने का कारण खोज लेता है। वह दिन-प्रतिदिन की छोटी-छोटी घटनाओं से ही स्वयं को खुश रख सकता है। प्रातः दिन आरम्भ होता है और उसका अन्त रात्री से होता है। इस बीच वह अनेकानेक कार्य कलाप करता है। उन्हीं कार्यों को करते […] Read more » सुख के हजार कारण
कला-संस्कृति संगम धरा पर लगाइये आस्था की महाकुंभ डुबकी! January 14, 2025 / January 14, 2025 | Leave a Comment डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट प्रयागराज महाकुंभ के मीडिया सेंटर का उदघाटन हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है।उन्होंने महाकुंभ की विशेषताओं का वर्णन करते हुए महाकुंभ में डेढ़ लाख टॉयलेट,70 हजार बिजली के खम्बे,बेहिसाब लाइटिंग,800 बसों का संचालन और मां की रसोई में मात्र 9 रुपये में शुद्ध सात्विक भरपेट खाने जैसे व्यवस्था गिनाई है।उत्तर प्रदेश सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग ने महाकुंभ 2025 की भव्य लाइव कवरेज के लिए यहां एक ऐसा दिव्य मीडिया सेंटर बनाया है जो न सिर्फ पूरी तरह से सुसज्जित है बल्कि देश विदेश से आने वाले मीडियाकर्मियों के लिए सुव्यवस्थित समाचार प्रेषण तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। महाकुंभ को अलौकिक, दिव्य व भव्य बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माना कि सुरक्षित कुंभ हम सबके लिए एक चुनौती है।इस कुंभ में श्रद्धालुओं को शानदार सड़के,धर्म और आस्था से ओतप्रोत कलाकृतियां, विभिन्न वेशभूषाओं से सुसज्जित सन्तो के अखाड़े,संगम में दूर तक फैले रेगिस्तान पर योग साधना के बड़े बड़े वातानुकूलित कक्ष, प्रेरक उपदेश व प्रवचनों की श्रंखला को दिव्यता का रूप दे रही है। हिंदू धर्म का यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ का स्नान करने और अपनी आस्था लेकर आ रहे है। प्रयागराज, हरिद्वार,उज्जैन और नासिक में जब भी महाकुम्भ या कुंभ होता है, श्रद्धालु बड़ी संख्या कुंभ स्नान करते हैं। इन पांचो मे से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयागराज में दो महाकुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है।प्रयागराज में इससे पूर्व सन 2013 में महाकुम्भ में हुआ था।फिर सन 2019 में प्रयागराज में अर्धकुंभ हुआ था और अब महाकुंभ की छटा हम सबको लुभा रही है। यह महाकुम्भ मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है।क्योंकि उस समय सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के इस योग को “महाकुम्भ स्नान-योग” भी कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक पर्व माना जाता है। कहा जाता है कि पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन ही खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। महाकुंभ के आयोजन को लेकर कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। जिनमें से सर्वाधिक मान्य कथा देव-दानवों द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कुंभ से अमृत बूँदें गिरने को लेकर है। इस कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के शाप के कारण जब इंद्र और अन्य देवता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया। तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हे सारा वृतान्त सुनाया। तब भगवान विष्णु ने उन्हे दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी। भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर संपूर्ण देवता दैत्यों के साथ संधि करके अमृत निकालने के यत्न में लग गए। अमृत कुंभ के निकलते ही देवताओं के इशारे से इंद्रपुत्र ‘जयंत’ अमृत-कलश को लेकर आकाश में उड़ गया। उसके बाद दैत्यगुरु शुक्राचार्य के निर्देश पर दैत्यों ने अमृत को वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया और घोर परिश्रम के बाद उन्होंने बीच रास्ते में ही जयंत को पकड़ लिया। तत्पश्चात अमृत कलश पर अधिकार जमाने के लिए देव-दानवों में बारह दिन तक अविराम युद्ध होता रहा।इस परस्पर मारकाट के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक पर कलश से छलक कर अमृत बूँदें गिरी थीं। उस समय चंद्रमा ने घट से प्रस्रवण होने से, सूर्य ने घट फूटने से, गुरु ने दैत्यों के अपहरण से एवं शनि ने देवेन्द्र के भय से घट की रक्षा की। कलह शांत करने के लिए भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर यथाधिकार सबको अमृत बाँटकर पिला दिया। इस प्रकार देव-दानव युद्ध का अंत किया गया। चूंकि अमृत प्राप्ति के लिए देव-दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के तुल्य होते हैं। इस कारण कुंभ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं, जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों की वहाँ पहुँच नहीं है,ऐसा माना जाता है। जिस समय में चंद्रादिकों ने कलश की रक्षा की थी, उस समय की राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, उस समय महाकुंभ का योग होता है अर्थात जिस वर्ष, जिस राशि पर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का संयोग होता है, उसी वर्ष, उसी राशि के योग में, जहाँ-जहाँ अमृत बूँद गिरी थी, वहाँ-वहाँ महाकुंभ होता है। 600 ई पू के बौद्ध लेखों में नदी मेलों का उल्लेख मिलता है।400 ई पू के सम्राट चन्द्रगुप्त के दरबार में यूनानी दूत ने एक मेले को प्रतिवेदित किया ,ऐसा कहा जाता है। विभिन्न पुराणों और अन्य प्राचीन मौखिक परम्पराओं पर आधारित पाठों में पृथ्वी पर चार विभिन्न स्थानों पर अमृत गिरने का उल्लेख हुआ है। महाकुम्भ मे अखाड़ो के स्नान का भी विशेष महत्वहै।सर्व प्रथम आगम अखाड़े की स्थापना हुई कालांतर मे विखंडन होकर अन्य अखाड़े बने। 547 ईसवी में अभान नामक सबसे प्रारम्भिक अखाड़े का लिखित प्रतिवेदन हुआ था।600 ईसवी में चीनी यात्री ह्यान-सेंग ने प्रयाग में सम्राट हर्ष द्वारा आयोजित महाकुम्भ में स्नान किया था।904 ईसवी मे निरन्जनी अखाड़े का गठन हुआ था जबकि 1146 ईसवी मे जूना अखाड़े का गठन हुआ। 1398 ईसवी मे तैमूर, हिन्दुओं के प्रति सुल्तान की सहिष्णुता के विरुद्ध दिल्ली को ध्वस्त करता है और फिर हरिद्वार मेले की ओर कूच करता है और हजा़रों श्रद्धालुओं का नरसंहार करता है। जिसके तहत 1398 ईसवी मे हरिद्वार महाकुम्भ नरसंहार को आज भी याद किया जाता है।1565 ईसवी मे मधुसूदन सरस्वती द्वारा दसनामी व्यवस्था की गई और लड़ाका इकाइयों का गठन किया गया । 1678 ईसवी मे प्रणामी संप्रदायके प्रवर्तक श्री प्राणनाथजी को विजयाभिनन्द बुद्ध निष्कलंक घोषित किया गया ।1684 ईसवी मे फ़्रांसीसी यात्री तवेर्निए नें भारत में 12 लाख हिन्दू साधुओं के होने का अनुमान लगाया था।1690 ईसवी मे नासिक में शैव और वैष्णव साम्प्रदायों में संघर्ष की कहानी आज भी रोंगटे खड़े करती है, जिसमे60 हजार लोग मरे थेे।1760 ईसवी मे शैवों और वैष्णवों के बीच हरिद्वार मेलें में संघर्ष के तहत 18 सौ लोगो के मरने का इतिहास है।1780 ईसवी मे ब्रिटिशों द्वारा मठवासी समूहों के शाही स्नान के लिए व्यवस्था की स्थापना हुई।सन 1820 मे हरिद्वार मेले में हुई भगदड़ से 430 लोग मारे गए जबकि 1906 मे ब्रिटिश कलवारी ने साधुओं के बीच मेला में हुई लड़ाई में बीचबचाव किया ओर अनेको की जान बचाई।1954 मे चालीस लाख लोगों अर्थात भारत की उस समय की एक प्रतिशत जनसंख्या ने प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में भागीदारी की थी।उस समय वहां हुई भगदड़ में कई सौ लोग मरे थे।सन1989 मे गिनिज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने 6 फ़रवरी के प्रयागराज मेले में डेढ़ करोड़ लोगों की मौजूदगी प्रमाणित की थी, जो कि उस समय तक किसी एक उद्देश्य के लिए एकत्रित लोगों की सबसे बड़ी भीड़ थी।जबकि सन 1995 मे इलाहाबाद के “अर्धकुम्भ” के दौरान 30 जनवरी के स्नान दिवस में 2 करोड़ लोगों की उपस्थिति बताई गई थी।सन 1998 मे हरिद्वार महाकुम्भ में 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु चार महीनों के दौरान पधारे थे। 14 अप्रैल के दिन एक करोड़ लोगो की उपस्थिति ने सबको चौंका दिया था ।सन 2001मे इलाहाबाद के मेले में छः सप्ताहों के दौरान 7 करोड़ श्रद्धालु आने का दावा किया गया था। 24 जनवरी 2001 के दिन 3 करोड़ लोग के महाकुंभ में पहुंचने की बात की गई थी।सन 2003 मे नासिक मेले में मुख्य स्नान दिवस पर 60 लाख लोगो की उपस्थिति महाकुम्भ के प्रति व्यापक जनआस्था का प्रमाण है। महाकुंभ में अलौकिकता का बोध लौकिक सुंदरता को देखकर सहज ही हो जाता है,तो आप भी आइए और लगा लीजिए इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी । डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट Read more » Take a Mahakumbh dip of faith at the Sangam Dhara महाकुंभ संगम धरा
धर्म-अध्यात्म सूर्य के उत्तरायण में आगमन का खगोलीय पर्व है मकर सक्रांति! January 14, 2025 / January 13, 2025 | Leave a Comment डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। इस दिन पुण्य काल प्रातः काल 09 बजकर 03 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस अवधि में स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक है। इस दौरान पूजा और दान करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। सूर्य देव सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर ही मकर संक्रांति मनाई जाती है। महाभारत काल में मकर संक्रांति दिसंबर में मनाई जाती थी। ऐसा उल्लेख मिलता है कि छ्ठी शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के समय में 24 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाई गयी थी। अकबर के समय में 10 जनवरी और शिवाजी महाराज के काल में 11 जनवरी को मकर संक्रांति मनाये जाने का उल्लेख मिलता है। मकर संक्रांति की तिथि का यह रहस्य इसलिए है क्योंकि सूर्य की गति एक साल में 20 सेकंड बढ जाती है। इस हिसाब से 5000 साल के बाद संभव है कि मकर संक्रांति जनवरी में नहीं, बल्कि फरवरी में मनाई जाने लगे। मकर सक्रांति को देश मे विभिन्न नामो से जाना जाता है।तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, यह भ्रान्ति है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है किन्तु मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य का उत्तरायण होना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा नदी या पवित्र जल में स्नान करने का विधान है। साथ ही इस दिन गरीबों को गर्म कपड़े, अन्न का दान करना शुभ माना गया है। संक्रांति के दिन तिल से निर्मित सामग्री ग्रहण करने शुभ होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़े का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। माह के रविवार के दिन तांबे के बर्तन में जल भर कर उसमें गुड़, लाल चंदन से सूर्य को अर्ध्य देने से पद सम्मान में वृद्धि होने के साथ शरीर में सकारात्मक शक्तियों का विकास होता है। साथ ही आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होता है।कहते है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर फेंका था। भगवान की जीत को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और इसके बाद बसंत मौसम का आगमन आरंभ हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे और रात छोटी होने लगती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। ऐसे में पिता और पुत्र के बीच प्रेम बढ़ता है। ऐसे में भगवान सूर्य और शनि की अराधना शुभ फल देने वाला होता है। संक्रांति का यह पर्व भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।भारत में इसके विभिन्न नाम है छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में मकर सक्रांति,तमिलनाडु मेंताइ पोंगल, उझवर तिरुनल गुजरात, उत्तराखण्ड में उत्तरायण, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब में माघी,असम में भोगाली बिहु ,कश्मीर में शिशुर सेंक्रात ,उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में खिचड़ी,पश्चिम बंगाल में पौष संक्रान्ति ,कर्नाटक में मकर संक्रमण व पंजाब में लोहड़ी रूप में मनाया जाता है।तो आइए इस खगोलीय परिवर्तन का स्वागत मकर सक्रांति रूप में कर अपने बड़ो का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। असहायों की सहायता करें।डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोके Read more » मकर सक्रांति
लेख शख्सियत समाज साक्षात्कार भारत माता की महान सपूत स्वामी विवेकानंद January 12, 2025 / January 15, 2025 | Leave a Comment आधुनिक विश्व को भारतीयता से परिचित कराने वाले नरेन्द्र नाथ दत्त उर्फ स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकत्ता में हुआ। वह दौर पश्चिम के अंधानुकरण और स्वसंस्कृति के प्रति हीनभावना का था। ऐसे समय में स्वामी विवेकानंद ने भारतीयों में आत्मसम्मान और गौरव का भाव भरा। 1893 में अमेरिका के शिकागो में […] Read more »
राजनीति लेख हर वक्त महाविनाशकारी भूकम्प का खतरा January 9, 2025 / January 9, 2025 | Leave a Comment जयसिंह रावतनये साल के पहले ही सप्ताह तिब्बत के शिगात्से क्षेत्र में लगभग 7 परिमाण का भूचाल आता है और उसके भय के झटके उत्तर भारत और खास कर हिमालयी राज्यों में महसूस किये जाते हैं। यह भूकंप उत्तर भारत और खास कर हिमालयी राज्यों के लिए एक चेतावनी है। भूकम्प का खौफ हिमालयी राज्यों […] Read more » There is always a threat of a devastating earthquake महाविनाशकारी भूकम्प का खतरा
लेख यूनियन कार्बाइड कचरा फसलों और जलस्त्रोत को प्रदूषित कर सकता है January 8, 2025 / January 8, 2025 | Leave a Comment शादाब सलीम यूनियन कार्बाइड का कचरा इंदौर के निकट पीथमपुर में लाकर नष्ट किया जाएगा। भोपाल गैस त्रासदी मानवीय भूल पर होने वाली सज़ा का शिखर है। किसी भी मानवीय भूल पर इससे बड़ी और विकराल सज़ा विश्व के इतिहास में कहीं भी नहीं हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री एवं इंजीनियरिंग के छात्र रहे राजीव गांधी […] Read more » यूनियन कार्बाइड कचरा
राजनीति व्यंग्य कोसने में पारंगत बने January 7, 2025 / January 7, 2025 | Leave a Comment विवेक रंजन श्रीवास्तव लोकतंत्र है तो अब राजा जी को चुना जाता है शासन करने के लिए। लिहाजा जनता के हर भले का काम करना राजा जी का नैतिक कर्तव्य है। लोकतंत्र ने सारे जरा भी सक्रिय नागरिकों को और विपक्ष को पूरा अधिकार दिया है कि वह राजा जी से उनके हर फैसले पर […] Read more »
विश्ववार्ता अपनी करनी का फल भुगत रहा अमेरिका January 7, 2025 / January 7, 2025 | Leave a Comment सीमा पासी अमेरिका में दो दिन में तीन आतंकवादी हमले हो गए हैं., इससे लगता है कि वो अब अपनी करनी का फल भुगत रहा है। इस्लामिक आतंकवाद को पैदा करने वाला अमेरिका ही है जिसने अपने मतलब के लिए सत्ता की लड़ाई को धर्म की लड़ाई में बदल दिया। अमेरिका ही वो देश है जिसने […] Read more » America is suffering the consequences of its actions
धर्म-अध्यात्म अदभुत है गुरु गोविंद सिंह की जन्म स्थली पटना साहिब का गुरुद्वारा! January 7, 2025 / January 7, 2025 | Leave a Comment डा0श्रीगोपालनारसन एडवोकेट सिख धर्म के दसवें गुरु हुए गुरु गोविंद सिंह की जन्म स्थली बिहार की राजधानी पटना के बारे में कहा जाता है कि पटना शहर को सन 1541 ई0 में शेरशाह सुरी ने बसाया था। हालांकि पटना महानगर का इतिहास 600 शताब्दी पूर्व भगवान बुद्ध के समय से भी जुडा है। पटना तब […] Read more » Gurudwara of Patna Sahib पटना साहिब का गुरुद्वारा!
राजनीति विश्ववार्ता क्या ताइवान पर हमला करने वाला है चीन ! January 3, 2025 / January 3, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए साल के भाषण में एक बार फिर कहा है कि कोई भी ताकत ताइवान को चीन के साथ मिलाने से नहीं रोक सकती है। इससे पहले भी गत वर्ष के अंत में, ताइवान के आसपास चीनी लड़ाकू जहाज और और विमानों की खासी हलचल रही है। चीन के […] Read more » Is China going to attack Taiwan ताइवान पर हमला करने वाला है चीन
राजनीति केन बेतवा लिंक परियोजना बहुउपयोगी January 3, 2025 / January 2, 2025 | Leave a Comment विवेक रंजन श्रीवास्तव पानी जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है . सारी सभ्यतायें नैसर्गिक जल स्रोतो के तटो पर ही विकसित हुई हैं . बढ़ती आबादी के दबाव में , तथा ओद्योगिकीकरण से पानी की मांग बढ़ती ही जा रही है . इसलिये भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है […] Read more » Ken Betwa Link Project Multipurpose केन बेतवा लिंक परियोजना
राजनीति नए रूप में साम्राज्यवादी शक्तियां December 27, 2024 / December 27, 2024 | Leave a Comment संसद के हालिया सत्र का एक बड़ा हिस्सा विवादित अमेरिकी उद्यमी जार्ज सोरोस को लेकर सत्तापक्ष एवं विपक्ष में तल्ख बयानबाजी की भेंट चढ़ गया। सोरोस उस अधिनायकवादी और साम्राज्यवादी विचारधारा के प्रतीक हैं, जो अपने वैश्विक दृष्टिकोण और व्यापारिक-रणनीतिक हितों के लिए वैश्विक भूगोल, इतिहास और संस्कृति को बदलने पर आमादा हैं। याद रहे […] Read more » Imperialist powers in new form