कविता जिंदगी August 8, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- हो गया हूं मैं थोड़ा इस जिंदगी से निराश, पर कही जगी हुई है, मेरे अंदर थोड़ी आस। लाख कोशिशें कर ली मैंने, वक्त पर किसका जोर है, हाय तौबा मची जहां में, हर तरफ तो शोर है। वक्त का आलम है ऐसा, कर दिया जिसने मजबूर, खेला ऐसा खेल मुझसे, […] Read more » कविता जिंदगी जिंदगी कविता हिन्दी कविता
राजनीति आखिर यूपी बिहार ही क्यों? August 4, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- भारत के अखण्डता का प्रतीक माना जाता है। यहां हर धर्म जाति के लोग बड़ी खुशी से रहते हैं। इन सभी धर्मों के लिए एक बात कही गई है, हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। पर ये भाईचारा इस राजनीति में फंसकर टूटता नज़र आ रहा है। हर तरफ धर्म जाति […] Read more » आखिर यूपी बिहार ही क्यों? यूपी बिहार विजय गोयल
कविता लहू तो एक रंग है August 4, 2014 / October 8, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- लहू तो एक रंग है, आपस में एक दूसरे से, हो रही क्यों जंग है ? लहू तो एक रंग है, लहू तो एक रंग है। हर तरफ तो शोर है, किस पर किसका जोर है? ढ़ल रही है चांदनी, आने वाली भोर है। रक्त का ही खेल है, रक्त का ही मेल […] Read more » एकता कविता भाईचारा भाईचारा कविता लहू तो एक रंग है
कविता भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस August 1, 2014 / August 1, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस, बन गया इस देश का भक्षक, हर तरफ है ये तो फैला, लड़ा नहीं जा सकता अकेला, बन गया ये तो झमेला, जायेगा न अब ज्यादा झेला, मिलकर सभी दिखाओ जोर, कर तुम इसको कमजोर , तोड़ दो इसकी रीढ़ की हड्डी, बंध न पाए जिसमे पट्टी , कर […] Read more » भ्रष्टचार है इक मायावी राक्षस भ्रष्टाचार पर कविता
कविता क्रोध परिणाम July 28, 2014 / July 28, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- आग की ज्वाला से देखो, तेज़ तो है मेरी आग, मेरे चक्कर में फंसकर, जाने कितने हुये बर्बाद। काबू पाना मुश्किल मुझ पर, चाहे हो कितना खास, मिट जाता है नाम जहां से, बनते काम का हो सत्यानाश। अंग-अंग में बेचैनी दिलाऊं, तापमान शरीर का बढ़ाऊं, दिमाग काम कर देता बंद, क्रोधित को […] Read more » कविता क्रोध क्रोध कविता हिन्दी कविता
कविता देश के गांवों को सलाम July 25, 2014 | 1 Comment on देश के गांवों को सलाम -रवि श्रीवास्तव- लगा सोचने बैठकर इक दिन, शहर और गांवों मे अन्तर, बोली यहां की कितनी कड़वी, गांवों में मीठी बोली का मंतर। आस-पास के पास पड़ोसी, रखते नहीं किसी से मतलब, मिलना और हाल-चाल को, घर-घर पूंछते गांवों में सब, भाग दौड़ की इस दुनिया में, लोग बने रहते अंजान, गांवों में होती है […] Read more » गांव देश के गांवों को सलाम
कविता भारत माता की पुकार July 24, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- मैं भी थी अमीर कभी, कहलाती थी सोने की चिड़िया, लूटा मुझको अंग्रेजों ने, ले गए यहां से भर-भर गाड़ियां। बड़े मशक्कत के बाद, मिली थी मुझको आजादी, वीरों के कुर्बानी के, गीत मैं तो गाती। उस कुर्बानी को भूलें, यहां के कर्ता धरता, शुरू किया फिर दौर वही, मेरी बर्बादी का। लूटकर […] Read more » भारत माता भारत माता कविता भारत माता की पुकार
कविता खूबसूरती का एहसास July 24, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- क्या है खूबसूरती, किसने इसे तराशा है, हर दिन, हर पल देखकर, मन में जगी ये आशा है। दिल को देता है सुकून, खूबसूरती का एहसास, दुनिया में बस है भी क्या, इससे ज़्यादा भी क्या ख़ास। नदी झील तारें चन्द्रमा, खूबसूरती के नज़ारे, झरनें पहाड़ मौसम, लगते हैं कितने प्यारे। समुन्दर की […] Read more » कविता खूबसूरती का एहसास हिन्दी कविता
जरूर पढ़ें किन्नरों का कहर July 24, 2014 | 1 Comment on किन्नरों का कहर -रवि श्रीवास्तव- किन्नर आए हैं, ये सुनकर लोगों की दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं। जब उनकी ताली की गूंज कानों तक पहुंचती है तो हर व्यक्ति यही अपने मन में सोचता है, हे ईश्वर मेरे पास ये न आएं इनसे हमें दूर रखो। इतना जबरदस्त ख़ौफ बन चुका है- इनका समाज के अंदर। […] Read more » किन्नर किन्नरों का कहर
कविता कैसा ये बन गया समाज July 22, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- कैसा ये बन गया समाज, क्या है इसकी परिभाषा, हर तरफ बढ़ गया अपराध, बन रहा खून का प्यासा। मर्डर चोरी बलात्कार, बन गया है इसका खेल, जो नही खाता है देखो, इक सभ्य समाज से मेल। बदलती लोगों की मानसिकता, टूट रही घर घर की एकता, जिधर भी देखो घूम रही है, […] Read more » कैसा ये बन गया समाज समाज
कविता दरिंदगी July 21, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- समाज में फैल गई गंदगी, हर तरफ दिख रही दरिंदगी, नारी के शोषण में तो, देश रहा है अब तक झेंप, कड़ी सज़ा मिले उन सबको, जो करते हैं महिलाओं का रेप। नहीं नज़र आती है उनको, उस नारी में बहन बेटी, अपनी इज्ज़त को को इज्ज़त समझे, दूसरों की करते हैं बेइज्ज़ती। […] Read more » कविता दरिंदगी हिन्दी कविता
टॉप स्टोरी अपराध की आग में जलता उत्तर प्रदेश July 21, 2014 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- उत्तर प्रदेश देश का वह राज्य जहां से दिल्ली की सत्ता के लिए राजनीतिक दलों के दरवाजे खुलते हैं। आज वही राज्य दिन ब दिन अपना खराब हो रहे हालात पर खूंन के आंसू रो रहा है। उन आसुओं की हर बूंद चीखकर बस यही बात कह रही है कि रहम करो अब। […] Read more » अपराध उत्तर प्रदेश उपराध यूपी में अपराध